लद्दाख मैराथन भारत के उत्तर में स्थित लद्दाख के लेह में आयोजित की जाती है। इस प्रतियोगिता का आयोजन हर साल किया जाता है।
समुद्र तल से 11,500 से 17,618 फीट (3,505 से 5,370 मीटर) की ऊंचाई के साथ, लद्दाख मैराथन को अक्सर 'दुनिया की सबसे ऊंची मैराथन' के रूप में जाना जाता है।
हालांकि, गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार मई 2022 में तंज़ानिया के माउंट किलिमंजारो में दुनिया की सबसे ऊंची मैराथन आयोजित की गई थी। इसका आयोजन 5,895 मीटर (19,340 फीट) की ऊंचाई पर किया गया था।
लद्दाख मैराथन, अंतरराष्ट्रीय पहचान हासिल करने वाली भारत की पांचवीं मैराथन है। साल 2015 में यह प्रतियोगिता मैराथन एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल मैराथन एंड डिस्टेंस रेस (AIMS) का पूर्ण सदस्य बन गया। यह प्रतियोगिता लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (LAHDC) के सहयोग से आयोजित की जाती है।
लद्दाख मैराथन की शुरुआत कैसे हुई?
लद्दाख मैराथन पहली बार 2012 में लेह और लद्दाख में स्थानीय लोगों की भावना का जश्न मनाने के लिए आयोजित की गई थी, जिन्होंने 2010 में एक बेहद विनाशकारी बाढ़ का सामना किया था। पहली दौड़ के बाद से इस प्रतियोगिता में भागीदारों की संख्या में लगतार इजाफा हुआ है जहां 20 से अधिक देशों के धावक इस दौड़ में हिस्सा लेते हैं।
लद्दाख मैराथन के पहले संस्करण में पुरुषों की पूर्ण मैराथन प्रतियोगिता को भारत के त्सेरिंग ग्यात्सो ने 3:36:18 के सेकेंड के समय के साथ जीता था। वहीं, 4:51:30 समय में अपनी दौड़ पूरी करते हुए भारतीय धावक जिग्मेट स्किट्ज़म पहली महिला चैंपियन बनी थीं।
हिमालय की घाटियों के बीच इस दौड़ को आयोजित किया जाता है और इस प्रतियोगिता में एथलीटों को पहाड़ों, घाटियों और नदियों के ख़ूबसूरत नज़ारों के बीच दौड़ने का अवसर मिलता है।
लद्दाख मैराथन दौड़
लद्दाख मैराथन में छह रनिंग इवेंट शामिल हैं।
1. रन फ़ॉर फन - 5 किमी
द रन फ़ॉर फन (5 किमी) लद्दाख मैराथन की सबसे छोटी दौड़ है और इसकी शुरुआत विभिन्न आयु और जेंडर (लिंग) के धावकों को आकर्षित करने के लिए की गई थी। यह एक मज़ेदार गतिविधि है और लेह में छात्रों और परिवारों के साथ-साथ पर्यटकों सहित कोई भी इस दौड़ में शामिल हो सकता है। इस इवेंट में 12 वर्ष से अधिक आयु के धावक भाग लेते हैं।
2. 11.2 किमी रन
11.2 किमी की दौड़ धावकों को वास्तविक मैराथन की असली स्पर्धा का एहसास कराने और लद्दाख मैराथन की अन्य चुनौतीपूर्ण दौड़ के लिए तैयार करने में मददगार है। इस दौड़ में भाग लेने के लिए, एक धावक को पिछले तीन वर्षों में 1 घंटा 30 मिनट के अंदर 10 किमी की दो दौड़ पूरी करनी होती हैं। इस इवेंट में 12 वर्ष से अधिक उम्र के धावक भाग ले सकते हैं।
3. हाफ़ मैराथन
हाफ़ मैराथन (21.0975 किमी) नए और अपना डेब्यू कर रहे धावकों के लिए है, जो फुल मैराथन में भाग लेने की सोच रहे होते हैं। हाफ़ मैराथन लेह के बाहरी इलाके में आयोजित होती है और इस इवेंट को काफी मुश्किल माना जाता है। जिन धावकों ने पिछले तीन वर्षों में 3 घंटे से कम में एक हाफ़ मैराथन पूरी की हो या 1 घंटे 25 मिनट से कम में 10 किमी की दौड़ पूरी की हो, वे इस स्पर्धा में प्रतिस्पर्धा करने के योग्य होते हैं। इस दौड़ में भाग लेने के लिए एथलीटों की आयु 16 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।
4. फुल मैराथन (42 किमी)
फुल मैराथन (42.195 किमी) अधिक ऊंचाई पर होने वाली एक कठिन दौड़ है। यह इवेंट ज्यादातर उन धावकों के लिए होता है जो कई महीनों से इस दौड़ की तैयारी कर रहे होते हैं। पहली बार दौड़ में हिस्सा ले रहे धावकों को इस श्रेणी में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाता है। जिन प्रतिभागियों ने लद्दाख हाफ मैराथन (21 किमी) दौड़ी है या पिछले तीन वर्षों में एक पूर्ण मैराथन या दो हाफ मैराथन पूरी की है, वे फुल मैराथन (पूर्ण मैराथन) में शिरकत करने के लिए योग्य होते हैं।
5. खारदुंग ला चैलेंज (72 किमी)
खारदुंग ला चैलेंज (72 किमी) दुनिया की सबसे ऊंची अल्ट्रा मैराथन है। यह दौड़ उन धावकों के लिए होती है जो सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में अपनी सीमाओं को पार करने की चाहत रखते हैं। धावकों को समुद्र तल से 4000 मीटर (14,000 फीट) की ऊंचाई पर लगभग 60 किमी दौड़ लगानी होती है। इस दौड़ में भाग लेने वालों की संख्या अधिकतम 200 धावकों तक सीमित है।
वैसे धावक जिन्होंने पहले लद्दाख फुल मैराथन या खारदुंग ला चैलेंज रेस को पूरा किया हो, वहीं इस इवेंट में हिस्सा लेने के लिए योग्य हैं। खारदुंग ला चैलेंज के लिए क्वालीफाई करने के तरीके इस प्रकार हैं:
- पिछले तीन वर्षों में पांच घंटे के भीतर दो पूर्ण मैराथन समाप्त करना
- पिछले तीन वर्षों में दो अल्ट्रा मैराथन (70 किमी से अधिक) समाप्त करना
- पिछले तीन वर्षों में पांच घंटे के भीतर एक फुल मैराथन और एक अल्ट्रा मैराथन समाप्त करना
6. सिल्क रूट अल्ट्रा (122km)
सिल्क रूट अल्ट्रा (122 किमी) लद्दाख मैराथन दौड़ में सबसे कठिन है और इसे काफी ऊंचाई पर दौड़ने का आदर्श उदाहरण माना जाता है। यह रेस मानव सहनशक्ति की सीमाओं का परीक्षण करती है। आपको बता दें कि काराकोरम दर्रे से होकर गुजरने वाली प्राचीन 'सिल्क रूट' या 'रेशम मार्ग' उत्तर पश्चिम भारत को मध्य एशिया से जोड़ती थी और प्राचीन काल के सबसे लंबे और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण व्यापार मार्गों में से एक थी। सिल्क रूट अल्ट्रा का रास्ता प्रसिद्ध नुब्रा घाटी से होकर गुजरता है, जिसे डुमरा या फूलों की घाटी भी कहा जाता है, और यह दौड़ को बेहद अद्भुत बनाता है। यह अल्ट्रा रेस उन दिग्गजों के लिए है जो कई वर्षों से खारदुंग ला चैलेंज में दौड़ रहे हैं। इसके अलावा यह रेस अल्ट्रा रनर्स और आयरनमैन एथलीटों के लिए है जो अपने धीरज और सहनशक्ति का परीक्षण करना चाहते हैं।
इस दौड़ में भाग लेने वालों की संख्या 50 धावकों तक सीमित है।
जिन प्रतिभागियों ने खारदुंग ला चैलेंज पूरा किया है या जिनके पास अल्ट्रा मैराथन (100 किमी से अधिक) प्रमाण पत्र है या जिन्होंने पिछले तीन वर्षों में मैराथन (पांच घंटे से कम) पूरी की है, वे इस दौड़ में हिस्सा ले सकते हैं। अन्य पात्रता मानदंड में पिछले तीन वर्षों में दो अल्ट्रा मैराथन को पूरा करना या पिछले तीन वर्षों में वर्ल्ड ट्रायथलॉन कॉर्पोरेशन (WTC) आयरनमैन दौड़ को पूरा करना शामिल है।
ऊंचाई के कारण, लद्दाख मैराथन में धावकों के लिए यह आवश्यक है कि वे इस आयोजन में भाग लेने से पहले परिस्थितियों से अभ्यस्त हो जाएं। ऑक्सीजन की कमी के कारण इतनी ऊंचाई पर धावक तबीयत बिगड़ सकती है। यह सलाह दी जाती है कि एथलीट दौड़ के दिन से कम-से-कम 10 दिन पहले लेह पहुंच जाएं ताकि परिस्थितियों से अभ्यस्त हो सकें।
लद्दाख मैराथन का 12वां संस्करण 11 से 14 सितंबर, 2025 तक लेह में होगा।