टोक्यो ओलंपिक के पदकों का “1 इयर टु गो!” समारोह के मौके पर हुआ अनावरण
टोक्यो ओलंपिक की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। “वन इयर टु गो!” समारोह के मौके पर ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों के ओलंपिक पदकों का अनावरण किया गया।
बुधवार 24 जुलाई 2019 को टोक्यो आयोजन समिति ने "1 इयर टु गो!!" समारोह के मौके पर ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों के लिए बने ओलंपिक मेडल के डिजाइन का अनावरण किया। इस मौके पर मेडल रिबन और केस को भी प्रदर्शित किया गया। अब एशियाई महाद्वीप में 12 साल बाद होने वाले टोक्यो ओलंपिक की उलटी गिनती शुरू हो गई है। इस खेल महाकुंभ के शुरु होने में अब महज़ एक साल का समय शेष रह गया है।
जापान की राजधानी टोक्यों में हुए इस समारोह में प्रशंसकों, प्रायोजकों और राजनीतिज्ञों ने विभिन्न समारोह में हिस्सा लिया। इस दौरान लोगों के हाथों में बोर्ड थे और घड़ी थीं जो 365 दिन शेष दिखा रही थीं। आपको बता दें, टोक्यो ओलंपिक का उद्घाटन समारोह 24 जुलाई 2020 को होगा। खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाने के लिए ही ओलंपिक शुरू होने के एक साल पहले इसके गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल को सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शित किया गया।
इस मौके पर ओलंपिक 1976 में तलवारबाजी के स्वर्ण पदक विजेता और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के अध्यक्ष थॉमस बाक ने स्कूली बच्चों के साथ अपने कौशल का प्रदर्शन किया। गौरतलब है कि, जापान ने इन खेलों की मेजबानी पर लगभग 20 अरब डालर खर्च किए हैं। हालांकि ओलंपिक आयोजन पर होने वाले खर्च का सटीक अनुमान लगाना मुश्किल है।
जापान में खेलों के लिए 8 नए स्टेडियम तैयार किए जा रहे हैं, जिनमें से 5 पर काम समाप्त हो गया है। मुख्य स्टेडियम एक अरब 25 करोड़ डॉलर की लागत से तैयार किया गया है। इसे साल के आखिर तक यह लोगों के लिए खोल दिया जाएगा। इसके अलावा 35 अस्थाई या पुराने स्टेडियमों का उपयोग भी किया जाएगा। ओलंपिक समाप्त होने के बाद 25 अगस्त 2020 से पैरालंपिक शुरू होंगे।
इलेक्ट्रॉनिक कचरे से तैयार किए गए मेडल
टोक्यो 2020 ओलंपिक के सभी पदक इलेक्ट्रॉनिक कचरे के पुन:चक्रण से मिली धातु का प्रयोग करके बनाए गए हैं। इसके लिए टोक्यो ओलंपिक की आयोजन समिति ने 2017 में लोगों से पुराने स्मार्टफोन और लैपटॉप सहित अन्य इलेक्ट्रानिक कचरे को एकत्रित करने के लिए एक योजना लांच की थी, जिसका उद्देश्य पदकों के लिए धातु इकट्ठा करना था। योजना के तहत जापानी व्यवसाय और उद्योग से इस कचरे के रिसाइकिलिंग के बाद मिली धातु को एकत्रित करके मेडल तैयार किए गए।
ई-कचरे को इकठ्ठा करने के लिए नगर निगम अधिकारियों ने 47,488 टन बेकार उपकरण एकत्रित किए थे। जिनमें से लोगों ने करीब 50 लाख इस्तेमाल किए जा चुके फोन भी दिए थे। ओलंपिक पदक बनाने के लिए इससे पहले भी इलेक्ट्रानिक कचरे के पुन:चक्रण से प्राप्त हुई धातु को इस्तेमाल किया जा चुका है। रियो ओलिंपिक भी इनमें से एक था, जिसमें 30 प्रतिशत सिल्वर और ब्रॉन्ज ऐसे ही प्राप्त किया गया था।