कराटे ट्रेनिंग: कैसे बन सकते हैं एक सफल कराटेका, जानिए एक्सपर्ट की सलाह
कराटे टोक्यो 2020 में अपना ओलंपिक डेब्यू करने जा रहा है। एक सफल कराटेका बनने पर सोमनाथ पाल चौधरी ने टिप्पणी की और बताया कि आप कराटे ट्रेनिंग कैसे शुरू कर सकते हैं।
कराटे ने टोक्यो 2020 से ओलंपिक खेल में अपनी बहुप्रतीक्षित शुरुआत की।
जापान में होने वाले ओलंपिक में डेब्यू के साथ यह सदियों पुरानी पारंपरिक मार्शल आर्ट शैली की घर वापसी की तरह थी।
कराटे एक ऐसा खेल है जिसमें मानसिक और शारीरिक ताकत का प्रयोग होता है। कराटे ट्रेनिंग काफी कठिन और थका देने वाली होती है। इस खेल में महारत हासिल करने में कई साल और कभी-कभी दशकों लग जाते हैं।
कराटे ट्रेनिंग के लिए एक सही डोजो (स्कूल) ढूंढना और एक अच्छे मास्टर के तहत रजिस्टर करना जरूरी है। यहां कुछ बुनियादी कराटे टिप्स, ट्रिक्स और इच्छुक कराटेका या अपने बच्चों को मार्शल से परिचित कराने की सोच रहे माता-पिता के लिए कुछ विशेषज्ञ सलाह दी गई हैं।
कराटे ट्रेनिंग शुरू करने की सही उम्र
कराटे एक ऐसा खेल है जिसे लोग किसी भी उम्र में शुरू कर सकते हैं। लेकिन, विशेषज्ञों के मुताबिक 5 से 6 साल की उम्र कराटे ट्रेनिंग शुरू करने के लिए बिल्कुल सटीक है।
इसे वह उम्र माना जाता है जब इंसान का दिमाग निर्देशों और सिद्धांतों को समझने के लिए पर्याप्त संवेदनशील होता है। इसके अतिरिक्त, इस अवधि के दौरान प्राप्त अनुभव, चाहे वह असफलता हो या सफलता भी इंसान के ऊपर एक स्थायी प्रभाव डालती है। इस प्रकार, प्रारंभिक आयु यह निर्धारित करती है कि कराटे सीखने में कितना समय लगेगा।
"अगर कोई व्यक्ति पांच या छह साल की उम्र में कराटे की ट्रेनिंग शुरू करता है, तो यह उसके स्वभाव में शामिल हो जाता है। इसे एक वयस्क में विकसित करना बहुत कठिन है। किसी बच्चे को ये बातें सिखाना निश्चित रूप से बहुत आसान है।"
जापान कराटे एसोसिएशन से मान्यता प्राप्त प्रशिक्षक सोमनाथ पाल चौधरी ने Olympics.com से कहा, "इसके अलावा, शारीरिक पहलू भी हैं। चार या पांच साल की उम्र में शरीर बहुत लचीला होता है। हम उन्हें आसानी से बेहतरीन एथलीट बना सकते हैं।"
कराटे ट्रेनिंग: शरीर और मांसपेशियों की सही देखभाल
कराटे के लिए बहुत संतुलित मांसपेशियों का होना भी बेहद अहम होता है।
सोमनाथ पालचौधरी के अनुसार, "कराटे के खिलाड़ी के लिए मांसपेशियों की बेहतरीन बनावट एक मुक्केबाज और एक जिमनास्ट के बीच की होती है क्योंकि कराटे में शानदार प्रदर्शन करने के लिए ताकत और लचीलेपन के बीच संतुलन बहुत महत्वपूर्ण होता है।"
उन्होंने समझाया, "मुक्केबाजी में ताकत अक्सर गति से अधिक महत्वपूर्ण होती है। इसलिए, यदि कोई मुक्केबाज शारीरिक रूप से तंदरुस्त है, तो यह उसके लिए फायदेमंद है और उसके पंच अधिक घातक होंगे। हालांकि, कराटे में भारी पंच की आवश्यकता नहीं होती है और हमें हल्के लेकिन सटीक पंच की ज़रूरत होती है।"
कराटे में, अधिकांश ताकत को जमीन से हासिल किया जाता है। मुक्केबाजी में फ्लैट 'हथौड़ा-जैसे' ताकतवर अटैक की तुलना में कराटे में अधिक शार्प 'शॉक' प्रभाव के साथ स्ट्राइक करने के लिए कूल्हों (हिप्स) का इस्तेमाल किया जाता है।
परिणामस्वरूप, लचीली और पतली मांसपेशियां कराटे के लिए सही मानी जाती हैं।
"लेकिन अगर आप बहुत अधिक लचीले हैं तो आप अपनी मांसपेशियों को (आवश्यकतानुसार) सिकोड़ नहीं सकते हैं और इसके कारण आप ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं और अपने ज़रूरत के मुताबिक ताकत नहीं ला पाते हैं। आपको अपने शरीर के प्रकार, ताकत और सीमाओं को समझने की जरूरत है और गतिज बल (काइनेटिक फोर्स) लगाने के लिए आपको अपने जोड़ों में ढीलापन लाना होगा।"
जापान कराटे एसोसिएशन WF इंडिया कोलकाता के अध्यक्ष सोमनाथ पाल चौधरी ने कहा, "हम जिमनास्ट की तरह बहुत अधिक लचीला होने की सलाह नहीं देते हैं, लेकिन मध्यम रूप से लचीला होने की सलाह देते हैं।"
कराटेका बनने के लिए मांसपेशियों को ठीक से टोन करने के लिए हल्के प्रशिक्षण अभ्यास और प्रतिरोध प्रशिक्षण (रेजिस्टेंस ट्रेनिंग) पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी जाती है।
कराटे ट्रेनिंग के लिए आहार और जीवनशैली
आहार (डायट) और जीवनशैली (लाइफस्टाइल) भी कराटे के लिए शरीर को तैयार करने के मद्देनज़र बेहद महत्वपूर्ण हैं और डायटिशियन (आहार विशेषज्ञ) से इस मामले में सलाह लेना सबसे सही रास्ता है।
पाल चौधरी ने कहा, "मैं जंक फूड, कार्बोहाइड्रेट और सैचुरेटेड फैट का सेवन नहीं करने की सलाह दूंगा। प्रोटीन और सब्जियां बहुत महत्वपूर्ण हैं। भारतीय संदर्भ में, कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम करने के लिए चावल और रोटी से परहेज करना उचित होगा।"
कराटे के लिए अतिरिक्त गतिविधियों को कम करें
कराटे के मूव हमेशा सटीक होने चाहिए।
हालांकि, मूव को ठीक से करने के लिए कठिन और मेहनतकश अभ्यास करना महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके साथ ही अतिरिक्त गतिविधियों (एक्सेस मूवमेंट) से बचने के लिए भी ट्रेनिंग करना भी महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से हाथों के एक्सेस मूवमेंट से बचने का प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने कहा, "हम हमेशा एथलीटों को सलाह देते हैं कि वे कोई अतिरिक्त हरकत न करें ताकि आपके प्रतिद्वंद्वी को आपकी अगली मूव के बारे में पता न चले।"
कराटे में फुटवर्क का महत्व
कराटे में फुटवर्क भी बहुत अहम होता है। एक कराटेका को लड़ते समय सटीक और तेज फुटवर्क की ज़रूरत पड़ती है ताकि वह अपने प्रतिद्वंदी से दूरी बनाकर रख सके। कुमाइट (सेल्फ डिफ़ेंस का फॉर्म) में इसका महत्व और भी ज़्यादा बढ़ जाता है क्योंकि यह अक्सर मुकाबलों का नतीजा तय कर सकता है।
कुमाइट के साथ-साथ बाकी दो फॉर्म – काटा और किहोंन की ट्रेनिंग करने के लिए एक प्रतिद्वंदी की ज़रूरत होती है। कुमाइट में फुटवर्क ज़्यादा महत्वपूर्ण है ताकि आप अपने प्रतिद्वंदी को अपनी चाल के बारे में जानकारी न दें और वह कुछ अलग सोचने पर मज़बूर हो जाए।
कुमाइट मुक़ाबलों और काटा डिमॉन्सट्रेशन के दौरान कराटेका के लिए उचित पोस्चर (मुद्रा) और फुटवर्क एक आवश्यक है।
सोमनाथ पाल चौधरी ने आगे समझाया, "अगर आपका फुटवर्क सही नहीं है तो आपकी शारीरिक मुद्रा भी ठीक नहीं होगी। हमारी मुद्रा को वर्टीकल (सीधा) होना चाहिए।"
सोमनाथ पाल चौधरी का मानना है कि सफलता की दृष्टि एक कराटेका के जीवन में बहुत अहम है। "एक चैंपियन और कराटे के मास्टर के प्रदर्शन की दृष्टि आपको सफल होने में मदद करती है। अपने गोल के प्रति आपके दिमाग का सजग होना बहुत ज़रूरी है। सफल होने से पहले सफलता के बारे में सोचना बेहद ज़रूरी है।"
कराटे ट्रेनिंग के दौरान सीखने की ललक
जैसा कि पहले बताया गया है, कराटे कौशल को निखारने के लिए एक अच्छे मास्टर और डोजो का होना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
लेकिन एक बार बुनियादी बातों से परिचित हो जाने के बाद, डोजो की दीवारों से परे भी कौशल को निखारने का प्रयास जारी रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
पाल चौधरी कहते हैं, "आपकी अवलोकन शक्ति संभवतः कराटे में सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षक है। इस खेल में अमूमन तीन शिक्षक होते हैं- एक शारीरिक शिक्षक, दूसरी हमारी अपनी आंखें और तीसरा हमारा कान है।"
एक सफल कराटेका बनने के लिए कराटे सेमीनार, शिविर, ऑनलाइन कक्षाओं और किताबों से ज्ञान हासिल करने का प्रयास करना चाहिए। कराटे ट्रेनिंग में यह सब शामिल है।
"सेल्फ ट्रेनिंग, सेल्फ रियलाइजेशन की तरह है। मेरी ताकतें क्या हैं, मेरी खामियां या कमजोरियां क्या हैं? शारीरिक भाषा, कराटे फिगर, गति, लय, स्टेमिना को बढ़ाने की ट्रेनिंग, प्रतिरोध की ट्रेनिंग और कंडीशनिंग जैसी चीज़ों की बहुत ज़रूरत होती है।"
उन्होंने अपनी बात ख़त्म करते हुए कहा, "यह सब केवल डोजो में दिन में कुछ घंटे की कराटे ट्रेनिंग से हासिल नहीं किया जा सकता है।"