वॉलीबॉल का इतिहास: साधारण शुरुआत से लेकर वैश्विक खेल तक

मूलत: मिंटोनेट कहे जाने वाले वॉलीबॉल की उत्पत्ति 1895 में मैसाचुसेट्स, संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई थी। इसके जनक अमेरिकी विलियम जी. मॉर्गन थे।

8 मिनटद्वारा रितेश जायसवाल
बास्केटबॉल, बेसबॉल, टेनिस और हैंडबॉल से मिलकर बना वॉलीबॉल का खेल
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वॉलीबॉल के खेल ने एक सदी से भी अधिक समय तक दुनिया पर अपनी छाप छोड़ने का काम किया है। इस खेल की शुरुआत बहुत ही साधारण तरीके से हुई।

वॉलीबॉल के जनक माने जाने वाले जी मॉर्गन (G Morgan) ने 1895 में एक विचार साझा किया, यह उन लोगों के लिए था जो बास्केटबॉल में ‘झटका’ या ‘धक्का’ लगने के डर की वजह से किसी अन्य शारीरिक गतिविधि या खेल के विकल्प की तलाश कर रहे थे।

इसके बाद मॉर्गन ने कई खेलों के विभिन्न पहलुओं पर नज़र डाली और उन चीज़ों की तलाश की जो उनकी सोच के मुताबिक सही बैठे।

बास्केटबॉल के खेल से ‘गेंद’, टेनिस से ‘नेट’ और हैंडबॉल से ‘हाथों का इस्तेमाल’ – इन तीनों चीज़ों मिलाकर वॉलीबॉल एक नया खेल बन गया। बाद में इस खेल को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए इसमें सेट जोड़ दिया गया, जिसे बेसबॉल से लिया गया।

मैसाचुसेट्स के होल्योके में यंग मेंस क्रिस्टैन एसोसिएशन (YMCA) के फिज़िकल डायरेक्टर के तौर पर कार्यरत मॉर्गन ने इस खेल की शुरुआत की। उस समय इसे मिंटोनेट के नाम से जाना जाता था।

मॉर्गन ने बताया, "एक उपयुक्त खेल की तलाश में, टेनिस मेरे दिमाग में आया, लेकिन इसके लिए रैकेट, गेंद, नेट और अन्य उपकरणों की जरूरत थी, इसलिए इसे हटा दिया गया, लेकिन नेट का विचार अच्छा लगा। हमने [नेट] को एक औसत आदमी के सिर से थोड़ी ऊंचाई तक लगाया। हमें एक गेंद की आवश्यकता थी और हमने जो गेंदें आजमाईं, उनमें बास्केटबॉल ब्लैडर भी शामिल था, लेकिन यह बहुत हल्का और धीमा था। इसलिए हमने बास्केटबॉल ही आजमाया, जो बहुत बड़ा और भारी था।"

1900 में एक नई विशेष रूप से डिजाइन की गई गेंद, जो हल्की और छोटी थी, पेश की गई।

फिर एक साल बाद मैसाचुसेट्स के स्प्रिंगफील्ड कॉलेज में YMCA फिजिकल डायरेक्टर की एक कॉन्फ़्रेंस में इस खेल पर एक बार फिर विचार किया गया और यह तय हुआ कि बिना किसी तय नियम और खेल फॉर्मेट के यह अधूरा है। आखिरकार यह खेल प्रतिनिधि मंडल का दिल जीतने में कामयाब रहा और जल्द ही पूरे अमेरिका में YMCA के बड़े नेटवर्क में इसे एक नए नाम ‘वॉली बॉल’ (शुरुआत में इसे दो अलग शब्दों में बांटा गया) के नाम से जाना जाने लगा।

बास्केटबॉल, बेसबॉल, टेनिस और हैंडबॉल की अलग-अलग खूबियों से मिलकर बने इस खेल को आज विश्व स्तर पर करीब 800 मिलियन से अधिक लोग खेलते हैं। यह खेल लोगों ने कितना पसंद किया, इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं।

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वॉलीबॉल का विकास

आने वाले वर्षों में इस खेल में कई नियमों को जुड़ते हुए देखा गया। वॉलीबॉल ने वैश्विक स्तर पर अपनी लोकप्रियता को YMCA के जरिए ही बढ़ाना जारी रखा।

भारत, चीन, यूरोप, दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका जैसे देशों में YMCA सोसाइटीज़ ने इसे आगे बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाई और जल्द ही वॉलीबॉल को यहां के लोग भी पसंद करने लगे।

एशिया में इस खेल को खूब पसंद किया गया। 1913 तक इस महाद्वीप में इस खेल के विकास को स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता था, क्योंकि उसी वर्ष मनीला में आयोजित पहले फार-ईस्टर्न खेलों में शामिल किया गया था।

साल 1900 में विशेष तौर पर एक हल्की और छोटी गेंद तैयार की गई, जिसने इस खेल की नई टैक्टिकल और टेक्निकल संभावनाओं को खोल दिया।

वॉलीबॉल खेलने के नियम कई वर्षों में स्थापित हुए हैं, 1917 में सेट के अंक 21 से घटाकर 15 अंक प्रति सेट कर दिए गए। इसके अगले वर्ष एक टीम में खिलाड़ियों की संख्या छह निर्धारित कर दी गई। ऐसे ही कई नियम समय के साथ जोड़े जाते गए।

कुछ साल बाद फिलीपींस में इस खेल को खेलने के एक नए आक्रामक तरीके का उदय हुआ, जिसमें सेटिंग और स्पाइकिंग शामिल हुआ। इसे वह ‘बॉम्बा’ या 'फिलिपिनो बम' कहते थे, इसमें तेज़ गति से गेंद को विरोधी टीम के कोर्ट में मारा जाता था।

नई रणनीति के अनुसार खेल के नियमों को और अधिक बेहतर और खिलाड़ियों से जुड़ा हुआ बनाया गया था, जिसमें स्कोरिंग प्रणाली और अधिकतम तीन हिट प्रति टीम का नियम शामिल था।

हालांकि, इस दौरान दुनियाभर के विभिन्न क्षेत्रों में वॉलीबॉल काफी हद तक प्रतिबंधित था। हालांकि विभिन्न देशों में कुछ नेशनल चैंपियनशिप जरूर कराई जाने लगी थीं, लेकिन सभी के नियम और सेट की संख्या निश्चित नहीं थी। यह सभी क्षेत्रों में अलग-अलग थी। लेकिन यह सबकुछ 1947 में बदल गया।

अंतरराष्ट्रीय निकाय की स्थापना

अप्रैल 1947 में फेडरेशन इंटरनेशनल डि वॉलीबॉल (FIVB) की स्थापना की गई। बेल्जियम, ब्राजील, चकोस्लोवाकिया, मिस्र, फ्रांस, नीदरलैंड, हंगरी, इटली, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, उरुग्वे, अमेरिका और यूगोस्लाविया सहित 14 देशों के प्रतिनिधि फ्रांस के पॉल लिबॉड के नेतृत्व में पेरिस में मुलाकात करते हैं। जहां सभी मिलकर एक एसोसिएशन बनाते हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल को नियंत्रित करता है।

लिबॉड इसके पहले अध्यक्ष की भूमिका संभालते हैं और वह 1984 तक इस पद पर काबिज़ रहते हैं। पहली विश्व चैंपियनशिप 1949 में पुरुषों के लिए और 1952 में महिलाओं के लिए आयोजित की गई थी। चेक गणराज्य की राजधानी प्राग पुरुषों की प्रतियोगिता की मेज़बानी करता है और मास्को महिलाओं की पहली वर्ल्ड मीट की मेज़बानी करता है।

यह धीरे-धीरे 222 संबद्ध निकायों के साथ दुनिया का सबसे बड़ा संगठन बन जाता है। वर्ल्ड चैंपियनशिप इस खेल के मुख्य आकर्षण वाला टूर्नामेंट बन जाता है। FIVB आगे चलकर अन्य कई इवेंट भी जोड़ता है - जैसे कि  FIVB वर्ल्ड लीग, FIVB वर्ल्ड ग्रैंड प्रिक्स, FIVB वर्ल्ड कप और FIVB ग्रैंड चैंपियंस कप। अंततः यह एक ओलंपिक खेल बन जाता है।

वॉलीबॉल बना एक ओलंपिक खेल

एक अंतरराष्ट्रीय निकाय की देखरेख में आगे बढ़ रहे इस खेल और इसकी लोकप्रियता ने जल्द ही साल 1957 में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) का ध्यान खींचा। जिसके चलते कुछ समय बाद ही इसे इनडोर वॉलीबॉल ओलंपिक खेल का दर्जा दे दिया गया।

हांलाकि, ओलंपिक डेब्यू करने से पहले इस कुछ और वर्षों का इंतज़ार करना पड़ा। अंतत: 1964 में टोक्यो में होने वाले ओलंपिक खेलों में पहली बार इस खेल को शामिल किया गया।

सोवियत संघ की पुरुषों की वॉलीबॉल टीम ने ओलंपिक में खेल के शुरुआती वर्षों में अपना दबदबा कायम रखते हुए तीन स्वर्ण पदक (टोक्यो 1964, मैक्सिको 1968, मास्को 1980), एक रजत (मॉन्ट्रियल 1976) और एक कांस्य पदक (म्यूनिख 1972) जीता।

संयुक्त राज्य अमेरिका की पुरुषों की वॉलीबॉल टीम ने लॉस एंजेलिस 1984 और सियोल 1988 में लगातार स्वर्ण पदक जीते, जबकि 1984 की रजत पदक विजेता ब्राजील की टीम ने 1992 में इस खेल में अपना पहला स्वर्ण पदक जीता।

यूएसए ने अपना तीसरा स्वर्ण बीजिंग 2008 में जीता और ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में सोवियत संघ के साथ खेल में संयुक्त रूप से सबसे सफल टीम बन गई।

ब्राज़ील मौजूदा ओलंपिक चैंपियन है, जिसने रियो 2016 में इटली पर जीत हासिल करते हुए घरेलू जमीं पर अपना दूसरा स्वर्ण पदक जीता।

ब्राज़ील (तत्कालीन सोवियत संघ) और इटली ने ओलंपिक खेलों में वॉलीबॉल में सबसे अधिक छह पदक हासिल किए हैं। दक्षिण अमेरिकी टीम अपने तीन स्वर्ण और तीन सिल्वर पदक के साथ सबसे सफल टीम का सम्मान हासिल किए हुए है।

महिलाओं की टीमों में पांच देशों ने वॉलीबॉल में ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते हैं, जिसमें सोवियत संघ ने छह (चार स्वर्ण और दो सिल्वर) पदकों के साथ सबसे आगे है। जापान और सोवियत संघ ने 1964 से 1980 तक ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में पहले चार स्वर्ण पदक मैच खेले।

जापान ने 1964 में टोक्यो में अपनी घरेलू धरती पर पहला फाइनल जीता था, जबकि सोवियत संघ ने 1968 के खेलों और 1972 में म्यूनिख में स्वर्ण पदक जीतने के लिए जापान को मात दी थी। जापान ने इसके बाद मॉन्ट्रियल 1976 में अपना दूसरा स्वर्ण पदक जीता था।

सोवियत संघ ने मॉस्को 1980 और सियोल 1988 में जीत हासिल करने के साथ दो और स्वर्ण पदक अपने खाते में जोड़ने का काम किया, जबकि चीन ने लॉस एंजेलिस 1984 और एथेंस 2004 में अपने दो-तीन पदक हासिल किए।

क्यूबा ने बार्सिलोना 1992, अटलांटा 1996 और सिडनी 2000 में लगातार तीन स्वर्ण पदक जीते, जबकि ब्राजील की महिलाओं की वॉलीबॉल टीम इस खेल में लगातार तीन स्वर्ण पदक जीतने वाली तीसरी टीम बन गई, जो उसने बीजिंग 2008 और लंदन 2012 में जीता।

इटली महिला वॉलीबॉल ओलंपिक चैंपियन है, जिसने पेरिस 2024 के फाइनल में संयुक्त राज्य अमेरिका को हराया है।

जबकि खेलों के 1964 संस्करण में महिला वर्ग में केवल छह टीमों ने खेला था, 1988 तक यह संख्या दोगुनी हो गई और तब से अब तक 12 टीमें हिस्सा ले रही हैं।

बीच वॉलीबॉल की शुरुआत

‘वॉलीबॉल’ के विस्तार की तरह ही ‘बीच वॉलीबॉल’ की जड़ें भी अमेरिका से जुड़ी हुई हैं। लेकिन इस खेल को एक बड़े समुदाय तक पहुंचने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ा।

अटलांटा ओलंपिक खेलों के लिए 1996 में ओलंपिक प्रोग्राम में बीच वॉलीबॉल को भी शामिल किया गया। यह एक ऐसा कदम था जिसने इस खेल को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई और इसकी लोकप्रियता को एक नए स्तर पर ले जाने में मदद की।

संयुक्त राज्य अमेरिका ने ओलंपिक में अब तक सात स्वर्ण, दो रजत और दो कांस्य पदक (पुरुष और महिला) जीतते हुए ओलंपिक में इस इवेंट में अपना वर्चस्व कायम रखा है।

ओलंपिक में उनकी जीत के बाद 1997 में FIVB बीच वॉलीबॉल विश्व चैंपियनशिप का उद्घाटन हुआ।

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