जर्मनी की दिग्गज स्टेफी ग्राफ को इतिहास की सबसे महान महिला टेनिस खिलाड़ियों में से एक माना जाता है।
उन्होंने 16 साल के अपने प्रोफेशनल करियर में 22 ग्रैंड स्लैम खिताब जीते, 1968 में ओपन एरा की शुरुआत के बाद से स्टेफी ग्राफ ने सेरेना विलियम्स (23) के बाद दूसरा और मार्गरेट कोर्ट (24) के बाद इतिहास में तीसरा सबसे बड़ा खिताब जीता।
स्टेफी ग्राफ 377 सप्ताह तक विश्व नंबर-1 बनी रहीं, जो किसी भी पुरुष या महिला खिलाड़ी की तुलना में सबसे अधिक है। इसके अलावा उन्होंने अपने करियर में कुल 107 खिताब जीते। वह मार्टिना नवरातिलोवा (167) और क्रिस एवर्ट (157) के बाद इतिहास में सबसे अधिक खिताब जीतने वाली तीसरी खिलाड़ी हैं।
हालांकि, उनके करियर की एक उपलब्धि ऐसी है जो उन्हें सबसे खास बनाती है। 1988 में, 19 वर्षीय स्टेफी ग्राफ ने गोल्डन स्लैम जीता, और वह अभी तक पुरुष या महिला टेनिस के इतिहास में इस उपलब्धि को हासिल करने वाली एकमात्र खिलाड़ी बनी हुई हैं।
गोल्डन स्लैम मीडिया के द्वारा दिया गया एक शब्द है, यह तब होता है जब एक खिलाड़ी एक ही वर्ष में ओलंपिक स्वर्ण पदक के अलावा सभी चार ग्रैंड स्लैम - ऑस्ट्रेलियन ओपन, फ्रेंच ओपन, विंबलडन और यूएस ओपन जीतता है।
यह जितना सुनने में मुश्किल लगता है, उतना ही इसको करना भी कठिन है। किसी एक टेनिस खिलाड़ी का हार्ड कोर्ट, ग्रास कोर्ट और क्ले कोर्ट में जीत हासिल करने के लिए अनुकूल क्षमता की आवश्यकता होती है, क्योंकि सभी ग्रैंड स्लैम एक या दो महीनों के अंतर पर होते हैं।
स्टेफी ग्राफ में यह सभी क्षमताएं प्रचुर मात्रा में थीं - वह इतिहास की एकमात्र खिलाड़ी हैं, जिन्होंने प्रत्येक ग्रैंड स्लैम को कम से कम चार बार जीता है।
यहां हम आपको बता रहे हैं कि स्टेफी ग्राफ कैसे 1988 में टेनिस की गोल्डन स्लैम विजेता बनीं।
1988 ऑस्ट्रेलियन ओपन
1987 में अपना पहला ग्रैंड स्लैम खिताब, फ्रेंच ओपन जीतने और पहली बार विश्व नंबर-1 पर पहुंचने के बाद, स्टेफी ग्राफ ने शीर्ष वरीयता के रूप में 1988 ऑस्ट्रेलियन ओपन में प्रवेश किया।
उस समय जर्मनी की यह महिला टेनिस खिलाड़ी फॉर्म में थी, उन्होंने सीधे सेटों में पहले चार राउंड जीते और वह महज़ 13 गेम में पीछे रहीं।
स्टेफी ग्राफ ने क्वार्टर-फाइनल में मौजूदा चैंपियन हाना मांडलिकोवा को 6-2, 6-2 से हराकर हमवतन क्लाउडिया कोहडे-किल्श को सेमी-फाइनल में 6-2, 6-3 से हराया।
इस तरह से बेहतरीन फॉर्म में रहते हुए फाइनल में प्रवेश करने वाली स्टेफी ग्राफ ने तीसरी वरीयता प्राप्त क्रिस एवर्ट को 6-1, 7-6 से हराकर अपना पहला ऑस्ट्रेलिया ओपन खिताब जीता। यह एवर्ट की छह ऑस्ट्रेलियन ओपन फाइनल में अंतिम उपस्थिति साबित हुई।
1988 फ्रेंच ओपन
डिफेंडिंग चैंपियन स्टेफी ग्राफ को फ्रेंच ओपन में पहली बार फिर से वरीयता दी गई और वह महज़ 11 गेम गंवाते हुए अपने विरोधियों को हराकर सेमीफाइनल में पहुंचीं।
अंतिम चार में चौथी वरीयता प्राप्त अर्जेंटीना गैब्रिएला सबातिनी के खिलाफ स्टेफी ग्राफ ने अपनी पहली वास्तविक परीक्षा का सामना किया, लेकिन उन्होंने इस चुनौती को भी पार कर लिया और फाइनल में जगह बनाने के लिए 6-3, 7-6 से जीत हासिल की।
ग्रैंड स्लैम फाइनल में सबसे प्रभावशाली प्रदर्शनों में से एक में स्टेफी ग्राफ ने बेलारूस की नताशा ज्वेरेवा को 6-0, 6-0 से हराकर लगातार दूसरी बार फ्रेंच ओपन का खिताब अपने नाम किया। यह मुकाबला सिर्फ 34 मिनट तक चला और यह एकमात्र 'डबल बैगेल' ग्रैंड स्लैम फाइनल रहा।
1988 विंबलडन
विंबलडन में साल के तीसरे ग्रैंड स्लैम के रैपिड ग्रास कोर्ट में प्रवेश करने के बाद शीर्ष वरीयता प्राप्त स्टेफी ग्राफ के पास परिस्थितियों के अनुकूल होने के लिए भी समय नहीं था। उन्होंने यहां पर अपने सभी मैच सीधे सेटों में जीते और फाइनल तक के अपने प्रदर्शन में महज़ 17 गेम ही हारे।
फाइनल में स्टेफी ग्राफ को अपनी सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा, जहां उनका सामना रिकॉर्ड छह बार की डिफेंडिंग चैंपियन और दिग्गज टेनिस खिलाड़ी मार्टिना नवरातिलोवा से हुआ।
फाइनल मुकाबले में स्टेफी ग्राफ की शुरुआत अच्छी रही, क्योंकि उन्होंने 5-3 से बढ़त हासिल कर ली। लेकिन नवरातिलोवा ने वापसी करते हुए लगातार चार गेम जीतकर पहला सेट जीत लिया।
इसके बाद दूसरे सेट में भी नवरातिलोवा ने पहले दो गेम जीतकर 2-0 की बढ़त बना ली और सीधे सातवें विंबलडन खिताब की ओर आगे बढ़ते हुए नज़र आने लगीं।
हालांकि, इरादों से मजबूत स्टेफी ग्राफ ने आक्रामक अंदाज में वापसी की, उन्होंने अपने चर्चित फोरहैंड और ग्राउंडस्ट्रोक को लगाते हुए छह गेम जीतकर दूसरा सेट जीत लिया और मुकाबले को एक निर्णायक सेट की ओर ले जाने के लिए मजबूर कर दिया।
अपनी लय को बरकरार रखते हुए ग्राफ ने तीसरा सेट 6-1 से जीत लिया और नवरातिलोवा के जीत के सिलसिले पर विराम लगाते हुए अपना पहला विंबलडन खिताब जीता।
इसके अलावा स्टेफी ग्राफ ने 1988 के विंबलडन में अपना एकमात्र ग्रैंड स्लैम युगल खिताब भी जीता, जिसमें उन्होंने गैब्रिएला सबातिनी के साथ जोड़ी बनाते हुए यह महिला युगल खिताब जीता।
1988 यूएस ओपन
अब सभी की निगाहें स्टेफी ग्राफ पर साल के अंतिम ग्रैंड स्लैम यूएस ओपन में प्रवेश करने पर टिकी हुई थीं।
जर्मनी की इस महिला टेनिस खिलाड़ी ने किसी को भी निराश नहीं किया, उन्होंने अपने सभी मैच सीधे सेटों में जीते और सेमीफाइनल तक सिर्फ 13 गेम ही हारे। अंतिम चार में दिग्गज स्टार क्रिस एवर्ट के बाहर हो जाने की वजह से उन्हें फाइनल मुकाबले से पहले थोड़ा आराम करने का मौका मिल गया।
यूएस ओपन के फाइनल में ग्रैंड स्लैम विजेता अपनी युगल जोड़ीदार गैब्रिएला सबातिनी के खिलाफ मैदान में थी। स्टेफी ग्राफ ने अर्जेंटीना की खिलाड़ी के दूसरे सेट में वापसी करने से पहले पहला सेट अपने नाम कर लिया।
अपनी बेहतरीन फॉर्म के साथ उन्होंने जल्द ही तीसरा सेट भी जीत लिया और सबातिनी को 6-3, 3-6, 6-1 से हराकर अपना पहला यूएस ओपन जीत लिया। इसी के साथ वह मॉरीन कोनोली ब्रिंकर और मार्गरेट कोर्ट के बाद ऐसा करने वाली तीसरी महिला खिलाड़ी बन गईं। सबसे बड़ी बात यह रही कि वह ओपन एरा में कैलेंडर स्लैम (एक ही कैलेंडर वर्ष में सभी चार ग्रैंड स्लैम) जीतने वाली पहली खिलाड़ी बनीं।
हालांकि, एक बड़े और अनमोल ताज तक पहुंचने का उनका सफर अभी भी बाकी था।
1988 सियोल ओलंपिक
1988 के सियोल ओलंपिक के लिए स्टेफी ग्राफ को फिर से पहली वरीयता दी गई। दूसरे दौर में प्रतियोगिता में प्रवेश करते हुए जर्मनी की इस टेनिस खिलाड़ी ने अपने पहले दो मैच सीधे सेटों में जीते।
क्वार्टर-फाइनल में स्टेफी ग्राफ अपना पहला सेट हार गईं, लेकिन उन्होंने बाकी के दो सेट जीतते हुए सोवियत संघ की लारिसा सावचेंको के खिलाफ 6-2, 4-6, 6-3 से जीत दर्ज की।
सेमीफाइनल में यूएसए की जीना गैरीसन पर हावी रहने के बाद फाइनल मुकाबले में ओलंपिक स्वर्ण के लिए स्टेफी ग्राफ का सामना गैब्रिएला सबातिनी से हुआ। तीन सप्ताह में यह दूसरा मौका था जब जर्मनी की टेनिस खिलाड़ी फाइनल में अर्जेंटीना की सबातिनी का सामना कर रहीं थीं।
हालांकि, इस बार कोई रुकावट नहीं हुई और स्टेफी ग्राफ ने फाइनल में सबातिनी को 6-3, 6-3 से सीधे सेटों में हराकर ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता और एक अद्भुत, अविश्वसनीय गोल्डन स्लैम के सफर को पूरा किया।
इसके साथ ही स्टेफी ग्राफ ने एक और ओलंपिक पदक पर भी दावा किया। उन्हें क्लाउडिया कोहडे-क्लिश के साथ महिला युगल में कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा, क्योंकि चेक गणराज्य की जाना नोवोत्ना और हेलेना सुकोवा की जोड़ी से उन्हें सेमीफाइनल में हार नसीब हुई थी।