शूटिंग एक ऐसा खेल है जिसमें सटीकता और एकाग्रता बेहद ज़रुरी है। यह ओलंपिक खेल में एक प्रमुख डिसिप्लीन रहा है और एथेंस 1896 में आयोजित आधुनिक ओलंपिक खेल में शामिल 9 खेल में से एक है।
सेंट लुइस 1904 और एम्स्टर्डम 1928 ओलंपिक खेल को छोड़कर अन्य सभी ग्रीष्मकालीन खेलों में शूटिंग शामिल रहा है। लॉस एंजिल्स 1984 में महिलाओं की स्पर्धा को अलग से ओलंपिक प्रोग्राम में शामिल किया गया था। इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट फेडरेशन (ISSF) इस खेल की गवर्निंग बॉडी (शासी निकाय) है।
पिछले कुछ सालों में, ओलंपिक खेल की शूटिंग स्पर्धा में भारत काफ़ी सफल रहा है। साल 2004 और साल 2012 के बीच आयोजित लगातार तीन ओलंपिक गेम्स के दौरान भारतीय निशानेबाजों ने चार पदक जीते, जिसमें अभिनव बिंद्रा का नाम भी शामिल है जिन्होंने बीजिंग 2008 में देश के पहले व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता बनने का गौरव हासिल किया।
हालांकि, प्रतिस्पर्धा के दौरान निशानेबाज अधिकतर एक ही स्थान तक सीमित रहते हैं, फिर भी यह खेल मानसिक और शारीरिक रूप से काफी चुनौतीपूर्ण है।
एथेंस 2004 के ओलंपियन सुमा शिरुर ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया कि "एक आम आदमी जब शूटिंग देखता है तो वह सोचता है इसमें कोई शारीरिक प्रयास नहीं है लेकिन ऐसा नहीं होता और सही मायनों में शूटिंग के दौरान भी काफी शारीरिक प्रयास लगता है।"
इसमें बहुत शारीरिक गतिविधियों की ज़रूरत होती है जो बाहर से दिखाई नहीं देती। मानव शरीर का सबसे स्वाभाविक पहलू गति है। यदि मुझे गति को नियंत्रित करना है, अपने शरीर को लंबे समय तक एक ही स्थान पर स्थिर रखना है, तो मुझे मांसपेशियों पर नियंत्रण रखना होगा। इसके लिए बहुत ताक़त की जरूरत है और इसके लिए आपके पास अच्छी फिटनेस होनी चाहिए - सुमा शिरूर
आइए, ओलंपिक में शूटिंग के बारे में जानने के अलावा हम शूटिंग के नियम और इस खेल के अलग-अलग स्पर्धाओं पर एक नज़र डालते हैं।
ओलंपिक शूटिंग के दौरान प्रयोग होने वाली राइफल, पिस्टल और शॉटगन
ओलंपिक की शूटिंग स्पर्धा में तीन तरह की बंदूक (गन) का इस्तेमाल किया जाता है: राइफल, पिस्टल और शॉटगन। राइफल और पिस्टल स्पर्धाओं में एथलीट इनडोर शूटिंग रेंज में स्थिर टारगेट पर निशाना लगाते हैं जबकि शॉटगन स्पर्धा का आयोजन आउटडोर में होता है, जहां निशानेबाजों को हवा में फेंके गए लक्ष्यों पर निशाना साधना होता है।
सभी शूटिंग निर्धारित दूरी - 10 मीटर, 25 मीटर, 50 मीटर से की जाती है, जिसमें एथलीटों को एक कागज से बने लक्ष्य को टारगेट करना होता है। वहीं शॉटगन में क्ले को टारगेट किया जाता है।
राइफल एक सिंगल-लोडेड गन है जिसकी कैलिबर 5.6 मिलीमीटर (बंदूक के अंदर के बैरल का डायमीटर या व्यास) होती है और इसी बंदूक का प्रयोग राइफल से जुड़े हर इवेंट में किया जाता है।
वहीं, 10 मीटर एयर पिस्टल प्रतियोगिता में इस्तेमाल की जाने वाली पिस्टल एक 4.5-मिलीमीटर कैलिबर में एक सिंगल-लोडेड बंदूक होती है, जबकि 25 मीटर की स्पर्धा में इस्तेमाल की जाने वाली 5.6 कैलिबर की पिस्टल पांच-शॉट मैगजीन के साथ एक रैपिड फायर पिस्टल है।
शॉटगन 12 गेज (Gauge) की होती है जिसका कैलिबर 18.5-मिलीमीटर का होता है। आपको बता दें कि गेज फायर आर्म्स (आग्नेय अस्त्र) के माप की एक इकाई है। एक शॉटगन में, गेज एक पाउंड सीसे (Lead) से बनी समान वजन वाली गोलाकार गेंदों की संख्या से निर्धारित होता है, जिन्हें बंदूक की बैरल के अंदर फिट किया जा सकता है।
शूटिंग गियर और उपकरण
खेल के दौरान स्थिरता प्रदान करने में सहायता के लिए शूटर एक विशेष तरह की जैकेट या कोट का इस्तेमाल करते हैं। इन विशेष जैकेटों की सतह फिसलन-रोधी होती है जिसकी वजह से शूटर को बेहतर ग्रिप मिलती है। इसका फायदा विशेषकर राइफल निशानेबाजों को मिलता है।
इन जैकेटों के अंदर की अतिरिक्त पैडिंग, फायरिंग के बाद झटके से पीछे जाने के प्रभाव को ख़त्म कर देती है, जिससे निशानेबाज अपनी सटीकता को बेहतर करने में कामयाब होते हैं। कोहनी पर लगी पैडिंग एक मजबूत आधार प्रदान करती है, जो प्रोन (जमीन पर लेटकर) पोजीशन में राइफल निशानेबाजों के लिए महत्वपूर्ण है।
ब्लाइंडर्स का उपयोग फोकस को बेहतर बनाने और वस्तुओं को उनकी दृष्टि को विचलित करने से रोकने के लिए किया जाता है। निशानेबाजों को निर्धारित चौड़ाई के एक फ्रंट ब्लाइंडर के इस्तेमाल की अनुमति दी जाती है। सिर्फ शॉटगन एथलीटों को साइड ब्लाइंडर्स या ब्लिंकर पहनने की अनुमति है।
ओलंपिक शूटिंग इवेंट के प्रकार
साल 1986 में आयोजित एथेंस ओलंपिक खेल के दौरान शूटिंग में महज़ 5 इवेंट का आयोजन किया गया था लेकिन वक़्त के साथ ओलंपिक में इस खेल की स्पर्धाओं में इज़ाफ़ा हुआ है। टोक्यो 2020 में शूटिंग के कुल 15 राइफल, पिस्टल और शॉटगन इवेंट का आयोजन किया गया जिसमें महिला और पुरुष दोनों की प्रतियोगिताएं शामिल थीं।
राइफल: इवेंट और शूटिंग नियम
राइफल शूटिंग में, एथलीट एक निश्चित दूरी पर रखे गए एक ऐसे बोर्ड पर निशाना लगाते हैं जिसपर 10 समकेंद्रित वृत्त (कंसेंट्रिक सर्कल) बने होते हैं। इस इवेंट को दो अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया गया है - 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन और 10 मीटर एयर राइफल।
50 मीटर एयर राइफल 3 पोजीशन में खिलाड़ी नीलिंग (घुटने पर बैठ कर), प्रोन (जमीन पर लेट कर) और स्टैंडिंग (सीधा खड़ा होकर) पोजीशन में लक्ष्य पर निशाना साधता है। हर खिलाड़ी 2 घंटे 45 मिनट की तय समय-सीमा में उपर्युक्त तीनों पोजीशन में 40 शॉट फायर करता है। सबसे अधिक स्कोर वाले 8 शूटर पदक राउंड में प्रतिस्पर्धा करते हैं।
10 मीटर एयर राइफल में हर एथलीट 1 घंटा 15 मिनट की तय समय-सीमा में 60 शॉट फायर करता है, जिसके बाद शीर्ष 8 शूटर पदक के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं।
पुरुषों और महिलाओं की कैटेगरी के अलावा, 10 मीटर एयर राइफल में एक मिश्रित टीम स्पर्धा भी होती है जिसमें एक पुरुष और एक महिला एथलीट शामिल होते हैं। टीम का प्रत्येक सदस्य क्वालिफिकेशन राउंड में 50 मिनट के अंदर लक्ष्य पर 40 शॉट लगाता है, जिसके बाद पांच टीमें फाइनल राउंड के लिए क्वालीफाई करती हैं।
पिस्टल: इवेंट और शूटिंग नियम
पिस्टल शूटिंग स्पर्धा को तीन भाग में बांटा गया है – 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल, 25 मीटर पिस्टल और 10 मीटर एयर पिस्टल। यहां खिलाड़ियों को एक हाथ से बिना किसी सपोर्ट के शूट करना होता है।
25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल: इसमें सिर्फ पुरुष शूटर हिस्सा लेते हैं जहां निशानेबाजों को आठ, छह और चार सेकेंड की छोटी अवधि में लगातार शॉट फायर करने होते हैं। क्वालिफिकेशन राउंड में 30-30 शॉट्स के दो राउंड होते हैं। शीर्ष स्कोर वाले आठ निशानेबाज पदक राउंड के लिए क्वालीफाई करते हैं।
25 मीटर पिस्टल: यह केवल महिलाओं का इवेंट है और 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल इवेंट की तरह यहां भी 30-30 शॉट के दो क्वालीफाइंग राउंड में होते है।
10 मीटर एयर पिस्टल: इस स्पर्धा के नियम 10 मीटर एयर राइफल की तरह ही होते हैं। इसमें पुरुष, महिला और मिश्रित टीम हिस्सा लेती है। एकल कैटेगरी (पुरुष और महिला) में निशानेबाज एक घंटे और 15 मिनट की समय सीमा के भीतर 60 शॉट लगाते हैं, जिसके बाद शीर्ष आठ शूटर पदक राउंड में जगह बनाते हैं। मिश्रित टीम स्पर्धा में, टीम का प्रत्येक सदस्य 40 शॉट फायर करता है और पांच शीर्ष स्कोरिंग टीमें फाइनल में प्रतिस्पर्धा करती हैं।
शॉटगन: इवेंट और शूटिंग नियम
स्कीट और ट्रैप - शॉटगन की दो प्रतियोगिताएं हैं जहां एथलीट 100 किमी प्रति घंटे से अधिक की गति से उड़ने वाली किसी वस्तु पर फायर करते हैं, जिसका व्यास (डायमीटर) सिर्फ 10 सेमी होता है और जिसे 'क्ले' कहा जाता है। दोनों स्पर्धाओं में पुरुषों और महिलाओं की प्रतियोगिता शामिल है, जबकि ट्रैप में एक मिश्रित टीम स्पर्धा भी होती है।
स्कीट: पुरुष और महिला दोनों एथलीट आठ अलग-अलग स्थानों से मिट्टी से बने टारगेट पर फायर करते हैं, जिसे शूटिंग की भाषा में 'स्टेशन' के रूप में जाना जाता है। क्ले दो जगहों से उड़ती है, एक बाईं ओर से और दूसरी शूटिंग रेंज के दाहिने छोर से। इन स्थानों को 'हाउस' कहा जाता है।
बाएं तरफ से उड़ने वाले क्ले (लेफ्ट हाउस) को 'हाई हाउस' कहा जाता है और उससे उड़ने वाली मिट्टी को 'मार्क' कहा जाता है। इसी तरह दाहिने हिस्से को 'लो हाउस' कहा जाता है और यह से उड़ने वाली क्ले को 'पुल' कहा जाता है। एथलीट तीन दिनों में पांच राउंड में 25 शॉट लेते हैं और छह सर्वश्रेष्ठ निशानेबाज पदक राउंड में जगह बनाते हैं।
ट्रैप: निशानेबाज पांच अलग-अलग स्थानों से अपने सामने फेंकी गई क्ले की टारगेट पर निशाना लगाते हैं। पुरुषों और महिलाओं की स्पर्धा का प्रारंभिक दौर स्कीट के समान ही होता है। ट्रैप की मिश्रित टीम स्पर्धा में एक पुरुष और महिला प्रतियोगी शामिल होते हैं, प्रत्येक निशानेबाज 25-25 शॉट्स के तीन राउंड में 75 शॉट फायर करता है। फिर शीर्ष छह टीमें पदक राउंड में प्रतिस्पर्धा करती हैं। डबल ट्रैप, जहां एक ही समय में दो टारगेट हवा में उछाले जाते हैं और दोनों को ही शूट करना होता है। हालांकि, इस स्पर्धा को ओलंपिक प्रोग्राम से हटा दिया गया है।