'क्वीन्स ऑफ बॉलिंगवुड' - CWG 22 में भारत को गौरवान्वित करने वाली लॉन बाउलर्स से मिलिए: लवली, रूपा, पिंकी और नयनमोनी
लवली चौबे, रूपा रानी तिर्की, पिंकी और नयनमोनी सैकिया की चार सदस्यीय टीम ने भारत को राष्ट्रमंडल खेल 2022 में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक दिलाया।
भारत, वो देश जहां क्रिकेट का जुनून सिर चढ़कर बोलता है और इस खेल के लिए दीवानगी देखते ही बनती है। ऐसे में यहां के लोगों का लॉन बाउल्स नाम के एक विशिष्ट खेल से बेखबर होना लाजमी है। लेकिन, चार महिलाएंलवली चौबे, रूपा रानी तिर्की, पिंकी और नयनमोनी सैकिया, बर्मिंघम में मंगलवार को इसी खेल में अपने ऐतिहासिक स्वर्ण पदक के लिए सुर्खियां बटोर रही हैं।
लवली, रूपा, पिंकी और नयनमोनी की चौकड़ी ने संयुक्त रूप से बर्मिंघम में आयोजित 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में महिलाओं के चार सदस्यीय टीम का स्वर्ण पदक जीतकर भारत के लोगों का ध्यान लॉन बाउल्स की तरफ आकर्षित किया।
यह लॉन बाउल्स में भारत का पहला पदक है। यह एक ऐसा खेल है जो साल 1930 से कॉमनवेल्थ गेम्स के कार्यक्रम में शामिल रहा है। सिर्फ जमैका में आयोजित 1966 कॉमनवेल्थ गेम्स के संस्करण में यह खेल शामिल नहीं था।
क्रिकेट, हॉकी, बॉक्सिंग या टेनिस की तुलना में लॉन बाउल्स भारत के खेल मैप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रहा है। 2007 में राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के शुरू होने के बाद, भारतीयों ने उस वक्त इस खेल में प्रतिस्पर्धा करना शुरू कर दिया जब नई दिल्ली ने 2010 में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी की।
भारत में लॉन बाउल्स खेल में अभी भी उचित बुनियादी ढांचे और समर्थन की काफी कमी है। बर्मिंघम में लवली चौबे, रूपा रानी तिर्की, पिंकी और नयनमोनी सैकिया ने जो उपलब्धि हासिल की है, वह असाधारण से कहीं भी कम नहीं है। उनकी यह उपलब्धि उन्हें भारत की 'क्वीन्स ऑफ बॉलिंगवुड' कहने योग्य है।
लवली चौबे कहतीं हैं कि, "यह उपलब्धि हमारे लिए ओलंपिक में जीत दर्ज करने जितनी बड़ी है क्योंकि लॉन बाउल्स समर ओलंपिक गेम्स का हिस्सा नहीं हैं।"
यहां हम उन चार भारतीय महिलाओं के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने CWG 2022 में शानदार प्रदर्शन किया।
लवली चौबे
42 वर्षीय लवली चौबे इतिहास रचने वाली टीम की सबसे सीनियर सदस्य हैं।
3 अगस्त 1980 को झारखंड के रांची में जन्मीं लवली चौबे एक मध्यमवर्गीय परिवार से आतीं हैं। उनके पिता कोल इंडिया के एक सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं, जबकि उनकी मां एक गृहिणी हैं।
बड़ी होने के दौरान, लवली चौबे एक एथलीट थीं और स्प्रिंट और लॉन्ग जंप में प्रतिस्पर्धा करतीं थीं।
हालांकि, चोटों ने उनके ट्रैक और फील्ड करियर को छोटा कर दिया। लेकिन झारखंड पुलिस में बतौर कॉन्स्टेबल कार्यरत लवली, खेल में अपना करियर बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित थीं।
बिहार के पूर्व प्रथम श्रेणी क्रिकेट अंपायर मधुकांत पाठक से मुलाकात के बाद उनका करियर बदल गया। मधुकांत पाठक, जो एक लॉन बाउल्स कोच भी थे, उन्होंने लवली चौबे को लॉन बाउल्स में अपना हाथ आजमाने के लिए प्रेरित किया और यह लवली के जीवन का सबसे सही और अहम फैसला बन गया।
उन्होंने साल 2008 में अपनी पहले लॉन बाउल्स नेशनल प्रतियोगिता में भाग लिया और एक स्वर्ण पदक जीता। यहां से उन्हें पुरस्कार राशि के रूप में 70,000 रुपये मिले। उसी समय लवली ने सोच लिया कि वह लॉन बाउल्स को करियर के रूप में अपना सकतीं हैं।
लवली चौबे ने साल 2013 में एशिया पैसिफिक मर्डेका कप में मिश्रित जोड़ी स्वर्ण पदक जीतकर भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की। 2014 में, उन्होंने ग्लासगो 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया और चीन में एशियाई लॉन बाउल्स चैंपियनशिप में रजत पदक भी हासिल किया।
गोल्ड कोस्ट 2018 में, लवली चौबे ने रूपा रानी तिर्की के साथ मिलकर महिला युगल के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई। इसके अलावा उन्होंने तिर्की, फरजाना खान और नयनमोनी सैकिया के साथ मिलकर महिलाओं की चार सदस्यीय टीम स्पर्धा के अंतिम आठ में भी जगह बनाई।
बर्मिंघम 2022 में, लवली चौबे स्वर्ण पदक जीतने वाली महिला टीम की एक अभिन्न और अहम सदस्य हैं।
रूपा रानी तिर्की
लवली चौबे की तरह रूपा रानी तिर्की भी रांची की रहने वाली हैं और उनका जन्म 27 सितंबर 1987 को हुआ था।
वह एक पूर्व कबड्डी खिलाड़ी हैं। रूपा रानी तिर्की ने एक रिश्तेदार के कहने के बाद लॉन बाउल्स को करियर के रूप में आजमाने का फैसला किया। लेकिन, जैसे ही उन्हें यह एहसास हुआ कि लॉन बाउल्स में खिलाड़ियों के लिए राज्य सरकार की ओर से दी जाने वाली मदद कबड्डी की तुलना में ज्यादा बेहतरीन है, उन्हें इस खेल में करियर बनाने को लेकर कोई शक नहीं रह गया।
रूपा ने 2010 के बाद से हर राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। नई दिल्ली में अपने पहले अभियान के दौरान वह एक पदक जीतने के करीब भी पहुंची थीं। लेकिन, वह पिंकी और तानिया चौधरी के साथ खेलते हुए, इंग्लैंड के खिलाफ महिला ट्रिपल कांस्य पदक के प्लेऑफ में एक अंक से हार गई।
उन्होंने Olympics.com से बात करते हुए कहा, ''हमने तब अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन पदक जीतने में असफल रहे थे। उस दिन से हमने यह ठान लिया कि हम इस खेल को एक पहचान दिलाकर रहेंगे।''
रूपा ने कुआलालंपुर में एशिया पैसिफिक बाउल्स चैंपियनशिप 2009 में महिलाओं के ट्रिपल और चार सदस्यीय टीम स्पर्धा में क्रमश: एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीता। अभी हाल ही में, उन्होंने गोल्ड कोस्ट में आयोजित एशिया पैसिफिक बाउल्स चैंपियनशिप 2019 में महिलाओं के ट्रिपल स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया।
2020 से झारखंड सरकार में जिला खेल अधिकारी के रूप में कार्यरत, रूपा रानी तिर्की ने सेंट ऐंस गर्ल्स हाई स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और रांची के गोसनर कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की।
रूपा इसी साल (2022) जनवरी में शादी के बंधन में बंधी थी। वह ऑस्ट्रेलिया के कैरन मर्फी से प्रेरित हैं, जिनके नाम राष्ट्रमंडल खेलों में चार पदक हैं। रूपा ने कहा, "मैं उनकी तरह बनना चाहती हूं।"
पिंकी
दिल्ली की रहने वाली पिंकी का जन्म 14 अगस्त 1980 को हुआ था। नई दिल्ली के सलवान गर्ल्स पब्लिक स्कूल से स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, पिंकी ने कमला नेहरू कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्पोर्ट्स की डिग्री ली और SAI पटियाला से स्पोर्ट्स डिप्लोमा भी हासिल किया।
अपने कॉलेज के दिनों में, पिंकी एक क्रिकेट खिलाड़ी थी और यहां तक कि 90 के दशक के अंत तक वह क्रिकट की प्रतियोगिताओं में हिस्सा भी लेती रहीं। उन्होंने रानी झांसी ट्रॉफी जैसे क्रिकेट टूर्नामेंट में भी शिरकत की। वह सचिन तेंदुलकर की बड़ी प्रशंसक थीं।
हालांकि, लॉन बाउल्स से उनका परिचय 2007 में दिल्ली पब्लिक स्कूल आरके पुरम में एक पीई (शारीरिक शिक्षा) शिक्षक के रूप में काम करते हुए हुआ था, जब स्कूल के मैदान को दिल्ली के नागरिकों के लिए अभ्यास स्थल के रूप में चुना गया था।
सौभाग्य से, पिंकी ने न्यूनतम खिलाड़ियों का कोटा बनाने के लिए राष्ट्रीय टीम में जगह बनाई और इस खेल से अपरिचित होने और पहले कभी न खेलने के बावजूद भी रजत पदक जीत लिया। इस तरह से एक स्कूल टीम की क्रिकेट कोच ने लॉन बाउल्स चैंपियन बनने की अपनी यात्रा शुरू की। वह अब अपने स्कूल में लॉन बाउल्स खेल भी पढ़ाती हैं।
पिंकी ने 2009 में मलेशिया में आयोजित एशिया पैसिफिक लॉन बाउल्स चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता। इसके अगले साल, उन्होंने नई दिल्ली में हुए 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लिया। यहां वह महिलाओं के ट्रिपल स्पर्धा में पदक जीतने से महज थोड़ा पीछे ही रहीं थीं।
पिंकी ने Olympics.com से बातचीत में खुलासा किया, "मैं दो साल तक सो नहीं सकी। मैं आधी रात को जाग जाती थी और उस एक चीज के बारे में सोचती थी जिसने हमें कांस्य पदक जीतने से वंचित कर दिया। हमने बर्मिंघम में पदक जीतने के साथ खुद को साबित किया है।
पिंकी ने पिछले कुछ वर्षों में लॉन बाउल्स एशियाई चैंपियनशिप में भी कई पदक हासिल किया है। इसके अलावा 2014 और 2018 में आयोजित क्रमशः ग्लासगो और गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया है।
नयनमोनी सैकिया
नयनमोनी सैकिया का जन्म 21 सितंबर, 1988 को असम के गोलाघाट जिले में हुआ था और वह भारतीय लॉन बाउल्स की 'शानदार चार' की टीम में सबसे कम उम्र की खिलाड़ी हैं। उनके पिता एक किसान थे।
गोलाघाट कॉमर्स कॉलेज की छात्रा नयनमोनी सैकिया वर्तमान में असम वन विभाग में एक अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। यह पद उन्हें साल 2011 में मिला था। उन्होंने 2013 में एक स्थानीय व्यवसायी से शादी की और उनकी एक बेटी भी है।
नयनमोनी सैकिया ने Olympics.com को बताया, “मैंने इसके लिए अपने पूरे परिवार को पीछे छोड़ दिया। मैं अपनी बेटी को पर्याप्त रूप से समय नहीं दे पाती थी और उसे देख भी नहीं पाती थी क्योंकि मैं बहुत यात्रा कर रही होती थी। यह सब इसलिए क्योंकि मैं अच्छा प्रदर्शन करना चाहती थी।”
नयनमोनी सैकिया की कहानी भी उनकी टीम की बाकी साथियों से जुदा नहीं है। दरअसल, नयनमोनी ने भी अपने करियर की शुरुआत एक अन्य खेल से की थी। शुरुआत में वह भारोत्तोलन से जुड़ीं थीं। लेकिन पैर की चोट ने नयनमोनी सैकिया को भारोत्तोलन छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया और इस तरह उन्होंने 2008 में लॉन बाउल्स को करियर के रूप में चुना।बर्मिंघम में भारतीय भारोत्तोलकों के शानदार प्रदर्शन के बीच असम की इस लड़की ने लॉन बाउल्स की महिलाओं की चार सदस्यीय टीम स्पर्धा में जीत दर्ज कर स्वर्ण पदक हासिल करने में अहम भूमिका निभाई है।
वह इससे पहले मलेशिया में एशियाई चैंपियनशिप 2012 में अंडर -25 लड़कियों की एकल स्पर्धा के साथ-साथ नई दिल्ली में एशियाई चैंपियनशिप 2017 में महिला ट्रिपल में, रांची में आयोजित 2011 के राष्ट्रीय खेलों में महिला एकल और ट्रिपल स्पर्धा में और 2015 में केरल में महिला एकल और चार सदस्यीय टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं।
बर्मिंघम 2022 उनका तीसरा राष्ट्रमंडल खेल था।