भारतीय राइफल शूटर संजीव राजपूत (Sanjeev Rajput) फिलहाल शादी का नहीं सोच रहे और उससे पहले भारत के लिए ओलंपिक मेडल जीतना चाहते हैं।
पूर्व 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन वर्ल्ड चैंपियन 39 वर्षीय संजीव अपने निजी सपनों को अभी कुछ समय के लिए रोक देना चाहते हैं और अपने ओलंपिक के सपने की ओर बढ़ना चाहते हैं।
टोक्यो 2020 की ऑफिशियल वेबसाइट से बात करते हुए उन्होंने कहा “कभी कभी मुझे लगता है कि मैं ओलंपिक मेडल जीतने के बाद ही शादी करूँगा।”
“मुझे नहीं पता सामने वाला (पत्नी) इंसान कैसा निकलेगा और क्या वह मुझे सपोर्ट करेगा या नहीं। मैं चांस नहीं ले सकत, तो ऐसे में मुझे लगा कि मुझे पहले मेडल जीतना चाहिए और उसके बाद ही शादी का सोचना चाहिए।”
अगले साल जापान में होने वाले टोक्यो ओलंपिक गेम्स के लिए राजपूत ने कोटा स्थान हासिल कर लिया है। ग़ौरतलब है कि यह कीर्तिमान उन्होंने 2019 ISSF वर्ल्ड कप के दौरान हासिल किया।
भारत की ओर से 15 शूटरों ने कोटा स्थान जीता है और इसी वजह से राजपूत तीसरी बार ओलंपिक गेम्स का हिस्सा होने जा रहे हैं। पहली बार वह 2008 बीजिंग में भारत की ओर से खेलते दिखाई दिए थे और उसके बाद 2012 लंदन गेम्स में भी उन्होंने शिरकत की थी और अब बारी है टोक्यो 2020 की।
ग़ौरतलब है कि संजीव राजपूत 2016 रियो ओलंपिक गेम्स के लिए भी जाने वाले थे लेकिन आख़िरी समय पर उनकी जगह एक शॉटगन शूटर को दे दी गई और इस वजह से उन्हें झटका भी लगा।
बातचीत को आगे बढ़ाते हुए राजपूत ने कहा “उस समय मेरे सारे सपने टूट गए थे। जब भारतीय खिलाड़ियों के लिए रवाना होने का आख़िरी दिन था तब भी मैं आस लगाए बैठा था। लेकिन वह हो नहीं पाया।”
अभी तक इस एथलीट का सफ़र मिला जुला रहा है। इन्होंने उसी शूटिंग रेंज पर टोक्यो 2020 का कोटा हासिल किया है जिस रेंज पर उनके रियो के सपने टूटे थे।
“यह महज एक इत्तेफाक नहीं है, मैंने प्लान के तहत ही काम किया है और हर बारीक से बारीक चीज़ को मद्देनज़र रखा है। रियो ISSF वर्ल्ड कप के दौरान टोक्यो ओलंपिक का कोटा जीत कर मैंने दो उद्देश्यों को पूरा किया है।”
राजपूत जानते हैं कि टोक्यो में मेडल जीतना उनके लिए कितना महत्वपूर्ण हैं। कोरोना वायरस (COVID-19) जैसी परिस्थितियों में इस जीत के मायनें और भी बढ़ जाते हैं।
संजीव राजपूत ने आगे अलफ़ाज़ साझा करते हुए कहा “यूरोपियन शूटर खेलना और स्पर्धा करना शुरू कर चुके हैं। इस वजह से हमारे बीच में एक गैप बन गया है। इसका यह मतलब है कि मुझे उनके मुकाबले दुगना काम करना होगा और मुझे यकीन है कि में कर पाऊंगा।”