भारत में जब भी खेलों की बात की जाती है तब टेबल टेनिस का नाम ज़रूर आता है। पिछले कुछ सालों में इस खेल ने बहुत सी सुर्खियां बटोरी हैं और बहुत से खिलाड़ी भारत को देने में सफल भी रहा है।
यह बदलाव तब आया जब भारतीय टेबल टेनिस ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन किया। पहले जब भी टेबल टेनिस की बात होती थी तो शरत कमल का नाम लिया जाता था, लेकिन हाल के वर्षों में अन्य खिलाड़ियों ने भी तिरंगे के नीचे अपनी पहचान बनाई है। यहां कुछ बेहतरीन खिलाड़ियों के बारे में बताया गया है।
मनिका बत्रा
भारतीय टेबल टेनिस की सुपरस्टार मनिका बत्रा पिछले कुछ सालों से अपने शानदार प्रदर्शन से सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। दिल्ली में जन्मी यह खिलाड़ी चार साल की उम्र में अपने बड़े भाई-बहनों को खेलते हुए देखकर पहली बार इस खेल की ओर आकर्षित हुई थी।
मनिका बत्रा जल्द ही उनके साथ शामिल हो गईं और आने वाले सालों में बेहतरीन प्रदर्शन करती रहीं। उन्होंने 2011 में 16 साल की उम्र में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय पदक जीता, चिली ओपन में अंडर-21 वर्ग में रजत पदक जीता और तीन साल बाद 2014 के राष्ट्रमंडल खेलों के लिए भारतीय टीम में जगह बनाई।
हालांकि, ग्लासगो 2014 में महिला एकल स्पर्धा के क्वार्टरफाइनल में हार गई थीं, लेकिन उन्होंने उम्मीदें बनाए रखीं।
भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी ने अपने खेल को बेहतर बनाना जारी रखा और एक साल बाद राष्ट्रमंडल टेबल टेनिस चैंपियनशिप में तीन पदक जीते, जिसमें महिला एकल स्पर्धा में कांस्य पदक भी शामिल था। उन्होंने रियो 2016 में ओलंपिक में डेब्यू किया, लेकिन एकल स्पर्धा के शुरुआती दौर में ही बाहर हो गईं।
हालांकि, मनिका बत्रा ने ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में शानदार वापसी की और अपना दबदबा बनाया।
गोल्ड कास्ट 2018 में तो मानों मनिका का मकसद पूरा हुआ। भारतीय टीम ने न केवल धुरंधर सिंगापोर की टीम को मात दी बल्कि मनिका CWG वुमेंस सिंगल खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं।
मनिका बत्रा ने CWG की मुहिम में उम्दा प्रदर्शन दिखाया और हर इवेंट में कम से एकएक मेडल ज़रूर जीता। विश्व रैंक 63 की इस खिलाड़ी को खेल रत्ना अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है और उम्मीद है कि टोक्यो 2020 उनके लिए ज़्यादा से ज़्यादा रौशनी लाएगा।
टोक्यो ओलंपिक में मनिका बत्रा यूक्रेन की हाई रैंकिंग वाली मार्गरीटा पेसोत्स्का को हराकर राउंड ऑफ 32 में जगह बनाने वाली पहली भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी बन गईं।
अगस्त 2021 में डब्ल्यूटीटी कंटेंडर बुडापेस्ट में मिश्रित युगल खिताब जीतने के बाद, उन्होंने साथियान गणानाशेखरन के साथ, विश्व टेबल टेनिस (डब्ल्यूटीटी) खिताब जीतने वाली पहली भारतीय जोड़ी बनकर इतिहास रच दिया।
अप्रैल 2022 में, मनिका बत्रा और अर्चना गिरीश कामथ की जोड़ी महिला युगल रैंकिंग में नंबर 4 पर पहुंच गईं, जो सभी श्रेणियों में किसी भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी द्वारा हासिल की गई सर्वोच्च रैंकिंग है।
पेरिस 2024 में, मनिका बत्रा ओलंपिक के प्री-क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी बनीं।
मनिका ने अपने अभियान की शुरुआत राउंड ऑफ 64 में ग्रेट ब्रिटेन की अन्ना हर्सी पर 4-1 से जीत के साथ की। इसके बाद वह राउंड ऑफ 32 में फ्रांस की उच्च रैंकिंग वाली पृथिका पावड़े को हराकर प्री-क्वार्टरफाइनल में पहुंच गईं।
मनिका का अभियान प्री-क्वार्टरफाइनल में आठवीं वरीयता प्राप्त जापानी खिलाड़ी मिउ हिरानो से 4-1 से हार के बाद समाप्त हो गया।
शरत कमल
लगभग दो दशकों से अंतरराष्ट्रीय सर्किट में सक्रिय खिलाड़ी, शरत कमल भारतीय टेबल टेनिस में एक महान खिलाड़ी हैं।
शरत कमल ने रिकॉर्ड 10 बार राष्ट्रीय टेबल टेनिस चैंपियनशिप जीती है, आईटीटीएफ प्रो टूर खिताब जीतने वाले पहले भारतीय हैं और राष्ट्रमंडल खेलों में एकल स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय हैं। वह पांच बार के ओलंपियन भी हैं।
महान कोच श्रीनिवास राव के पिता होने के कारण, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं थी कि शरत कमल ने बहुत कम उम्र में ही टेबल टेनिस रैकेट को अपना लिया। चेन्नई के इस खिलाड़ी की पहली बड़ी अंतरराष्ट्रीय जीत 2004 में मिली जब उन्होंने मलेशिया में कॉमनवेल्थ टेबल टेनिस चैंपियनशिप में एकल प्रतियोगिता जीती।
शरत कमल ने गेम्स में डेब्यू एथेंस 2004 में किया था और उन्हें उस संस्करण के पहले ही राउंड में बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। उन्हें को लाई चक के हाथों मात मिली थी और इस विदेशी खलाड़ी ने डबल्स इवेंट में सिल्वर मेडल भी अपने नाम किया था।
इसके बाद इस खिलाड़ी का कारवां 2006 कॉमनवेल्थ की ओर गया और वहां वह पहले भारतीय बनें जिन्होंने इस इवेंट के सिंगल्स इवेंट में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। भारतीय टेबल टेनिस स्टार अचंत शरत कमल ने लोकल खिलाड़ी विलियम हेन्ज़िल को मात देते हुए पोडियम का सबसे ऊपरी हिस्सा बुक किया था।
कॉमनवेल्थ गेम्स शरत कमल की पसंदीदा प्रतियोगिता रही है, जहां उन्होंने पांच संस्करणों में सात स्वर्ण सहित 13 पदक जीते हैं।
भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी के नाम दो एशियाई खेलों के कांस्य पदक भी हैं और उन्होंने 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण सत्र स्थगित होने से ठीक पहले ओमान ओपन में अपना दूसरा आईटीटीएफ प्रो टूर खिताब जीता था।
शरत कमल ने टोक्यो 2020 में पुरुष एकल के राउंड ऑफ 32 में पांच गेम में हारने से पहले चीन के चैंपियन मा लोंग को भी कड़ी टक्कर दी थी। पेरिस 2024 में शरत को पहले दौर में ही हार का सामना करना पड़ा था।
साथियान गणानाशेखरन
शरत कमल के साथ-साथ, साथियान गणानाशेखरन हर बार अंतरराष्ट्रीय टेबल टेनिस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों में से एक रहे हैं।
हालांकि, जी साथियान का पेशेवर टेबल टेनिस में प्रवेश पसंद से ज़्यादा संयोग से हुआ था। एक रूढ़िवादी तमिल परिवार में पले-बढ़े होने के कारण, खेल कभी भी उनके लिए करियर का विकल्प नहीं रहा। हालांकि चेन्नई के स्थानीय खिलाड़ी अक्सर टेबल टेनिस खेलते थे, लेकिन कभी भी गंभीरता से नहीं लिया।
लेकिन यह तब बदल गया जब उनकी मुलाकात उनके कोच सुब्रमण्यम रमन से हुई, जो एक पूर्व राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी थे, जो अपने शिष्य की प्रतिभा के कायल थे और उन्होंने इस युवा खिलाड़ी को खेल में हाथ आजमाने के लिए राजी किया।
जूनियर सर्किट में खिताब के साथ, साथियान गणानाशेखरन समय के साथ आगे बढ़ते रहे और अपने नाम कई उपलब्धियां हासिल की। साल 2016 में बेल्जियम ओपन में अपना पहला आईटीटीएफ प्रो टूर खिताब जीता।
एक साल बाद, उन्होंने स्वीडन में आईटीटीएफ मेजर में कांस्य पदक जीतने के लिए शरत कमल के साथ मिलकर काम किया और कुछ महीने बाद बुल्गारिया में रजत पदक जीता। लेकिन भारतीय खिलाड़ी के करियर का शानदार पल 2018 में आया जब उन्होंने 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में पुरुषों की स्पर्धा में भारत को टीम खिताब दिलाने में मदद की और साथ ही उस साल एशियाई खेलों का कांस्य पदक भी अपने नाम किया
अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित जी साथियान यूरोप और एशिया की कई लीग में नियमित रूप से हिस्सा लेते हैं।
जी साथियान ने टोक्यो 2020 में अपना ओलंपिक डेब्यू किया, जहां वह पहली जीत हासिल करने के बाद दूसरे राउंड में हांगकांग के लाम सिउ हैंग से सात गेम से हार गए।
उन्होंने जल्द ही टोक्यो की निराशा को दूर किया। साथियान ने मनिका बत्रा के साथ डब्ल्यूटीटी कंटेंडर बुडापेस्ट मिश्रित युगल खिताब जीता और एक हफ्ते बाद आईटीटीएफ चेक इंटरनेशनल ओपन खिताब जीता।
राष्ट्रमंडल खेल 2022 में जी साथियान ने तीन पदक जीते, जिसमें पुरुष टीम स्पर्धा में स्वर्ण, पुरुष युगल में रजत और पुरुष एकल में कांस्य शामिल हैं।
मौमा दास
भारतीय टेबल टेनिस की पुरानी और अनुभवी खिलाड़ी मौमा दास राष्ट्रीय टीम के लिए लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वाली खिलाड़ियों में से एक रही हैं।
कोलकाता, पश्चिम बंगाल की दो बार की ओलंपियन पिछले एक दशक से राष्ट्रीय टीम में नियमित रूप से शामिल रही हैं और उन्होंने मुश्किल परिस्थितियों में कुछ प्रेरणादायक प्रदर्शन किए हैं।
मौमा दास ने 1997 की विश्व टेबल टेनिस चैंपियनशिप में अपना अंतरराष्ट्रीय डेब्यू किया। हालांकि भारतीय टीम प्रतियोगिता में अंतिम 16 में जगह बनाने में नाकाम रही, लेकिन यह इवेंट युवा मौमा दास के लिए बहुत प्रेरणादायक रहा।
आने वाले वर्षों में कोलकाता की इस टेबल टेनिस खिलाड़ी ने अपने खेल में सुधार किया और 2006 में अपना पहला राष्ट्रमंडल खेल पदक जीता।
अर्जुन पुरस्कार विजेता मौमा दास ने राष्ट्रमंडल खेलों में चार और पदक जोड़े, जिनमें से सबसे लेटेस्ट पदक 2018 में मनिका बत्रा के साथ सिंगापुर पर ऐतिहासिक जीत के रूप में आया।
मानव ठक्कर
राजकोट के मानव ठक्कर ने 2020 में अपना काफी नाम बना लिया जब वह अंडर-21 वर्ग में भारत की ओर से सर्वश्रेष्ठ रैंक हासिल करने में कामयाब हुए। अंडर-21 टॉप रैंक हासिल करने वाले वह पहले भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी हैं।
डॉक्टर परिवार में जन्मे मानव में टेबल टेनिस और अन्य खेल महज़ फिटनेस के लिए चुने थे लेकिन उनके कौशल को देखते हुए खेल ने भी उनको चुन लिया।
डोमेस्टिक स्तर पर उम्दा प्रदर्शन करने के बाद मानव ठक्कर को सराहना और प्रेरणा दोनों मिली और उन्होंने इस खेल को और भी ज़्यादा बारीकियों से देखना शुरू कर दिया।
नेशनल कैंप में भारतीय कोच मासिमो कॉस्टेंटिनी की सलाह ने उन्हें उच्च स्तर का खिलाड़ी बना दिया। ऐसे मई मानव ने 2018 एशियन गेम्स के लिए भारतीय टीम में अपनी जगह बना ली और ब्रॉन्ज़ मेडल हासिल कर खुद को एक मकसद भी दे दिया।
अन्य भारतीय पैडलर्स जिन्होंने अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया, उनमें कमलेश मेहता शामिल हैं, जो 80 के दशक में सर्वोच्च रैंक वाले भारतीय खिलाड़ी थे, ओलंपियन श्रीजा अकुला, नेहा अग्रवाल, अंकिता दास, एंथनी अमलराज और हरमीत देसाई ने भी राष्ट्रमंडल खेलों में सफलता पाई है।