एकता की मिसाल: जानिए कैसे जापानी स्की जंपर्स ने टीम गोल्ड के सपने को बनाया हकीकत

नागानो 1998 में जापान ने स्की जंपिंग में टीम स्वर्ण पदक जीता था। 25 टेस्ट जंपर्स की वजह से यह सपना पूरा हो सका थी। उनकी यह प्रेरणादायक कहानी पढ़िए।

3 मिनटद्वारा शिखा राजपूत
After a four-year wait, Japan finally struck gold in the team event before the home fans in Nagano.
(Bongarts)

यह कहानी जापान में हर चार साल में एक बार सभी को बताई जाती है। यह एक एक लोक कथा की तरह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक आगे बढ़ती रहती है।

यह कहानी इसी तरह आगे बढ़ती रहती है:

लिलेहैमर 1994 ओलंपिक विंटर गेम्स में जापानी स्की जंपिंग में टीम स्वर्ण पदक जीतने के साथ शिखर पर थी।

आखिरी राउंड में प्रवेश करते हुए वर्ल्ड चैंपियन हरादा मासाहिको पहाड़ी पर आराम से बाकी प्रतिद्वंदवी का इंतजार कर रहे थे। जापान ने जर्मनी पर आसानी से बढ़त बना ली थी। यह एक डील की तरह नजर आया।

लेकिन जर्मनी के जेन्स वीसफ्लॉग ने हरादा पर दबाव बढ़ाने के लिए एक बड़ी जंप लगाई।

उनकी यह कोशिश कामयाब रही। उसके बाद हरादा का हौसला टूट गया क्योंकि वह महत्वपूर्ण बिंदु तक पहुंचने में भी असफल रहें। जापान ने रजत पदक पर कब्जा कर लिया।

चार साल बाद जापान के नागानो में घरेलू मैदान पर भी हरादा पीछे रहे। सभी को उनसे स्वर्ण की उम्मीद थी, लेकिन वह पहले राउंड के बाद चौथे स्थान पर रहें।

उसके बाद फिर एक बर्फीले तूफान की वजह से प्रतियोगिता को निलंबित कर दिया गया। इस इवेंट के रद्द होने की स्थिति में पहले राउंड के परिणाम मान्य होंगे।

अधिकारियों ने प्रतिस्पर्धा जारी रखने के लिए शर्तें रखीं: सभी 25 टेस्ट जंपर्स को अपनी जंप पूरी करनी होगी।

टेस्ट जंपर्स में लिलेहैमर से हरादा की टीम के साथी निशिकता जिन्या भी थे। वह चोट के कारण नागानो के लिए कट बनाने में असफल रहे थे।

जापान की जीत की बागडोर अब निशिकता के हाथों में थी। सभी को उनसे स्वर्ण पदक की उम्मीद थी, जो चार साल पहले हरादा और 24 अन्य जंपर्स के होने के कारण धराशायी हो गई थी।

वे उनके माध्यम से आए थे। इस बार हरादा के बाहर होेने से जापान की स्वर्ण पदक जीतने की पूरी कोशिश होगी।

हरादा बीजिंग 2022 के लिए जापानी प्रतिनिधिमंडल के चीफ कॉर्डिनेटर हैं। वह निशिकता के साथ इस तरह से जुड़े रहेंगे।

पिछले साल हिनोमारू सोल (जापानी ध्वज) नाम की एक फिल्म में बनाई गई थी। इस फिल्म में उनकी कहानी को निशिकता और उनके साथियों के माध्यम से पर्दे पर उतारा गया था।

यह एक ऐसी कहानी है जिसने बीजिंग मेडल के मौजूदा हकदार ताकानाशी सारा और कोबायाशी रयोयू जैसे जापानी जंपर्स को प्रेरित करती है।

यह हर उत्थान, हर पतन, हर जीत की कहानी है - हम इसमें एक साथ कैसे हैं।

निशिकता ने कहा, "1998 में नागानो ओलंपिक के बाद से यह हर चार साल में एक बार सुनाई जाती है।"

"मुझसे पूछा जाता है कि यह उस समय कैसा था। इस पर अब एक फिल्म भी बन चुकी है। लेकिन अगर मैं (लिलेहैमर में) स्वर्ण पदक विजेता बन गया होता, तो कहानी उस तरह से नहीं होती जैसी उन्होंने रची थी।

"इसलिए जब मैं इसके बारे में सोचता हूं, तो मैं उस समय की घटनाओं के साथ शांति से रहता हूं। मैं अब आभारी हूं।

"मैंने भले ही स्वर्ण पदक नहीं जीता हो, लेकिन मैं वास्तव में कहना चाहता हूं, 'धन्यवाद'"।

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