टोक्यो 2020 ओलंपिक खेलों के बैडमिंटन में भारत ने कांस्य पदक हासिल किया है, ऐसे में अगर ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों के तीन सीज़न पर नज़र डालें तो भारत ने हर खेल में पदक हासिल किया है। जिसके लिए भारत के शीर्ष शटलरों का अहम योगदान रहा है।
जहां साइना नेहवाल ने साल 2012 में बैडमिंटन में ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय शटलर का खिताब अपने नाम किया। इसके बाद पीवी सिंधु ने अगले दो खेलों में रियो 2016 में रजत और टोक्यो 2020 में कांस्य पदक हासिल कर इस जीत को बरकरार रखा।
आइए जानते हैं कि कैसे दो भारतीय बैडमिंटन दिग्गजों ने ओलंपिक में पदक हासिल किया है।
साइना नेहवाल - कांस्य पदक, लंदन ओलंपिक 2012
बीजिंग 2008 के क्वार्टर-फाइनल से बाहर होने के बाद साइना नेहवाल ने अगले चार वर्षों में कई टूर्नामेंट खिताब अपने नाम किए। जिसमें उनके राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई चैंपियनशिप के पदक शामिल थे। वहीं, बीजिंग में गैर-वरीयता प्राप्त होने से साइना नेहवाल ने लंदन ओलंपिक में चौथी वरीयता प्राप्त करने के लिए शानदार प्रदर्शन किया।
जहां साइना नेहवाल अपने बुखार से उबरने के बाद अपने अभियान की शुरुआत दो जीत के साथ की। इस दौरान उन्होंने अपना पहला मुकाबला सबरीना जैक्वेट (21-9, 21-4) से और फिर लियान टैन (21-4, 21-14) से जीत दर्ज की।
साइना नेहवाल ने राउंड ऑफ 16 के मुकाबले में याओ जी को (21-14, 21-16) से हराकर टाइन बाउन के साथ क्वार्टर-फाइनल में प्रवेश किया। वहीं, भारतीय शटलर साइना के लिए अंतिम-आठ मुकाबला चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि बाउन ने साइना की बराबरी की। आखिरी में, साइना ने दो करीबी सेटों (21-15, 22-20) में जीत के साथ पदक के करीब एक कदम आगे बढ़ी।
हालांकि फाइनल में जगह बनाने के साथ साइना नेहवाल लड़खड़ा गईं। उन्हें सेमीफाइनल में विश्व चैंपियन वांग यिहान से 21-13, 21-13 से हार का सामना करना पड़ा।
साइना ने दूसरे गेम में चोटिल वांग शिन के जल्दी हटने से 21-18 से जीत दर्ज करते हुए कांस्य पदक अपने नाम किया। इस तरह साइना ओलंपिक पोडियम पर पहुंचने वाली पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बन गईं।
पीवी सिंधु - रजत पदक, रियो ओलंपिक 2016
पीवी सिंधु के रियो खेलों में प्रवेश करते हुए साइना नेहवाल पर पिछले ओलंपिक की तरह उनके प्रदर्शन पर प्रशंसकों की उम्मीदें टिकी हुई थीं, लेकिन ग्रुप स्टेज में उनके निराशाजनक प्रदर्शन ने युवा शटलर पीवी सिंधु पर सबका ध्यान केंद्रित कर दिया।
तत्कालीन 21 वर्षीय सिंधु ने रियो खेलों के लिए एक बेहतरीन शुरुआत की। जहां वह लौरा सरोसी (21-8, 21-9) और मिशेल ली (19-21, 21-15, 21-17) पर शानदार जीत दर्ज करते हुए शीर्ष 16 के साथ अपने ग्रुप में शीर्ष पर रहीं।
इसके बाद सिंधु का अगला मुकाबला ज़ू-यिंग के साथ था। जहां इस शटलर ने एक बार फिर अपने प्रदर्शन का नमूना दिखाते हुए ज़ू-यिंग को मात देते हुए क्वार्टर-फाइनल में प्रवेश किया। इस तरह ताई त्ज़ु पर 21-13, 21-15 से जीत हासिल की।
लेकिन इसके बाद सिंधु को वांग यिहान के साथ एक कड़ा मुकाबला खेलना पडा, जहां वह 22-20, 21-19 से जीत के साथ आगे बढ़ने में सफल रहीं।
पीवी सिंधु को ओलंपिक में सबसे सफल भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बनने के लिए एक और मैच जीतना पड़ा। सिंधु ने सेमीफाइनल में नोज़ोमी ओकुहारा को पछाड़ते हुए अपने डेब्यू ओलंपिक के फाइनल में जगह बनाई।
पीवी सिंधु ने फाइनल में कैरोलिना मारिन के खिलाफ शुरुआती सेट जीता, लेकिन अगले दो (21-19, 12-21, 15-21) में हारकर उन्हें सिर्फ रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा।
पीवी सिंधु – कांस्य पदक, टोक्यो ओलंपिक 2020
COVID-19 महामारी के कारण टोक्यो 2020 को स्थगित कर दिया गया था। जिसके कारण कई इवेंट भी रद्द कर दिए गए थे। जहां केवल पीवी सिंधु ही भारत से महिला एकल के लिए क्वालीफाई कर सकीं थीं।
वहीं, चोट के कारण कैरोलिना मारिन के हटने के बाद रियो 2016 की रजत पदक विजेता पदक के लिए पसंदीदा शटलर में से एक थीं। उन्होंने अपने अभियान की शुरुआत की और सिंधु एक बार फिर अपने ग्रुप में शीर्ष स्थान हासिल किया। वहीं, उन्होंने चेउंग गान यी (21-9, 21-16) और सेनिया पोलिकारपोवा (21-7, 21-10) को हराकर नॉकआउट में प्रवेश किया।
राउंड ऑफ 16 मुकाबले में पीवी सिंधु ने मिया ब्लिचफेल्ट (21-15, 21-13) को मात दी और इसके बाद एशियाई चैंपियन अकाने यामागुची (21-13, 22-20) को हराकर पुरानी प्रतिद्वंद्वी ताई ज़ू यिंग से सेमीफाइनल में मुकाबला खेला।
हालांकि, इस बार ताई ज़ू ने जीत हासिल की। जहां सिंधु दुनिया की नंबर एक शटलर (21-18, 21-12) से हार गईं। हालांकि, इसके बाद सिंधु ने तीसरे स्थान के लिए ही बिंग जियाओ को हराकर देश के लिए कांस्य पदक अपने नाम किया।
भारत के बैडमिंटन ओलंपिक विजेता
1992 बार्सिलोना ओलंपिक
जब बैडमिंटन ने ओलंपिक में अपना डेब्यू किया तो पूर्व राष्ट्रीय चैंपियन दीपांकर भट्टाचार्य पुरुष एकल में तीसरे राउंड में आगे बढ़े, जबकि मधुमिता बिष्ट महिला एकल स्पर्धा में दूसरे स्थान पर रहीं।
1996 अटलांटा ओलंपिक
दीपांकर भट्टाचार्य ने अपने दूसरे ओलंपिक में प्रवेश किया। जहां उनका सफर दूसरे मुकाबले से खत्म हो गया और पीवीवी लक्ष्मी ने भी अपना पहला मैच जीता, लेकिन महिला एकल में अगला मैच हार गईं।
2000 सिडनी ओलंपिक
वर्तमान प्रमुख राष्ट्रीय बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद ने अपने ओलंपिक डेब्यू पर राउंड ऑफ 16 के मुकाबले में जगह बनाई।
2004 एथेंस ओलंपिक
अपर्णा पोपट और निखिल कानेतकर क्रमशः महिला और पुरुष एकल के प्री-क्वार्टर फाइनल मुकाबले से आगे नहीं बढ़ पाए।
2008 बीजिंग ओलंपिक
महिला एकल मुकाबले में साइना नेहवाल ओलंपिक में क्वार्टर-फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय शटलर बनीं, जबकि अनूप श्रीधर पुरुष एकल के दूसरे राउंड में बाहर हो गए।
2012 लंदन ओलंपिक
महिला एकल में साइना नेहवाल के अभूतपूर्व कांस्य पदक के अलावा, उनके अब के पति पारुपल्ली कश्यप ने भी पुरुष एकल के क्वार्टर मुकाबले में जगह बनाने में सफल रहे।
2016 रियो ओलंपिक
पीवी सिंधु ने फाइनल में जगह बनाई और रजत पदक जीता, जबकि पूर्व विश्व नंबर-1 किदांबी श्रीकांत क्वार्टर-फाइनल में हार का सामना करना पड़ा।
2020 टोक्यो ओलंपिक
पीवी सिंधु एकमात्र भारतीय शटलर थीं, जो टोक्यो में ग्रुप स्टेज से आगे निकल पाईं।