एथलेटिक्स विश्व चैंपियनशिप में भारत की पहली कांस्य पदक विजेता अंजू बॉबी जॉर्ज का देश के ट्रैक एंड फील्ड में एक विशेष योगदान है।
दो बार की इस ओलंपियन के नाम भारत की तरफ से लॉन्ग जंप का राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी है। अंजू जॉर्ज बॉबी की यह उपलब्धि इसलिए और खास हो जाती है क्योंकि उन्होंने यह सब एक किडनी से हासिल किया है।
19 अप्रैल, 1977 को केरल के कोट्टायम में जन्मीं अंजू बॉबी जॉर्ज को एथलेटिक्स की दुनिया में उनके पिता के.टी. मारकोस लेकर लाएं।
अंजू बॉबी जॉर्ज 100 मीटर हर्डल रेस, रिले, लंबी कूद और ऊंची कूद में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली एक ऑलराउंडर थी, जिसने स्कूल के विभिन्न इवेंट के सभी चार डिसिप्लिन में लगातार पदक जीते थे।
बहुत पहले उनकी रुचि हेप्टाथलॉन में भी बढ़ी, एक एथलेटिक इवेंट जिसमें सात अलग-अलग डिसिप्लिन 100 मीटर हर्डल रेस, ऊंची कूद, शॉट-पुट, 200 मीटर स्प्रिंट, लंबी कूद, भाला फेंक और 800 मीटर दौड़ शामिल थे।
1996 में त्रिशूर के विमला कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई के दौरान, अंजू बॉबी जॉर्ज ने नई दिल्ली में जूनियर एशियन चैंपियनशिप में लंबी कूद में पदक जीता। जिससे वह जंपिंग इवेंट पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित हुईं।
लोगों की आम धारणा यह है कि मेरे पास एक ताकतवर संपूर्ण शरीर है। लेकिन सच तो यह है कि मैंने अपनी फील्ड में तमाम मुश्किलों को पार कर सफलता हासिल की है।
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