ओलंपिक फ्लैग हैंडओवर समारोह की परंपरा और इतिहास 

पहली बार 1920 में शुरू किए गए ओलंपिक ध्वज सौंपने की प्रथा, ओलंपिक खेलों के समापन समारोह का एक अटूट हिस्सा बन गया है।

3 मिनटद्वारा विवेक कुमार सिंह
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8 अगस्त को टोक्यो 2020 ओलंपिक खेलों का आधिकारिक रूप से समापन हो जाएगा। समापन समारोह में ओलंपिक फ्लेम को बुझा दिया जाएगा। इस दौरान कई बेहतरीन पल देखने को मिलेंगे, जिसमें पेरिस के मेयर ऐनी हिडाल्गो को ओलंपिक ध्वज सौंपना भी शामिल है।

लेकिन हैंडओवर का क्या महत्व है? ये कब शुरू हुआ, और इसमें कितने चरण फॉलो किए जाने चाहिए?

यहां आपको ओलंपिक ध्वज सौंपने के समारोह के बारे में और अधिक जानने को मिलेगा।

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ओलंपिक फ्लैग हैंडओवर सेरेमनी क्या है?

समापन समारोह के दौरान ओलंपिक ध्वज को सौंपना एक प्रतीकात्मक पल होता है जब एक शहर – जैसा की अभी पेरिस - आधिकारिक तौर पर ओलंपिक खेलों का अगला मेजबान शहर बन जाता है।

समापन समारोह का हैंडओवर वाली प्रक्रिया ओलंपिक ध्वज के बाईं ओर ग्रीक ध्वज उठाए जाने के बाद होती है, और तब ग्रीस के ओलंपिया में हुए पुराने ओलंपिक खेलों और आधुनिक खेलों के बीच के महत्व को दर्शाने के लिए ग्रीस का राष्ट्रगान बजाया जाता है

इसके बाद ओलंपिक ध्वज को उतारा जाता है और स्टेडियम से बाहर ले जाया जाता है क्योंकि ओलंपिक गान बज चुका होता है। वर्तमान मेजबान शहर और अगले मेजबान शहर के मेयर मंच पर अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) के अध्यक्ष के साथ इसमें शामिल होते हैं (जैसा कि हमने देखा टोक्यो 2020 समापन समारोह में टोक्यो के गवर्नर युरिको कोइके और पेरिस की मेयर ऐनी हिडाल्गो अध्यक्ष थोमस बाक के साथ इस समारोह में शामिल हुए)।

मेजबान शहर का मेयर तब आईओसी अध्यक्ष को एक विशेष ओलंपिक ध्वज सौंपता है, जिसे वो अगले ओलंपिक खेलों की मेजबानी करने वाले शहर के मेयर को सौंपता है; ध्वज हासिल करने वाले मेयर तब आठ बार ध्वज फहराते हैं। ये एक अनोखा ध्वज होता है, जो खेलों के दौरान खुद उड़ने वाले झंडे से अलग होता है। आम तौर पर ये ध्वज अगले चार सालों तक ओलंपिक खेलों की तैयारी के दौरान मेजबान शहर के सिटी हॉल में प्रदर्शित होता है।

अगले मेजबान देश का ध्वज तब वर्तमान मेजबान देश के ध्वज के दाईं ओर रखा जाता है और इसी तरह उसका राष्ट्रगान बजाया जाता है।

ओलंपिक ध्वज सौंपने का इतिहास

ध्वज सौंपने के समारोह को कभी-कभी एंटवर्प समारोह के रूप में जाना जाता है, क्योंकि ये परंपरा 1920 ओलंपिक खेलों में शुरू हुई थी जब बेल्जियम के एंटवर्प शहर में आईओसी ने पहली बार ओलंपिक ध्वज प्रस्तुत किया गया था। खेलों के समापन पर पेरिस 1924 ओलंपिक के दौरान एक नया ध्वज बनाया गया था, लेकिन ध्वज को अभी भी "एंटवर्प ध्वज" के रूप में जाना जाता है।

एंटवर्प ध्वज का उपयोग 1984 के लॉस एंजलिस ओलंपिक में हैंडओवर समारोह के दौरान किया गया था। दक्षिण कोरिया के सियोल शहर में आयोजित 1988 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में आईओसी ने एक नया ध्वज प्रस्तुत किया था, जिसके बाद से इसे "सियोल ध्वज" के रूप में जाना जाने लगा और इसका उपयोग लंदन 2012 ओलंपिक खेलों तक किया गया था।

रियो 2016 ओलंपिक खेलों के समापन पर, सियोल ध्वज की जगह आईओसी के सामने एक नया ध्वज प्रस्तुत किया गया था, ये ओलंपिक ध्वज का नया रूप है जो अब हैंडओवर समारोह के दौरान उपयोग किया जाता है।

पहला शीतकालीन ओलंपिक फ्लैग हैंडओवर नॉर्वे के ओस्लो में हुए 1952 शीतकालीन ओलंपिक में हुआ था। "ओस्लो ध्वज" आखिरी बार सोची 2014 शीतकालीन ओलंपिक के समापन समारोह में इस्तेमाल किया गया था। प्योंगचांग शहर ने 2018 शीतकालीन ओलंपिक के समापन समारोह में ओस्लो ध्वज की जगह एक नया ध्वज प्रस्तुत किया, जो ध्वज आज भी उपयोग किया जाता है।