Paavo Nurmi: दो घंटे में दो विश्व रिकॉर्ड बनाने वाले महान धावक
ओलिंपिक खेलों में विश्व के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी रिकॉर्ड बनाते और कई अद्भुत कहानियों को जन्म देते हैं। इसके साथ ओलिंपिक खेल प्रतियोगिताएं भावुक, हास्यास्पद और दुखी क्षणों का एक संग्रह भी है। हर सप्ताह हम आपको एक ऐसी कहानी बताते हैं जो आपको हसायेगी या भावुक कर देगी। इस सप्ताह हम आपको बताएँगे फ़िनलैंड के खिलाड़ी Paavo Nurmi के बारे में और कैसे उन्होंने दो घंटे में दो विश्व रिकॉर्ड बनाये थे।
पहले की कहानी
पेरिस में आयोजित होने वाले 1924 ओलिंपिक खेलों की शुरुआत होने से पहले ही खेल जगत में Paavo Nurmi को विश्व के सर्वश्रेष्ठ धावकों में से गिना जाता था। ऐंटवर्प में आयोजित खेलों में चार साल पहले ही Nurmi ने एक अविश्वसनीय प्रदर्शन में 10,000 मी, क्रॉस कंट्री और टीम क्रॉस कंट्री प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक जीत कर सबको चौंका दिया। लेकिन एक और दिलचस्प बात ऐंटवर्प खेलों में हुई और वह एक लौता मौका बना जब Paavo Nurmi किसी दुसरे देश के धावक से ओलिंपिक फाइनल में हारे। पुरुषों के 5000 मी के फाइनल में फ्रांस के Joseph Guillemot ने उन्हें स्वर्ण जीतने से रोक दिया।
उस एक हार से शायद Nurmi को बहुत बुरा लगा और उन्होंने अगले तीन वर्षों में अनेक विश्व रिकॉर्ड बना कर मील, 5000 मी और 10000 मी प्रतियोगिताओं में अपना दबदबा बनाया।
यह एक ऐसी उपलब्धि है जिसकी बराबरी कोई खिलाड़ी आज तक नहीं कर पाया है। इन सभी कारणों से Nurmi 1924 पेरिस खेलों में स्वर्ण जीतने के सबसे प्रबल दावेदार थे लेकिन उनके लिए यह सफर इतना आसान नहीं रहा।
फाइनल मुकाबला
Nurmi पेरिस खेलों के लिए अपनी रणनीति बना कर 1924 में फ्रांस पहुंचे और उनका लक्ष्य साफ़ था।
इस बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "मैंने छह महीने पहले ही निर्णय ले लिया था की 1500 मी और 10000 मी के बीच की सारी प्रतियोगिताओं में भाग लूंगा।"
Nurmi द्वारा लिए गए निर्णय से फ़िनलैंड टीम के वरिष्ठ सदस्यों को चिंता हुई और उन्होंने Nurmi को कहा की वह 10000 मी दौड़ में भाग न लें और ऐसा ही हुआ। एक प्रतियोगिता में भाग न लेने के बाद भी Nurmi ने पांच मुकाबलों में अपनी कुशलता का परिचय दिया।
पांच मुकाबलों में भाग लेने से ज़्यादा बड़ी चुनौती Nurmi के सामने तब आई जब आयोजकों ने घोषणा करि की 1500 मी और 2000 मी के फाइनल एक ही दिन और दो घंटे के अंतराल में होंगे।
जुलाई के महीने की गर्मी में Nurmi वह करने मैदान में उतरे जो शायद किसी ने कभी सोचा भी नहीं होगा। पहले आयोजित हुए 1500 मी के फाइनल में फ़िनलैंड के इस बेहतरीन धावक ने अपने ही विश्व रिकॉर्ड से तीन सेकंड तेज़ शुरुआत करि और बड़ी आसानी से इस दौड़ को जीत लिया जब उनके सबसे करीबी प्रतिद्वंदी ने आखिर में हार मान ली।
पहली जीत के दो घंटे से कम समय के बाद Nurmi के सामने एक और बड़ी चुनौती थी। न केवल उनके सामने 5000 मी की एक लम्बी दौड़ थी लेकिन उनके सामने थे उन्ही के देश के धावक Ville Ritola जो 10000 मी में स्वर्ण जीत चुके थे और एक बहुत ही कुशल धावक थे।
Ritola ने 5000 मी के फाइनल में तेज़ शुरुआत करि और Nurmi के ऊपर मानसिक दबाव बनाने का प्रयास किया। इस चुनौती का Nurmi ने करारा जवाब दिया और दूसरा ओलिंपिक रिकॉर्ड बनाते हुए स्वर्ण जीत लिया।
**परिणाम **
दो बेहतरीन जीत अपने नाम करने के बाद भी Nurmi का जादू पेरिस में अभी समाप्त नहीं हुआ था।
फ्रांस में पड़ रही भीषण गर्मी के बीच Nurmi ने 42 लोगों के विरुद्ध क्रॉस कंट्री दौड़ में मुकाबला किया लेकिन अंत में सिर्फ 12 लोगों ने इस दूरी को पूरा किया जबकि बाकी बेहोश हो गए। एक फ़्रांस के धावक कि हालत तो इतनी ख़राब हो गई कि वह दौड़ पूरी करने के बाद सीधा स्टैंड में घुस गए।
वहीँ दूसरी ओर Nurmi को ऐसी कोई कठिनाई नहीं हुई और फिर से विजेता बने। इतना ही नहीं उन्होंने 3000 मी टीम दौड़ में एक और स्वर्ण अपने नाम किया।
एम्स्टर्डम में हुए 1928 ओलिंपिक खेलों में उनकी इच्छा पूरी हुई और Nurmi ने 10000 मी दौड़ में हिस्सा लिया और अपने ही देश के धावक Ritola को हराते हुए स्वर्ण अपने नाम किया।
वह स्वर्ण जीत 'फ्लाइंग फिन' Nurmi के लिए अंतिम थी क्योंकि वह 5000 मी फाइनल में Ritola से हार गए और सिर्फ रजत पदक अपने नाम कर पाए।
Nurmi ने 1928 ओलिंपिक खेलों में भाग लेने के बाद Nurmi ने चार साल बाद होने वाले लॉस एंजेलेस खेलों की मैराथन प्रतियोगिता में भाग लेने का मन बनाया लेकिन स्वीडन की ओलिंपिक समिति ने उनके ऊपर प्रोफेशनल धावक होने का आरोप लगाया और इसी कारण वह भाग नहीं ले पाए।
एक दुखद अंत होने के बाद भी Paavo Nurmi का ओलिंपिक सफर हमेशा याद रखा जायेगा क्योंकि उन्होंने वह कर दिखाया जो किसी ने नहीं किया।