कौन हैं ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय तलवारबाज भवानी देवी?

देवी इटली के तटीय शहर लिवोर्नो में टोक्यो 2020 के लिए प्रशिक्षण ले रही हैं।

4 मिनटद्वारा दिनेश चंद शर्मा
तलवारबाजी के एक मैच में प्रदर्शन करती भारत की भवानी देवी।

भारत में तेज बढ़ता तलवारबाजी का खेल रविवार दोपहर तब और सुर्खियों में छा गया, जब भवानी देवी (Bhavani Devi) ओलंपिक में स्थान पक्का करने वाली देश की पहली तलवारबाज बनीं।

हंगरी में चल रहे फ़ेंसिंग वर्ल्ड कप में सेवर फेंसर देवी ने टोक्यो 2020 के लिए कोटा हासिल किया। हालांकि वो टीम इवेंट के क्वार्टर फाइनल में हार गईं और कोरिया सेमीफाइनल में पहुंची।

इस परिणाम की बदौलत दुनिया में 45वें नम्बर की भवानी ने इवेंट में एडजस्टेड ऑफिशियल रैंकिंग (AOR) पद्धति के माध्यम से एशिया और ओशिनिया के लिए निर्धारित दो में से एक स्थान हासिल कर लिया। वह टोक्यो 2020 में महिलाओं की व्यक्तिगत सेवर स्पर्धा में हिस्सा लेंगी।

तो आइए नजर डालते हैं भवानी देवी के तलवारबाजी में सफर और उनके जीवन पर।

प्रारंभिक जीवन

देवी का जन्म 27 अगस्त, 1993 को तमिलनाडु के चेन्नई में हुआ था। उनके पिता एक मंदिर के पुजारी और मां गृहिणी हैं। 10 साल की उम्र से ही उन्हें इस खेल से जुड़ाव हो गया था। देवी ने अपने गृहनगर के मुरुगा धनुष्कोडी गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल में और फिर सेंट जोसेफ इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई की।

तलवारबाजी से परिचय

देवी को छठी कक्षा (2003-04) में भारत में सबसे कम प्रचलित खेल तलवारबाजी के बारे में जानकारी हुई। उन्होंने जल्दी ही इस स्पर्धा में दिलचस्पी लेना शुरू कर दिया। एक बार इस खेल में आने के बाद यह उसके लिए जुनून बन गया।

इतना ही नहीं हायर सेकेंडरी परीक्षा (HSC) के बाद देवी ने तलवारबाजी के कौशल को विकसित करने के लिए केरल के थालास्सेरी में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) का सेंटर जॉइन कर लिया। थालास्सेरी में एसएआई केंद्र भारत के उन गिने-चुने संस्थानों में से एक है, जिसमें तलवारबाजी का प्रशिक्षण देने की सुविधा है।

तुर्की में उनकी पहली अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति अच्छी नहीं रही। क्योंकि, उन्हें तीन मिनट की देरी के कारण ब्लैक कार्ड दिखाया गया था। यह तलवारबाजी में सबसे बड़ा दंड और परिणाम टूर्नामेंट से निष्कासन होता है। लेकिन, यह उसे रोक नहीं पाया था।

कई बार पहली महिला के रूप में गढ़े कीर्तिमान

देवी न केवल ओलंपिक में स्थान पक्का करने वाली पहली भारतीय तलवारबाज हैं, बल्कि उनके नाम पहली बार कीर्तिमान बनाने के कई उदाहरण हैं। वो फिलिपींस में 2014 एशियाई चैम्पियनशिप अंडर-23 श्रेणी में रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय थीं। उन्होंने 2019 में सेवर इवेंट में कैनबरा में सीनियर कॉमनवेल्थ फ़ेंसिंग चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय बनकर इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता की शुरुआत मलेशिया में आयोजित 2009 राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप में कांस्य पदक के साथ हुई। इसके बाद उन्होंने 2010 इंटरनेशनल ओपन, 2010 कैडेट एशियन चैम्पियनशिप, 2012 कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप, 2015 अंडर-23 एशियाई चैम्पियनशिप और 2015 फ्लेमिश ओपन जैसी प्रतियोगिताओं में कांस्य पदक जीतकर पहली भारतीय तलवारबाज बनकर उभरीं।

रियो 2016 में निराशा और इसकी भरपाई

2014 की एशियाई चैम्पियनशिप में सफलता के बाद तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने देवी को अमेरिका में प्रशिक्षण के लिए वित्तीय सहायता मुहैया कराई। क्योंकि, उन्होंने रियो 2016 के लिए क्वालीफाई करने के लिए सहयोग की मांग की थी।

रैंकिंग में सुधार और ओलंपिक में कोटा हासिल करने के लिए उन्होंने दो साल तक पूरी दुनिया का चक्कर काट लिया, लेकिन बदकिस्मती से वो स्थान पक्का करने से चूक गईं।

2016 में उन्होंने न्यूज डुडे को बताया, "मैं रियो में भारतीय टीम का हिस्सा बनने से चूकने के कारण बहुत निराश हूं। पिछले दो सालों से मैं बिना किसी सहयोग अकेले ही आगे बढ़ रही थी और बिना उचित योजना के बहुत यात्रा की। इसलिए मैं कोशिश करूंगी कि 2020 के लिए मैं उन्हीं गलतियों को ना दोहराऊं और अपने सपने को पूरा करने के लिए सही योजना बनाकर काम करूं। मैं कुछ महीनों के लिए इटली जाने की योजना बना रही हूं।"

दृढ़ संकल्प की बदौलत उन्हें 'गो स्पोर्ट्स फाउंडेशन' द्वारा राहुल द्रविड़ एथलीट मेंटरशिप प्रोग्राम के लिए चुने गए 15 एथलीटों में शामिल किया गया। इसके बाद वह प्रशिक्षण के लिए इटली गईं। पांच साल की कड़ी मेहनत के बाद उनका सपना साकार हुआ है।

टोक्यो 2020 के लिए तैयारी

देवी इटली के टस्कन तटीय शहर लिवोर्नो में कोच निकोला ज़ानोट्‌टी की अकादमी में प्रशिक्षण ले रही हैं।

वर्तमान में वो दुनिया में 45वें स्थान पर हैं। हालांकि यह उनकी सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग नहीं है। क्योंकि, इससे पहले वो 36वें स्थान पर रह चुकी थीं।