दीप्ति जीवनजी पैरालंपिक पदक जीतने वाली पहली बौद्धिक रूप से कमजोर भारतीय एथलीट बन गईं
दीप्ति जीवनजी ने पेरिस 2024 में इतिहास रच दिया। वह मंगलवार को महिलाओं के 400 मीटर T20 वर्ग में कांस्य के साथ पैरालंपिक पदक जीतने वाली पहली बौद्धिक रूप से कमजोर भारतीय एथलीट बन गईं।
20 वर्षीय भारतीय पैरा-एथलीट ने 55.82 सेकेंड में रेस को समाप्त किया। वह यूक्रेन की यूलिया शुलियार और तुर्की की आयसर ओन्डर से पीछे रहीं, जिन्होंने क्रमशः 55.16 और 55.23 सेकेंड में फिनिश लाइन को पार किया।
T20 वर्ग बौद्धिक अक्षमता वाले एथलीटों के लिए आरक्षित है। पैरालंपिक खेलों में प्रतिस्पर्धा करने वाली इस श्रेणी में भारत की पहली एथलीट दीप्ति को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो उनके संचार और समझ कौशल को प्रभावित करती हैं।
तेलंगाना के एक छोटे से गांव में जन्मी दीप्ति को शुरुआती जीवन में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। गांव के लोगों ने उनके माता-पिता से उनकी परेशानियों की वजह से उन्हें छोड़ देने को कहा, लेकिन वित्तीय कठिनाइयों के बावजूद दीप्ति के माता-पिता हर सुख-दुख में उनके साथ खड़े रहे।
दीप्ति की प्रतिभा का पता कोच एन. रमेश को तब चला जब वह 15 वर्ष की थीं और उसके बाद से उन्होंने लगातार खुद को बेहतर ही किया है।
वह मौजूदा पैरा वर्ल्ड चैंपियन और 2023 एशियन पैरा गेम्स की स्वर्ण पदक विजेता हैं। वर्ल्ड चैंपियनशिप में, उन्होंने 55.07 सेकेंड का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था, जिसे ओन्डर ने सोमवार को तोड़ दिया, जब उन्होंने हीट में 54.96 सेकेंड का समय दर्ज किया।
दीप्ति का पदक पेरिस 2024 में भारत का 16वां पैरालंपिक पदक और एथलेटिक्स में छठा पदक था।
सुमित अंतिल ने पुरुषों के जैवलिन थ्रो F64 वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। निशाद कुमार (पुरुषों की लॉन्ग जंप T47) और योगेश कथूनिया (पुरुषों के डिस्कस थ्रो F56) ने रजत पदक जीते, जबकि प्रीति पाल ने महिलाओं की 100 मीटर और 200 मीटर स्पर्धाओं में T35 वर्ग में कांस्य पदक जीते।