भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों को मिलेगा टोक्यो के हालातों का फ़ायदा

मुशीनो वन स्पोर्ट्स प्लाज़ा में हुए जापान ओपन के पिछले दो संस्करणों में तीन भारतीय क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे तो एक खिलाड़ी सेमीफ़ाइनल तक पहुंचने में क़ामयाब रहे।

5 मिनटद्वारा लक्ष्य शर्मा
बी साई प्रणीत ने 2019 BWF जापान ओपन के सेमीफ़ाइनल तक का सफ़र तय किया था

अगर भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी अगले साल टोक्यो ओलंपिक के लिए अपना रास्ता बनाते हैं, तो उनका स्वागत हवादार कोर्ट में होगा और भारतीय खिलाड़ियों के लिए यह फ़ायदेमंद भी होगा।

ऐसा इसलिए है क्योंकि टोक्यो का मुशीनो फॉरेस्ट स्पोर्ट्स प्लाज़ा, जो ओलंपिक के बैडमिंटन टूर्नामेंट की मेज़बानी करेगा। इस स्पोर्ट्स प्लाज़ा में किदांबी श्रीकांत ( Kidambi Srikanth), बी साई प्रणीत (B Sai Praneeth), पीवी सिंधु (PV Sindhu), चिराग शेट्टी (Chirag Shetty) और अन्य खिलाड़ियों को खेलने का अनुभव पहले से ही है। ये सभी खिलाड़ी पिछले दो साल से बीडबल्यूएफ जापान ओपन में हिस्सा ले रहे हैं।

इसका मतलब ये है कि ये सभी खिलाड़ी वहां कि परिस्थिति से वाक़िफ़ है और इसका फायदा उन्हें टोक्यो ओलंपिक में भी मिलेगा।

भारत के उभरते हुए डबल्स खिलाड़ी चिराग शेट्टी और सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी ( Satwiksairaj Rankireddy) का साल 2019 BWF जापान ओपन का सफ़र बेहद शानदार रहा था। जहां ये जोड़ी मुशिनो वन स्पोर्ट्स प्लाजा में खेलते हुए क्वार्टर फाइनल तक पहुंची।

चिराग शेट्टी का मानना है कि हॉल के अंदर हवा के बहाव का फायदा मिलता है।

चिराग शेट्टी ने ओलंपिक चैनल से बातचीत में बताया कि “मुशीनो धीमी कोर्ट में से एक है, जहां पर मुझे और सात्विक दोनों खेलना पसंद करते हैं। वहां पर पिछले साल हमने अच्छा प्रदर्शन किया था और ताकेशी कामुरा (Takeshi Kamura ) और कीगो सोनोडा (Keigo Sonoda) की घरेलू जोड़ी हराने के करीब पहुंच कर सेमीफाइनल में जगह बनाने सकते थे।”

टोक्यो में प्राकृतिक परिस्थितियों के करीब

बैडमिंटन जैसे इंडोर स्पोर्ट्स में यह दिलचस्प है कि जीत और नुकसान के बीच अंतर करने वाले प्रमुख कारकों में हवा शामिल होती है। इसका प्रभाव आप देख नहीं सकते लेकिन शटलकॉक पर भयंकर एयर-कंडीशनिंग का प्रभाव एक पेशेवर के लिए बहुत बड़ा हो सकता है।

इसलिए, यहां तक कि शीर्ष शटलर भी इससे परिचित होने में समय लेते हैं और अपने टेम्पो को उसी के अनुसार ढालते हैं।

बी साई प्रणीत जो पिछले साल टोक्यो ओलंपिक की जगह हुए बीडबल्यूएफ जापान ओपन के सेमीफाइनल में पहुंचने में कामयाब रहे थे, उन्हें भी लगता है कि खिलाड़ियों को वहां की परिस्थिति के हिसाब से ढलने में कुछ सेशन का वक्त लगता है।

बी साई प्रणीत ने ओलंपिक चैनल से कहा कि “चूंकि 2020 ओलंपिक वर्ष था इसलिए पिछले साल जापान ओपन को मुशिनो वन स्पोर्ट प्लाजा में इसलिए आयोजित करवाया गया था ताकि एथलीट वहां की स्थिति को अच्छे से जान सके।”

इसके अलावा उन्होंने कहा, "अगर हम तीन-चार दिन पहले जाएं और मुशीनो फॉरेस्ट स्पोर्ट्स प्लाजा में दो से तीन सत्र खेलें तो हमें पहले से ही इसके (हवा) बारे में अच्छी जानकारी होगी।"

टोक्यो का मुशीनो फॉरेस्ट स्पोर्ट्स प्लाजा, रियोसेंटरों की तरह एक मल्टीस्पोर्ट कॉम्प्लेक्स है, जहां 2016 ओलंपिक बैडमिंटन टूर्नामेंट आयोजित किया गया था। यहां भी बाहरी स्थिति का प्रभाव कम से कम पड़ा।

डेनमार्क के जान ओ जोर्गेनसेन (Jan O. Jorgensen) के खिलाफ अपनी हार के बाद एस्टोनिया के राउल मस्ट (Raul Must ) ने यूएसए टुडे को बताया, “ हवा के बहाव ने मेरे लिए इसे कठिन बना दिया। एक तरफ, यह धीमा था तो दूसरी तरफ तेज। धीमे साइड में जो आप सोच रहे हों उससे एक मीटर छोटा हो सकता है या दूसरी तरफ एक मीटर लंबा हो सकता है। "

हालांकि, चिराग शेट्टी का मानना है कि यह टोक्यो के मुशीनो फॉरेस्ट स्पोर्ट्स प्लाजा में ऐसा नहीं होगा।

चिरान शेट्टी ने बताया कि “मुशिनो में बहुत हवा नहीं चलती है इसलिए शटलर बेहतर नियंत्रण कर सकते है, इसके अलावा हम अपने प्लान के अनुरुप भी खेल सकते हैं।”

इसके अलावा उन्होंने कहा कि "हमें लंबी रैलियों को देखना होगा क्योंकि यह प्राकृतिक परिस्थितियों के करीब रहेगी और हमें शटल प्लेसमेंट के बारे में ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए।"

तकनीक की बदौलत मिलेगी जीत

एशियाई बैडमिंटन खिलाड़ियों को हवा के बहाव के तहत यूरोपियन खिलाड़ी से बेहतर माना जाता है क्योंकि उमस भरे मौसम से निकलकर एसी वाली हवा के कारण वह बेहतर महसूस करते हैं।

हालांकि, चिराग शेट्टी का मानना है कि हर शटलर की अपनी काबिलियत है कि वह कैसे अपनी कमजोरियों पर काबू पाए।

भारतीय स्टार ने कहा कि "हॉल के अंदर हवा के बहाव के लिए एसी ब्लोअर एक प्रमुख कारक है और यूरोप मैं जैसा मौसम होता है इसलिए वहां के खिलाड़ी इसके आदी नहीं होते। हालांकि अच्छी तकनीक से आप हवा के बहाव पर भी काबू पा सकते हैं।”

चिराग ने बताया कि उदाहरण के तौर पर "उदाहरण के लिए इंडोनेशियाई शटलर वास्तव में बैडमिंटन के प्रतिभाशाली खिलाड़ी होते हैं, मेरा मानना है कि दानिश खिलाड़ियों तकनीक से समृद्ध है तो वह इस पर आसानी से काबू पा लेते हैं।।”

ओलंपिक की रेस में भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी कहां खड़े हैं

बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन (BWF) ने 17 मार्च को अंतिम टूर्नामेंट आयोजित करके रैंकिंग को फ्रीज कर दिया था। अब आगे ऐसे टूर्नामेंट होने वाले हैं जहां भारतीय खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर सीधे ओलंपिक के लिए क्वालिफाई कर सकते हैं।

बी साई प्रणीत अभी भी रेस टू टोक्यो- बीडबल्यूएफ ओलंपिक क्वालिफिकेश रैंकिंग में 51,527 अंको के साथ 13वें स्थान पर काबिज है। ओलंपिक के लिए टॉप 16 खिलाड़ी सीधे क्वालिफाई करेंगे इसलिए पूरी उम्मीद है कि प्रणीत टोक्यो का टिकट कटा लेंगे।

भारत की स्टार महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु तो महिला सिंगल्स रैंकिंग में 70,754 अंको के साथ 7वें स्थान पर है।

ऑल इंग्लैंड ओपन में हिस्सा नहीं लेने वाली चिराग शेट्टी और सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी की भारतीय जोड़ी डबल्स रैंकिंग में 57,500 पॉइंट्स के साथ 9वें स्थान पर है। शीर्ष आठ में तीन इंडोनेशियाई जोड़ी के साथ भारतीय जोड़ी सीधे ओलंपिक में प्रवेश कर सकती है।

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