सुयश मेहता से मिलिए, जिनके इशारे पर खेलते हैं NBA के स्टार खिलाड़ी

भारतीय मूल के सुयश मेहता ने NBA में रेफरी बनने के लिए मेडिकल की पढ़ाई छोड़ दी। उनके लिए ये किसी सपने के सच होने जैसा है।

5 मिनटद्वारा विवेक कुमार सिंह
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(2020 Getty Images)

इन दिनों आप सुयश मेहता (Suyash Mehta) को नेशनल बास्केटबॉल एसोसिएशन (National Basketball Association) के खेल में रेफरी का काम करते हुए देख सकते हैं। जिनके इशारे पर लेब्रोन जेम्स, स्टीफन करी, जेम्स हार्डन और बास्केटबॉल की दुनिया के सभी बड़े सितारे खेलते नज़र आएंगे।

हालाँकि, सुयश आज इस जगह पर नहीं पहुंच पाते अगर वो रेफरी बनने के लिए मेडिकल की पढ़ाई को नहीं छोड़ते।

दिसंबर में सुयश मेहता NBA के स्थाई कर्मचारी अधिकारी के रूप में प्रमोट होने वाले पहले भारतीय मूल के रेफरी बन गए।

मेहता ने कहा, "ये कुछ ऐसा है जिसे मैं कभी नहीं भूलूंगा।" “मुझे हमारे डायरेक्ट सुपरवाइजर का फोन आया। मुझे ये समझने में ज्यादा समय नहीं लगा कि अब मेरे संघर्ष और बलिदान का नतीजा आखिरकार मिलने वाला है।”

सुयश मेहता के लिए ये निर्णय लेना आसान नहीं था। लेकिन इन सबके बीच सबसे मुश्किल काम था उनको भारत में जन्मे अपने माता-पिता को आश्वस्त करना कि वो मेडिकल की लाइन से निकलकर खेल के मैदान तक का सफर तय करना चाहते हैं।

सुयश ने कहा, "इस सपने को आगे बढ़ाने के लिए मैं जो सोच रहा था, उसे समझने के लिए पहला साल वाकई मुश्किल था।"

एनबीए की आधिकारिक माइनर लीग जी लीग में काम पर रखे जाने से पहले सुयश मेहता अपने माता-पिता को बताए बिना हाई स्कूल और कॉलेज बास्केटबॉल खेल में रेफरी की भूमिका निभाते थे।

"हर बार की तरह मैं माँ और पिताजी से यही कह कर जाता था कि मैं बाहर जा रहा हूं, मुझे काम पर जाना है। उन्हें कभी पता नहीं चला कि मैं कहाँ जा रहा था और मैं क्या कर रहा था। उन्हें लगता था कि मैं जिम जा रहा हूं और दो-तीन घंटे में वापस आ जाऊंगा।”

उनके पिता, एक डॉक्टर थे, जो चंडीगढ़ में पैदा हुए थे, और उनकी माँ, एक वनस्पति वैज्ञानिक थीं, जो उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की निवासी थीं, उन्होंने कभी कोई लाइव मैच नहीं देखा था और उनके लिए अपने बेटे के करियर के लिए नई पसंद को स्वीकार करना मुश्किल लगा।

ऐसा तब तक था जब तक उन्होंने अपने बेटे को एक्शन में नहीं देखा था।

मेहता ने कहा, "मुझे लगता है कि असली स्वीकृति तब मिली जब मैं अपने माता-पिता को लॉस वेगास समर लीग में ले गया। मैंने अपने पहले साल में जो कुछ भी कमाया उसे बचाया और लॉस वेगास के लिए हवाई जहाज के टिकट बुक किए, उन्हें एक होटल के कमरे में रखा और उन्हें मेरे पहले मैच के लिए आमंत्रित किया।”

“वो कोर्ट के बाहर बैठे थे। मुझे याद है कि उनके चेहरे को देखकर लग रहा था कि वो मुझे कोर्ट में देखकर बहुत खुश थे। उस समय, वे समझ गए कि यह एक बड़ी बात थी।”

वहाँ से सुयश को जो भी मौके मिले उनका उन्होंने जमकर फायदा उठाया। कॉलेजिएट कॉन्फ्रेंस में रेफरी की भूमिका निभाने के बाद सुयाश ने जी लीग के पांच सीजन में रेफरी की भूमिका निभाई और फिर उन्हें अब NBA में रेफरी की भूमिका निभाने का मौका मिल रहा है।

NBA में पहले भारतीय मूल के रेफरी के रूप में उनका जीवन

सुयश मेहता का बचपन काफी कठिन था, वो बाल्टिमोर में बड़े हुए, जहां किसी भी खेल में भारतीय-अमेरिकियों के प्रतिनिधित्व की कमी थी। हालांकि NBA में उनका अनुभव शानदार रहा है।

“यह एक दिल को खुश करने वाला अनुभव था क्योंकि मेरा बचपन इससे काफी अलग था। बचपन पड़ोस के छोटे बच्चों और हाई स्कूल के बच्चों के साथ बिताना आसान नहीं होता।

"लेकिन NBA ने रोमांच और विविधता के ऐसे बेहतरीन संबंध को बढ़ावा दिया है जो हर समय आपका स्वागत करता है।"

हालांकि सुयश अपने करियर में उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं, उनका मानना ​​है कि सुधार के लिए हमेशा जगह है, खासकर जब दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के साथ वो कोर्ट पर होंगे। वो मानते हैं कि वो अभी भी अपने मेंटॉर के माध्यम से सीख रहे हैं।

एक दूसरी और सबसे महत्वपूर्ण चीज जो मेहता को अपने स्किल्स को विकसित करने में मदद करता है, वो है प्रशंसकों की आलोचना और प्रतिक्रिया।

हालांकि प्रशंसकों के लगातार ताने कई बार हताश कर सकते हैं, बावजूद इसके सुयश ने आलोचनाओं को अपने निर्णय लेने के कौशल में सुधार करने के लिए इस्तेमाल किया है।

"आलोचना या प्रशंसा से वास्तव में कभी ज्यादा फर्क नहीं पड़ा, जिसने कभी मुझे बहुत ज्यादा हैरान किया हो... कभी-कभी तो मेरा ध्यान भी उधर नहीं जाता। कभी कभी मैं ये कहने के लिए मजबूर हो जाता हूं कि आपको पता है आपके जैसा यहां 20000 से अधिक लोगों को लगता है कि मैं गलत हूं लेकिन मैं जानता हूं कि मैं सबसे अच्छा हूं।“

हालांकि, सुयश ने ये भी मानते हैं कि वो क्लोज विंडो के पीछे हो रहे गेम्स में फैंस को बहुत मिस करते हैं।

इस सीज़न को भले ही बायो बबल्स में खेला जा रहा है लेकिन सुयश को अब भी वह पसंद है जो वो मैच के दौरान करते हैं और उनके लिए NBA के साथ काम करना बहुत गर्व की बात है।

भारत में NBA

हालांकि बास्केटबॉल पिछले कुछ समय से यूएसए में एक लोकप्रिय खेल है, लेकिन यह धीरे-धीरे भारत में भी अपने पैर पसार रहा है।

पहली बार 2019 में एनबीए इंडिया गेम्स के दौरान इंडियाना पेसर्स और सैक्रामेंटो किंग्स के बीच एक मुकाबला खेला गया था।

सुयश ने धन्यवाद देते हुए कहा,"जब भारत में पहले NBA खेल की घोषणा की गई थी, तो मैं बहुत खुश था!"

हालांकि सुयश का जन्म और परवरिश मैरीलैंड में हुआ है, लेकिन वो भारतीय संस्कृति से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं।

“हमारी पहली भाषा हिंदी थी। हमारी पूरी जड़ मेरे माता-पिता पर आधारित है जो हमें भारतीय मूल्य सिखा रहे हैं और मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मेरी परवरिश ऐसे माहौल में हुई। ”

सुयश ने कई बार भारत का दौरा किया और देश में खेल के भविष्य को देखते हुए खुद को आश्वस्त महसूस किया।

“मुझे खुशी है कि भारत में इस खेल के लिए और अधिक जागरूकता लाई जा रही है। मैं बास्केटबॉल के भविष्य और इस खेल को खेलने वाले छोटे बच्चों से मिलने के लिए उत्साहित हूं, इससे पता चलता है कि देश में प्रतिनिधित्वता बढ़ रही है।