सईद फज़लौला को जानें: टोक्यो ओलंपिक के लिए तैयारी कर रहे एक रिफ्यूजी कैनोई स्प्रिंटर

ईरान में जन्मे सईद फज़लौला अब IOC रिफ्यूजी एथलीट स्कॉलरशिप के समर्थन से जर्मनी में प्रशिक्षण लेते हैं और अब उनकी नज़र टोक्यो 2020 पर है।

3 मिनटद्वारा रितेश जायसवाल
Saeid Fazloula, IOC Refugee Scholarship Holder PIcture Credit: Helge Prang

सईद फज़लौला एक कैनोई स्प्रिंटर हैं, जो IOC रिफ्यूजी एथलीट स्कॉलरशिप के समर्थन से कार्लश्रुहे में प्रशिक्षण ले रहे हैं।

2015 में उन्हें ईरान से भागने के लिए मजबूर किया गया था, जिसके बाद वह कई जोखिम उठाते हुए अपना रास्ता बनाकर बाल्कन रूट के जरिए जर्मनी पहुंचे थे।

वह एक बेहतरीन पैडलर के रूप में वहां पहुंचे: ईरानी ध्वज के तहत प्रतिस्पर्धा करते हुए वह तीन बार एशियाई उपविजेता रहे, लेकिन दूसरी आईओसी रिफ्यूजी ओलंपिक टीम का हिस्सा बनने के लिए उन्हें काफी कड़ी मेहनत करनी पड़ी।

ईरान के झंडे के अंतर्गत हासिल की गई उपलब्धि के साथ, उनकी आधिकारिक स्थिति बहुत जटिल थी और फज़लौला को टोक्यो ओलंपिक में रिफ्यूजी टीम का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार हासिल करने के लिए कई वर्षों तक काम करना पड़ा।

इंटरनेशनल कैनोई फेडरेशन को भी अपने नियमों को बदलाव करना पड़ा, क्योंकि उनकी इस स्थिति के सामने आने से पहले ऐसा कोई नियम मौजूद नहीं था कि राजनीतिक या धार्मिक कारणों से अपना देश छोड़ने वाले एथलीटों को कैसे इस इवेंट में हिस्सा लेने की अनुमति दी जा सकती है।

सौभाग्य से, एक ओर जहां फज़लौला ईरान में अपने परिवार को पीछे छोड़ कर आए, वहीं दूसरी ओर उन्हें राइनब्रुडर कार्लश्रुहे कैनोई और कायक क्लब के तौर पर एक नया परिवार मिल गया। और इनका साथ पाकर वह गर्मी में होने वाले टोक्यो 2020 का टिकट हासिल करते हुए वहां प्रतिस्पर्धा करने के सपने को हकीकत में बदल सकते हैं।

फज़लौला को जर्मनी में बहुत प्यार मिला। उनके दोस्तों, समर्थकों, कोच और अधिकारियों का एक करीबी समूह अपना समय और ऊर्जा खर्च करके उन्हें अपने सपने का पीछा करने के लिए मदद करने को तैयार रहा।

अपने कोच, मेंटर और पिता के समान डेटलेफ हॉफमैन और कई अन्य लोगों के साथ के बिना 28 वर्षीय कैनोई स्प्रिंटर आज ओलंपिक टिकट के लिए दावेदार भी न होते।

उनके मामले में एक बड़ी बात यह भी शामिल थी कि ईरानी मूल का यह एथलीट 'सफल सामुदायिक एकीकरण के लिए एक रोल मॉडल' है, जैसा कि इंटरनेशनल कैनोई फेडरेशन की आधिकारिक वेबसाइट पर बताया गया है।

जब पता चला कि सईद को जून 2019 में शरणार्थी दिवस के मौके पर आईओसी रिप्यूजी एथलीट स्कॉलरशिप प्रदान की जा रही है तो इस एथलीट के साथ-साथ काफी लोगों को खुशी मिली और थोड़ी राहत महसूस हुई।

28 वर्षीय ने कहा, “मैं थोड़ी राहत महसूस कर रहा हूं। यह काफी लम्बा और कठिन सफर रहा है। इतने सारे लोग मेरे साथ और मेरे लिए लड़े। मैं आज आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं।"

भले ही इस स्कॉलरशिप का मिलना उनके 2021 की गर्मियों में टोक्यो 2020 में फाइनल रिफ्यूजी टीम में जगह मिलने की गारंटी नहीं है, लेकिन फज़लौला 37 रिफ्यूजी एथलीट स्कॉलरशिप धारकों में से एक हैं।

फाइनल रिफ्यूजी टीम की घोषणा जून 2021 में की जाएगी और फज़लौला का ध्यान पूरी तरह से उसी पर केंद्रित है। इसके लिए वह हर एक दिन कठिन प्रशिक्षण भी ले रहे हैं।

उन्होंने जर्मन आउटलेट ड्यूचलैंडफंक को बताया, "आप बहुत अधिक सफल तभी हो सकते हैं, जब आपको कई लोगों का ढ़ेर सारा प्यार मिले।"

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