प्लेबैक रियो: अद्भुत बैटन पासिंग तकनीक से जापान ने 37.60 में रचा इतिहास 

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(2016 Getty Images)

2016 रियो ओलंपिक खेलों में जापान ने कुल 41 पदक (12 स्वर्ण, 8 रजत, 21 कांस्य) जीते लेकिन जो खिलाड़ी वह पदक जीतें, उनके दिमाग में क्या चल रहा था? इस श्रृंखला में हम याद करेंगे उन लम्हों को जिन्होंने जापान के इतिहास में अपनी जगह बनाई।.

***पुरुषों की 4x100 मी रीले - परिणाम ***

  • प्रथम स्थान: जमैका - 37.27
  • दूसरा स्थान: जापान - 37.60
  • तीसरा स्थान: कनाडा - 37.64

पुरुषों की 4x100 मी रीले के फाइनल में विश्व इतिहास के सबसे तेज़ धावक, Usain Bolt का पीछा करने का दारोमदार जापान की ओर से CAMBRIDGE Aska को दिया गया था। Aska ने उम्मीद से बढ़ कर प्रदर्शन दिखाया और आखरी 100 मीटर में उन्होंने जापान को न केवल पदक दिलाया, एक नया एशिआई किरितमान (37.60) भी स्थापित किया।

लेकिन क्या था जापान की जीत का राज़ - 'अंडर-हैंड' बैटन पासिंग तकनीक!

जापान की इस ऐतिहासिक दौड़ के पीछे का सबसे बड़ा कारण था उनकी बैटन पास करने की तकनीक, जिसने उन्हें बाकी देशों के धावकों को परास्त करने में बहुत सहायता करी। प्रबल दावेदार देश (अमरीका, कनाडा और ब्रिटेन) के धावक से धीरे होने के बावजूद जापान ने दूसरा स्थान हासिल किया, उसका कारण? 'अंडर-हैंड' बैटन पासिंग तकनीक।

एक तरफ जब बाकी देश बैटन को कमर के ऊपर से पास कर धावक की दूरी कम करने का प्रयास कर रहे थे, जापान नीचे से पास कर आगे निकल गया। 'ओवर-हैंड' तकनीक से धावक को कम दूरी ज़रूर दौड़नी पड़ती है पर उनकी गति धीरे हो जाती है, जिस चीज़ का फायदा जापान ने उठाया। अंडर-हैंड तकनीक से सारे जापानी धावकों ने अपनी बनाए रखी और इतिहास रच दिया।

2016 रियो खेलों में जापान अकेला देश था जिसने 4x100 मी रीले के फाइनल में अंडर-हैंड तकनीक का इस्तेमाल किया था। अभ्यास सत्रों में जापान ने इस तकनीक में बारीकी बदलाव लाकर अपनी कुशलता और दावेदारी को बढ़ाया। इस तकनीक को इस्तेमाल कर, उन्होंने बाकी देशों और अपने बीच की दूरी काफी हद्द तक कम दी थी।

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अंतिम दौड़ में जापान की ओर से पहले धावक, YAMAGATA Ryota, ने अद्भुत प्रदर्शन दिखाते हुए सारे प्रबल दावेदारों से बराबरी रखीी। दूसरे धावक IIZUKA Shota ने जापान की उम्दा शुरुआत को बरक़रार रखा और इसका सबसे बड़ा कारण था उनकी बैटन पासिंग तकनीक, और तीसरे धावक KIRYU Yoshihide ने कमाल दिखते हुए जापान को जमैका के लगभग बराबर कर दिया।

जापान के आखरी धावक थे Cambridge, जिन्होंने अंडर-हैंड बैटन पासिंग तकनीक से मिली बढ़त का फायदा उठाया और Bolt के अलावा सभी धावकों को परास्त किया। 2016 रियो खेलों के समय जापान के चारों धावकों का व्यक्तिगत सर्वश्रेठ प्रदर्शन 10 सेकंड से ज़्यादा था।

रियो 2016 खेलों में Yamagata और Cambridge को पुरुषों के 100 मी सेमी-फाइनल में हार का सामना करना पड़ा जबकि Kiryu पहले ही राउंड में ही बहार हो गए और चौथे धावक Iizuka भी 200 मी के पहले ही राउंड से आगे नहीं बढ़ पाए। वहीं दूसरी ओर, जमैका और अमरीका के चारों धावकों का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 10 सेकंड से कम था।

Bolt ने जापानी टीम की तारीफ़ करते हुए कहा, "जापान ने उम्दा प्रदशन दिखाया और मैं उनके अद्भुत बैटन पासेज़ देख कर चौंक गया था।'

लेकिन क्या सिर्फ बैटन पासिंग की वजह से जापान ने इतना बड़ा इतिहास रच दिया? हालांकि जापानी टीम के सारे धावकों को व्यक्तिगत प्रतियोगिता में निराशा का सामना करना पड़ा, उन्होंने पहले से बेहतर प्रदर्शन दिखाया और रीले में इसका नतीजा देखने को मिला।

2008 के बीजिंग खेलों में जापान ने 4x100 मी रीले प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता, जो की 2018 दिसंबर में रजत हो गया। ठीक 8 साल बाद रियो में जापान ने एक कदम आगे जाते हुए रजत पदक हासिल किया और अगर टोक्यो में स्वर्ण उनका लक्ष्य है तो बैटन पासिंग के साथ-साथ उन्हें व्यक्तिगत प्रदर्शन में सुधार लाना होगा।

Yamagata, जापान रीले टीम के प्रथम धावक, इस चुनौती को स्वीकार कर चुके हैं। 'रजत पदक जीतने का मतलब है की अब हम स्वर्ण का लक्ष्य रख सकते हैं और जब टोक्यो में ओलंपिक खेल होंगे, तो हमारी नज़र स्वर्ण पर होगी,' उन्होंने कहा।

Cambridge ने अपने टीम मेट की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा,' इस बार हमारी बैटन पासिंग अच्छी थी पर अगली बार हम वियक्तिगत प्रदर्शन में सुधर लाना चाहेंगे।'

अगर यह चारों धावक टोक्यो खेलों में 100 मी 10 सेकंड से कम में पूरी कर लें, जापान का स्वर्ण पदक जीतने का स्वप्न सच्चाई में परिवर्तित हो सकता है।

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