Nijel Amos: बोत्सवाना का पहला ओलिंपिक पदक जीतने वाले अद्भुत धावक
ओलिंपिक पदक जीतना हज़ारों खिलाड़ियों के लिए व्यक्तिगत लक्ष्य होता है लेकिन विश्व में 24 ऐसे राष्ट्र हैं जिनके इतिहास में यह सपना सिर्फ एक ही बार सच हुआ है। Tokyo2020.org आपको इन 24 राष्ट्रों के उस ऐतिहासिक क्षण और उसके प्रभाव के बारे में बतायेगा।
पहले की कहानी
बोत्सवाना ने अपने ओलिंपिक सफर की शुरुआत 1980 मास्को खेलों में करि लेकिन अफ्रीका के दक्षिण क्षेत्र स्थित इस राष्ट्र को इतिहास बनाने में 24 साल लग गए।
एथेंस में हुए 2004 ओलिंपिक खेलों में बोत्सवाना की 4x400 मीटर रीले टीम फाइनल में पहुंची और चार साल बाद बीजिंग खेलों के 400 मी फाइनल में Amantle Monsho फाइनल में पहुँच गए लेकिन दोनों बार पदक उनके हाथ नहीं आया।
बोत्सवाना का ओलिंपिक पदक जीतने का सपना सच करना शायद एक युवा के भाग्य में ही लिखा था और कुछ वर्षों बाद यही हुआ।
Nijel Amos की परवरिश उनकी दादी और नानी ने करि और उनका बचपन मारोबेला के ग्रामीण इलाके में हुआ। हर रोज़ स्कूल जाने के लिए भी उन्हें सात किलोमीटर चलना पड़ता था लेकिन यह चुनौती होने के बाद भी वह खेलने का समय निकल लेते थे।
विश्व एथलेटिक्स से बात करते हुए उन्होंने कहा, "मैंने एथलेटिक्स में सक्रिय रूप से हाई स्कूल समाप्त करने के बाद भाग लेना शुरू किया और मेरे कोच Mafefe ने निर्णय लिया कि मुझे 800 मी की दौड़ पर ध्यान देना चाहिए। मैंने 17 वर्ष की आयू में 1:47 के समय में यह दौड़ पूरी करि और उसके बाद ही मुझे लगा कि मैं एक प्रोफेशनल धावक बन सकता हूँ।"
Amos ने अपने एथलेटिक्स सफर की शुरुआत में ही अफ्रीकन जूनियर चम्पिओन्शिप्स में अपने कौशल का परिचय दिया और उसके कुछ समय बाद विश्व युवा चैंपियनशिप की 800 मी प्रतियोगिता में पांचवा स्थान प्राप्त किया।
ठीक एक वर्ष बाद 18 साल के Amos ने बार्सिलोना में आयोजित विश्व जूनियर चैंपियनशिप में 800 मी का ख़िताब अपने नाम किया लेकिन लंदन 2012 ओलिंपिक खेलों में उन्होंने अपने खेल शिखर को प्राप्त किया।
इतिहास की रचना
लंदन ओलिंपिक खेलों के आरम्भ होने के पहले पूरे विश्व में ज़्यादा लोग Amos को जानते नहीं थे और पदक दावेदारी में उनका नाम भी नहीं लिया जा रहा था।
विश्व स्तर पर उभरते हुए धावक Amos के सामने थे केन्या के David Rudisha जिन्होंने उन्हें प्रेरित किया था। Rudisha ने दो वर्ष पहले ही इटली में विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया था और स्वर्ण जीतने के सबसे प्रबल दावेदार होने के साथ सबसे लोकप्रिय धावक भी थे।
इतने बड़े मंच पर विश्व के सबसे लोकप्रिय प्रतिद्वंदी के सामने बहुत से युवा खिलाड़ी हार मान लेते लेकिन Amos निडर थे और 800 मी फाइनल में पहुँचने के बाद उन्हें किसी भी बात की चिंता नहीं थी।
Amos बताते हैं, "जब मैं लंदन पहुंचा तो मेरा आत्मविश्वास बहुत बढ़ा हुआ था क्योंकि विश्व जूनियर प्रतियोगिता सिर्फ कुछ ही हफ़्तों पहले समाप्त हुई थी और मैंने दो बार 1:43 का समय हासिल किया था जो कि मेरे लिए काफी सकारात्मक था।"
"मुझे विश्वास था कि अगर मैं इन सारे धावकों के साथ बिना डरे दौड़ में भाग लेता हूँ तो कुछ जीत सकता हूँ। मेरा लक्ष्य पदक जीतना या दौड़ जीतना नहीं था। मुझे बस फाइनल में प्रवेश करना था और जब वह हुआ तो मुझे ऐसा लगा की मेरे पास डरने का कोई कारण नहीं है क्योंकि मैंने अपना लक्ष्य प्राप्त कर लिया था। मेरे कोच ने मुझे सुझाव दिया कि मैं इस दौड़ का और इस मंच पर होने का आनंद लूँ और मैंने ऐसा ही किया।"
प्रतियोगिता की शुरुआत में Rudisha तीसरी लेन में थे और उन्हें अपना प्रेरणा स्त्रोत मानने वाले Amos चौथी लेन में थे।
जैसे ही दौड़ के रेफ़री ने बन्दूक का ट्रिगर दबाया Rudisha ने बेहतरीन शुरुआत करि और सूडान के Abubaker Kaki उनके थोड़ा पीछे थे और इन दोनों से बहुत पीछे थे Nijel Amos जो बोत्सवाना का पहला पदक जीतने का प्रयास कर रहे थे। Rudisha ने दबाव और स्तर निरंतर रखते हुए स्वर्ण को अपने नियंत्रण में रखा था लेकिन आखरी लैप में Amos ने एक दम से गति पकड़ी और दुसरे स्थान पर आ गए।
केन्या के Rudisha ने एक नया विश्व रिकॉर्ड (1:40:91) स्थापित किया और स्वर्ण अपने नाम किया लेकिन पूरे विश्व को चौंकाया रजत पदक जीतने वाले Amos ने जिन्होंने यह दौड़ 1:41:73 के समय में पूरी कर ली।
दौड़ समाप्त होने के बाद पूरे विश्व को एक अद्भुत दृश्य देखने को मिला जब Amos ट्रैक पर गिर कर बेहोश हो गए और उन्हें मेडिकल रूम में स्ट्रेचर पर ले जाया गया।
Amos द्वारा दौड़े गए 800 मीटर बोत्सवाना के लिए 32 साल का सफर था जिसके अंत में उस राष्ट्र का ओलिंपिक पदक जीतने का सपना पूरा हुआ।
जीवन में बदलाव
बोत्सवाना में Amos को एक भव्य स्वागत मिला और पूरा राष्ट्र उनकी प्रशंसा के गीत गा रहा था। उन्हें राष्ट्रिय सरकार ने पुरस्कार के रूप में धनराशि और छह गाय प्रदान करी।
लंदन में हुए ओलिंपिक खेलों के बाद Amos ने अपना शानदार फॉर्म बरक़रार रखा और David Rudisha को चुनौती देने वाले धावक के रूप में उभर के वह सामने आए। इतना ही नहीं, Amos ने Rudisha को दो प्रतियोगिताओं में पराजित कर साबित कर दिया की उनका ओलिंपिक पदक जीतना कोई संजोग या सौभाग्य की बात नहीं थी।
Amos और Rudisha ने एक दुसरे का सामना आज तक सात बार किया है और उनमे से छह बार जीत बोत्सवाना के धावक की हुई है।
रियो में आयोजित 2016 ओलिंपिक खेलों में Amos का प्रदर्शन निराशाजनक रहा और वह सेमिफाइनल में जगह नहीं बना पाए। दो वर्ष बाद 2018 मोनाको डायमंड लीग में Amos ने शानदार प्रदर्शन दिखाया और 1:42:14 के समय में दौड़ समाप्त करि और दिखाया की उनके अंदर अभी भी वही प्रतिभा है।
Amos अमरीका के ऑरेगोन में रहते हैं और 26 वर्षीय इस बोत्सवाना के धावक ने टोक्यो 2020 ओलिंपिक खेलों में अपना स्थान पक्का कर लिया है।
कोरोना महामारी की चुनौती के बारे में उन्होंने कहा, "लॉकडाउन लगने के बाद अच्छे से अभ्यास करना बहुत कठिन है लेकिन मैं सकारात्मक सोच रखता हूँ और ओलिंपिक खेलों के लिए तैयारी कर रहा हूँ।"
अगले साले होने वाले टोक्यो 2020 ओलिंपिक खेलों की 800 मी प्रतियोगिता में Amos एक वरिष्ठ खिलाड़ी के रूप में भाग लेंगे और उनका लक्ष्य बोत्सवाना को स्वर्ण पदक दिलाना होगा।