जानिए कैसे एशियाई खेलों ने IITian गेमर हेमंत कोमू को बना दिया नेशनल ई-स्पोर्ट्स चैंपियन

हेमंत कोमू ने आईआईटी गुवाहाटी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और नवंबर में इजराइल में होने वाली विश्व चैंपियनशिप में प्रो इवोल्यूशन सॉकर में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।

4 मिनटद्वारा शिखा राजपूत
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(2019 Getty Images)

पढ़ाई और खेल दोनों ही क्षेत्रों में बेहतर होने के बारे में बहुत ही कम सुनने या देखने को मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि जब शिक्षा और खेल आपस में मिल जाते हैं तो आमतौर पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

लेकिन भारत के एक ऐसे युवा भी हैं, जो गेमर्स के बारे में गढ़े गए इस विचार का खंडन कर रहे हैं कि अच्छी पढ़ाई करने वाला बेहतरीन गेमर नहीं हो सकता, और गेम में अच्छा होने वाला पढाई नहीं कर सकता।

आंध्र प्रदेश निवासी हेमंत कोमू(Hemanth Kemmu) मशहूर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) के छात्र हैं और हिट फुटबॉल गेम प्रो इवोल्यूशन सॉकर (पीईएस) के नेशनल चैंपियन भी हैं।

24 वर्षीय कोमू IIT गुवाहाटी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और साथ ही साथ इजराइल में 2021 ई-स्पोर्ट्स विश्व चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करने की तैयारी कर रहे हैं।

लेकिन तीन साल पहले हेमंत के दिमाग में कभी नहीं आया था कि वह एक पेशेवर के रूप में प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।

एशियाई खेलों से आया विचार

2018 एशियाई खेलों में ई-स्पोर्ट्स को एक प्रदर्शन इवेंट के रूप में शामिल करने से पहले भारत का प्रतिनिधित्व जौंटी टैंक (Jaunty Tank) और तीर्थ मेहता (Tirth Mehta) ने किया था। हेमंत कोमू सिर्फ सामान्य गेम खेलने वाले थे, जो वीकेंड में सिर्फ मस्ती के लिए खेला करते थे।

कोमू ने पीईएस खेला, क्योंकि उनके चाचा ने 2007 में उन्हें यह गिफ्ट किया था, लेकिन टूर्नामेंट में प्रतिस्पर्धा करने का विचार उन्हें कभी नहीं आया।

लेकिन जैसे ही उन्होंने एशियाई खेलों की खबर सुनी, उसी वक्त हेमंत को एहसास हो गया कि यह उनके लिए एक बुलावा है।

कोमू ने उस पल को याद करते हुए बताया,  "मुझे एक दोस्त के जरिए पता चला कि पीईएस एशियाई खेलों में एक खिताब है। मुझे यह गेम बहुत पसंद था, इसलिए मैंने एक कोशिश करने के बारे में सोचा।"

IITian ने भारत में गेमिंग के बारे में सारी बातें जानना शुरू कर दी, जिसके बाद उन्हें एक नई दुनिया के बारे में पता चला।

"एशियाई खेलों ने पीईएस को एक्सपोजर दिया। मुझे पता चला कि इस प्रकार की प्रतियोगिताएं हो रही थीं और मुझे भारत में ई-स्पोर्ट्स के बारे में समझ आया।"

महामारी बनी वरदान

पढ़ाई के साथ-साथ गेमिंग कई लोगों के लिए एक आसान काम है। लेकिन IIT में पढ़ते समय पेशेवर रूप से प्रतिस्पर्धा करना काफी कठिन हो जाता है।

हेमंत कोमू ने कहा, “महामारी से पहले टूर्नामेंट ज्यादातर ऑफलाइन आयोजित किए जाते थे, इसलिए मेरे लिए कहीं और जाना और उसमें हिस्सा लेना संभव नहीं था। इसके साथ क्लास करना और असाइनमेंट करना भी बहुत मुश्किल था।"

फिर कोविड-19 महामारी के कारण कोमू को अपना हॉस्टल छोड़कर घर वापस जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसका मतलब यह भी था कि वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने के साथ-साथ और अधिक कुशलता से गेम भी खेल सकते थे।

"जब भी मैं पढ़ाई से थका हुआ महसूस करता हूं, मैं पीईएस खेलता हूं। मैं कोई टीवी सीरीज या कोई अन्य मनोरंजन नहीं देखता। मेरे लिए पीईएस ही मनोरंजन का एकमात्र साधन है।”

हेमंत कोमू को यह एहसास बिल्कुल भी नहीं था कि गेमिंग के माध्यम से तनाव दूर करने की आदत उन्हें अगली नेशनल चैंपियनशिप में भारत के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक बनने के लिए प्रशिक्षित कर रही थी।

दुनिया के बाकी हिस्सों की तरह ऑफलाइन से ऑनलाइन में हुए बदलाव से 2021 में गेमर्स  भी पूरी तरह से ऑनलाइन हो गए।

कोमू अपने गेमिंग नाम Peshmac7 से जाने जाते हैं, जो विजयवाड़ा में उनके आवास से जुड़ा हुआ है। दक्षिण एशिया के रीजनल क्वालीफायर के लिए क्वालीफाई करने के लिए अपने से अधिक अनुभवी प्रतियोगियों को हराया है।

उन्होंने विश्व फाइनल में एक स्थान में जगह बनाने के लिए पाकिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, मालदीव और श्रीलंका के चैंपियन को हराया।

कोमू ने उत्साहित होते हुए कहा, "यह वह खेल है जिसे मैं अपने बचपन के दिनों से खेलना पसंद करता था और ईडब्ल्यूसी में भारत का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम होना बहुत अच्छा अनुभव है। मैं अपने देश का नाम रोशन करने के लिए अपनी तैयारी में ज्यादा से ज्यादा  ऑनलाइन मैच भी खेल रहा हूं।"

कोमू अब विश्व खिताब की तलाश में नवंबर में इस्राइल के ईलात का सफर करेंगे।

गेमिंग की दुनिया में अपना नाम बनाने के बाद भी कोमू का लक्ष्य अभी भी अपनी शिक्षा पूरी करना और अपने क्षेत्र में एरोडायनमिक्स और पपल्शन में नौकरी पाना है।

"मैंने ई-स्पोर्ट्स में पूरा समय देने के बारे में नहीं सोचा है। मैं पढ़ाई पर ध्यान देना चाहता हूं और इसे ही पूरी तरह से करना चाहता हूं। मैं कभी भी सीधे पांच घंटे नहीं खेल सकता।”

लेकिन यह जानते हुए कि कैसे कोमू किसी प्रतियोगिता के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षण नहीं लेते हैं। हैरानी की बात नहीं होगी अगर वह अगले साल भी पोडियम के शीर्ष पर पहुंच जाए। इस बार वह एक वर्किंग प्रोफेशनल के रूप में चुने गए हैं।