जब भारतीय फुटबॉल टीम ने ओलंपिक में बनाई जगह और एशियन गेम्स में जीता स्वर्ण पदक
भारत को विश्व फुटबॉल का सोया हुआ दिग्गज माना जाता है। यहां भारतीय फुटबॉल के प्रसिद्ध मैचों के बारे में पढ़िए।
फुटबॉल के जानकार भारत को विश्व फुटबॉल का सोया हुआ दिग्गज मानते हैं। इसकी वजह शायद ये है कि अभी तक भारत दुनिया के सबसे सुंदर खेल में अपनी स्थायी पहचान नहीं बना सका है।
हालांकि, कभी-कभार ऐसी चिंगारियां ज़रूर निकली हैं, जिसने दुनिया को अपनी ओर आकर्षित और भारतीय फुटबॉल टीम को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है।
यहां हम भारतीय फुटबॉल टीम मैच के पांच यादगार पलों के बारे में बताएंगे, जिन्होंने समय-समय पर देश को गौरवांवित किया है।
1948 ओलंपिक में नंगे पैर फुटबॉल मैच खेलने उतरी भारतीय टीम
भारतीय टीम का प्रसिद्ध फुटबॉल मैच वो था, जिसके बारे में सबसे ज्यादा चर्चा हुई थी। जब भारत ने 1948 के लंदन खेलों में अपने पहले ओलंपिक खेलों में यूरोपीय दिग्गज फ्रांस का सामना किया था।
साल 1947 में आज़ादी मिलने के बाद ये भारतीय फुटबॉल की पहली सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति थी।
लंदन के लिन रोड फुटबॉल मैदान पर इस मैच के लिए उतरे 11 भारतीय खिलाड़ियों में ज्यादातर नंगे पैर थे और उनके पैरों में पट्टियां लपेटी गई थीं, साथ ही घुटनों के चारों ओर पट्टियां लपेटी हुई थीं। मैदान में मौजूद दर्शकों की आँखों में आश्चर्य भी था और दया की भावना भी थी।
हालांकि, दर्शकों के मन में जो संदेह की भावना थी वो तब आश्चर्य में बदल गई, जब बलाईदास चटर्जी की अगुवाई वाली टीम यूरोपीय टीम को चुनौती दे रही थी।
फ्रांस ने रेने कॉर्बिन के गोल की मदद से आधे घंटे में बढ़त हासिल कर ली, हालांकि ब्लू टाइगर्स ने हाफ टाइम से पहले ही बराबरी करने का मौका गंवा दिया, जहां सैलेन मन्ना पेनल्टी करने से चूक गए।
भारतीय खिलाड़ियों ने मजबूत इरादे के साथ दूसरे हाफ की शुरुआत की और 70 वें मिनट में बराबरी हासिल कर ली, जहां सारंगापानी रमन आज़ाद भारत के पहले अंतरराष्ट्रीय गोल स्कोरर बने।
भारत ने 10 मिनट बाद एक और पेनल्टी जीता, लेकिन इस बार फ्रांस के गोलकीपर गाय रौक्सल ने महाबीर प्रसाद को गोल करने का मौका नहीं दिया। फ्रांस के रेने पर्सिलोन ने अंतिम समय में निर्णायक गोल कर के टीम को जीत दिला दी।
भारतीय टीम मैच तो हार गई लेकिन सबका दिल जीतने में कामयाब रही।
कहा जाता है कि किंग जॉर्ज VI टीम के प्रदर्शन से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने बकिंघम पैलेस में भारतीय टीम को आमंत्रित किया और सैलेन मन्ना को अपनी ट्राउजर को ऊपर करके पैर दिखाने के लिए कहा कि कहीं उनका पैर स्टील का तो नहीं है।
कप्तान तालीमारन एओ के बाद टीम ब्रिटिश मीडिया की भी प्रिय बन गई, जब एक पत्रकार ने सवाल किया कि उनकी टीम के अधिकांश खिलाड़ी नंगे पांव क्यों खेलते हैं, इसके जवाब में उन्होंने कहा, "यह फुटबॉल है, बूटबॉल नहीं।"
मैच का परिणाम: भारत को फ्रांस से 1-2 से मिली हार
1956 ओलंपिक में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को फुटबॉल मैच में उसके घर में हराया
ओलंपिक में भारत का अब तक का सबसे अच्छा सफर 1956 के खेलों में रहा है जो मेलबर्न में खेला गया था जहां टीम ने चौथा स्थान हासिल किया था।
क्वार्टर फाइनल में घरेलू टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ, भारत ने शानदार प्रदर्शन किया और अपने विरोधियों को 4-2 से हराया। भारत के स्ट्राइकर नेविल डिसूजा ने भारत के चार में से तीन गोल किए, जिससे वो ओलंपिक में हैट्रिक बनाने वाले पहले एशियाई खिलाड़ी बन गए।
डिसूज़ा और ऑस्ट्रेलिया के ब्रूस मोरो ने पहले हाफ में दो-दो गोल किया, लेकिन भारत ने दूसरे हाफ में पूरी तरह नियंत्रण हासिल कर लिया। जहां डिसूज़ा ने अपना तीसरा गोल किया तो कृष्ण किट्टू ने स्कोर लाइन में अपना नाम जोड़ते हुए टीम की जीत सुनिश्चित कर दी।
भारतीय फुटबॉल के लिजेंड पीके बनर्जी ने डिसूजा के दूसरे गोल में महत्पूर्ण भूमिका निभाई। मैच के बाद उन्होंने कहा “नेविल उस रात शानदार फॉर्म में थे। ऑस्ट्रेलिया को 4-2 से हराने के बाद, ऑस्ट्रेलियाई टीम ने हमें सिडनी में एक रीमैच के लिए चुनौती दी। क्या आपको इसका परिणाम पता है? हमने इस मैच में 7-1 से जीत हासिल की।”
मैच का परिणाम: भारत ने 4-2 से ऑस्ट्रेलिया को हराया
1960 ओलंपिक में भारतीय फुटबॉल टीम ने हंगरी को हराया
1960 के रोम ओलंपिक के ग्रुप स्टेज में भारत को स्टार-स्टड वाले हंगरी का सामना करना था।
हंगरियन टीम में एर्नो सोलिमोसी, जानोस गोर्क्स, क्लामन मेस्ज़ोली और अन्य खिलाड़ी शामिल थे जिन्होंने बाद में 1962 के फीफा विश्व कप के क्वार्टर फाइनल में हंगरी का नेतृत्व किया।
उनमें से एक फ्लोरियन अल्बर्ट थे, जिन्हें 1962 विश्व कप में संयुक्त रूप से शीर्ष स्कोरर के रूप में चुना गया और उन्हें टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ युवा खिलाड़ी भी चुना गया। उन्होंने 1967 में यूरोपियन प्लेयर ऑफ द ईयर का पुरस्कार भी जीता।
ग्रॉसोस और अल्बर्ट ने हंगरी को हाफ टाइम तक 2-0 की बढ़त दिला दी, लेकिन इसके बाद भारतीयों ने शानदार फुटबॉल खेलते हुए अविश्वसनीय प्रदर्शन किया।
पीके, तुलसीदास बलराम और चुन्नी गोस्वामी के नेतृत्व में भारत ने हंगरी के राह को मुश्किल बना दिया, जहां 79वें मिनट में बलराम ने गोल कर दिया।
अंतिम समय में भारतीय टीम अपने लय को बरकरार नहीं रख सकी, लेकिन हंगरी जैसी टीम के खिलाफ भारत का प्रदर्शन काबिल-ए-तारीफ था और इस मैच में उन्होंने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
बालाराम ने उस मैच को याद करते हुए कहा, ''हम पहले हाफ में कैद थे, हमारी टीम हीन भावना की शिकार थी। लेकिन जब कोच रहीम साहब ने हमें दूसरे हाफ के लिए एक स्पष्ट योजना बताई, तो हम वास्तव में उन पर हावी हो गए।”
"हम मैच हार गए, लेकिन इटली की मीडिया और विश्व फुटबॉल मीडिया ने हेडलाइन दिया कि ‘फुटबॉल महाशक्ति से रूप में भारत आगे बढ़ रहा है’।"
अगले मैच में भारत ने एक और यादगार मैच खेला और फ्रांस को 1-1 से ड्रॉ पर रोक दिया।
मैच का परिणाम: भारत 1-2 हंगरी
1962 एशियन गेम्स में दक्षिण कोरिया को हराकर भारत ने जीता गोल्ड मेडल
जकार्ता में 1962 के संस्करण में भारत की एशियाई खेलों में अंतिम जीत है, जो कि अब तक भारतीय फुटबॉल टीम के मैचों का सबसे यादगार पल है।
चुना गोस्वामी के नेतृत्व में भारतीय टीम मेज़बानों ने सेनन स्टेडियम में 100,000 से अधिक दर्शकों की भीड़ के साथ दक्षिण कोरिया के खिलाफ मैदान पर उतरी, जिन्हें भारतीय टीम ने फाइनल में पहले कभी नहीं हराया था।
इतिहास और प्रशंसक दोनों भारतीय टीम के खिलाफ थे, भारतीय फुटबॉल टीम ने डिफेंडर जरनैल सिंह की आवेश पूर्ण रैली के साथ मैदान पर कदम रखा, जो सिर में गंभीर चोट के बावजूद मैच खेल रहे थे।
पीके ने स्कोरिंग खोली और जरनैल ने कुछ ही समय बाद भारत की बढ़त दोगुनी कर दी।
अरुण घोष और चंद्रशेखर मेनन का शानदार डिफेंस मुश्किल से कोरियाई टीम को गोल के पास पहुंचने का मौका दे रहा था। मैच खत्म होने के पांच मिनट पहले चा ताए-सुंग ने एक गोल अपनी टीम के लिए ज़रूर किया लेकिन तब तक भारत ने अपनी जीत सुनिश्चित कर ली थी। भारत ने पहली बार एशियन गेम्स का स्वर्ण पदक जीता।
चुन्नी गोस्वामी ने कहा “मैं एक भाग्यशाली कप्तान था कि मेरे साथ ऐसे शानदार खिलाड़ी थे। निश्चित रूप से, मैंने खुद थोड़ा सा योगदान दिया (सेमीफाइनल में दो गोल किए), जिसने हमें फाइनल में पहुंचाने में मदद की।”
मैच का परिणाम: भारत 2-1 दक्षिण कोरिया
विश्वकप क्वालिफ़ायर्स में क़तर को ड्रॉ पर रोका
हाल के दिनों में भारत का सबसे अच्छा परिणाम तब आया जब उन्होंने 2019 AFC एशियाई कप चैंपियन कतर को 0-0 से ड्रॉ पर रोका।
सयुंक्त 2022 FIFA विश्व कप क्वालिफ़ायर्स और 2023 AFC एशियाई कप क्वालिफ़ायर्स अभियान में रिजनिंग एशियाई फुटबॉल चैंपियन के खिलाफ ब्लू टाइगर्स ने ऐतिहासिक परिणाम के लिए शानदार प्रदर्शन किया।
टीम के सबसे दिग्गज स्ट्राइकर सुनील छेत्री के बिना खेल रही भारतीय टीम को डिफेंस में ज्यादा मेहनत करनी पड़ी, जिसने भारतीय फैंस को निराश नहीं होने दिया।
गोलकीपर गुरप्रीत सिंह संधु इस मैच के स्टार साबित हुए जिसने पूरे मैच में कुल 11 सेव किए।
सेंटर बैक संदेश झिंगन, डिफेंसिव मिडफील्डर्स रॉलिन बोर्गेस और अनिरुद्ध थापा ने भी खतरनाक कतर के हमले को रोकने के लिए जान लगा दी।
छेत्री को वायरल फ़ीवर था और वह दोहा में अपने होटल के कमरे से ही मैच देख रहे थे। उन्होंने बाद में कहा, “मैं चिल्ला रहा था और मैंने अपनी आवाज़ खो दी। होटल के लोग पूछने आए कि क्या हो गया।’’
उन्होंने कहा, मैं उस टीम का हिस्सा बनकर बहुत खुश और गर्व महसूस कर रहा हूं। किसी ने मुझसे पूछा 'अच्छा किसने खेला?' मैंने 14 नाम लिए क्योंकि वो सभी बहुत अच्छा खेले थे।”
मैच का परिणाम: भारत 0-0 क़तर