भारत को महत्वपूर्ण प्रतियोगिताओं से पहले देविन्दर वाल्मीकि और हरजीत सिंह पर करना चाहिए विचार- हरेंद्र सिंह

टोक्यो ओलंपिक, 2022 एशियाई गेम्स और 2023 विश्व कप भारतीय हॉकी टीम के लिए होंगे महत्वपूर्ण

3 मिनटद्वारा भारत शर्मा
देविंदर वाल्मीकि भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं

कोरोना वायरस महामारी ने अक्टूबर 2020 में प्रो हॉकी लीग के जरिए फिर से पटरी पर आए खेल से पहले करीब छह महीने के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी कैलेंडर पर ब्रेक लगा दिए थे। टीम इंडिया के लिए सबसे बड़ी चिंता अपने दिग्गज खिलाड़ियों की जगह को प्रतिभाशाली खिलाड़ियों से भरने की होगी।

भारत में युवा प्रतिभाओं की कमी नहीं है। जूनियर हॉकी टीम वर्तमान में बेंगलुरु के स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) में अपने रूप में वापस आ रही है। हालांकि, जूनियर हॉकी के लिए उनका अंतर्राष्ट्रीय कैलेंडर अभी भी अधर झूल में है।

इसी बीच भारत के पूर्व हॉकी कोच हरेंद्र सिंह का मानना ​​है कि हरजीत सिंह और देविन्दर वाल्मीकि जैसी बेहतरीन प्रतिभाओं को विश्व कप के लिए राष्ट्रीय टीम में फिर लाया जाना चाहिए।

हरेंद्र लंबे समय से भारतीय हॉकी टीम के कोच के रूप में कार्य कर रहे हैं। उनकी कोचिंग में ही 2018 मेंस हॉकी चैंपियंस ट्रॉफी में भारत ने रजत पदक जीता था। उनका मानना ​​है कि बीरेंद्र लकड़ा और रूपिंदर पाल सिंह जैसे दिग्गज खिलाड़ी एशियाई खेलों या विश्व कप तक टीम के साथ नहीं रहेंगे।

हरेंद्र ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, "जूनियर पुरुष टीम का अनुभव कम है और उसे सीनियर लेवल पर पहुंचने में समय लगेगा। ऐसे में सवाल यह है कि रूपिंदर जैसे खिलाड़ियों की जगह को कौन भरेगा? यह केवल वही हो सकता है जिनके पास कुछ अनुभव हो।"

उन्होंने कहा, "मेरे अनुसार हरजीत को वापस शिविर में बुलाया जाना चाहिए, और देविन्दर वाल्मीकि को भी। वो बेहतरीन प्रतिभा है।आप 2022 के एशियाई खेलों और 2023 विश्व कप के लिए रूपिंदर पाल और बीरेंद्र लकड़ा से उम्मीद नहीं कर सकते हैं।"

24 वर्षीय मिडफील्डर हरजीत के पास 2016 पुरुष जूनियर विश्व कप के लिए भारतीय टीम का नेतृत्व करने का अनुभव है। उनकी कप्तानी में टीम पूरे टूर्नामेंट में अजेय रही और स्वर्ण पदक जीता।

28 वर्षीय वाल्मिकी, जो मिडफ़ील्ड में भी खेलते हैं, हॉकी खिलाड़ियों के परिवार से आते हैं। उनके भाई युवराज वाल्मीकि ने भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है। 2016 ओलंपिक के लिए भारतीय टीम में भी देविन्दर का नाम लिया गया था।

हालांकि, वाल्मीकि और हरजीत की हाल ही में भारत द्वारा अनदेखी की गई है। उन्होंने डच लीग में प्रभावित किया था और कई लोगों द्वारा उन्हें बेहतरीन माना जाता है। उन्होंने H.O.C गजेलन-कॉम्बिनेटी या HGC के साथ प्लेऑडिट हासिल किए, जो कि पिछले सत्र में शीर्ष श्रेणी की डच लीग होफ्डक्लासे में सबसे पुराने और प्रतिष्ठित क्लबों में से एक था।

हरेन्द्र सिंह का मानना ​​है कि राष्ट्रीय शिविर में कम से कम कोच ग्राहम रीड को प्रभावित करने का मौका दिया जाना चाहिए।

उन्होंने अंत में कहा, "हरजीत और देविन्दर शिविर में रहने लायक हैं। वे इसे अंतिम टीम में शामिल करते हैं या नहीं, यह कोच तय करेगा। मुझे नहीं लगता कि कोचों को उन्हे सही तरह से परखने का मौका मिला है। रखने का मौका मिला है।"