पूरे विश्व में किसी भी साल का अंत और नव वर्ष की शुरुआत हर्ष, उल्लास, उत्सव और अलग तरह के परम्पराओं से करि जाती है लेकिन सब देशों के महोत्सवों में एक समानता ज़रूर होती है और वह है नए वस्त्र पहनने का अवसर। नए वस्त्र पहनना, अच्छा दिखना और परिवार के साथ ख़ुशी मनाने का मौका भी होता है।
उत्तम वस्त्र खोजना हमेशा आसान नही होता लेकिन चिंता न करें क्योंकि दिग्गज और युवा खिलाड़ियों द्वारा ओलिंपिक खेलों पर पहने गए वस्त्र, आभूषण और अन्य सामान आपकी सहायता करेंगे और कुछ नया करने की प्रेरणा देंगे।
इस श्रृंखला के सातवें भाग में हम आपको बताएँगे महान धावक Ed Moses और उनकी प्रतिष्ठित काले चश्मों की कहानी।
Ed Moses एथलेटिक्स इतिहास के सबसे महान धावकों में से एक हैं और उन्होंने दो बार ओलिंपिक खेलों की 400मी हर्डल्स प्रतियोगिता में स्वर्ण अपने नाम किया था। उनकी महानता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि अगस्त 1977 और जून 1987 के बीच वह एक भी दौड़ नहीं हारे। नौ सालों में दौड़ी गयी 122 रेस में से 107 फाइनल थे और Moses ऐसे धावक थे जो 13 कदमों की अलग तकनीक का प्रयोग करते थे जबकि बाकी खिलाड़ी 14 कदम का इस्तेमाल करते थे। यह तकनीक बहुत कम धावकों द्वारा इस्तेमाल की गयी है और उनमे से एक हैं नॉर्वे के Karsten Warholm जो टोक्यो 2020 ओलिंपिक खेलों में 400 मी हर्डल्स प्रतियोगिता के प्रबल दावेदार हैं।
अद्भुत खेल और अपने रिकॉर्ड के अलावा Ed Moses अपने लोकप्रिय काले चश्मों के लिए जाने जाते थे। अपने अद्भुत करियर के दौरान Ed Moses यह काले चश्मे पहन कर दौड़ के मैदान में कदम रखते थे और उन्होंने कई पदक इन्हे पहन कर जीते। जब भी वह किसी रेस में भाग लेने के लिए ट्रैक पर होते थे तो यह काले चश्मे उनके व्यक्तित्व का एक प्रतीक बन चुके थे और पूरा विश्व इन चश्मों से ही Moses पहचान जाता था। सोल में आयोजित हुए 1988 ओलिंपिक खेलों में Moses द्वारा पहने गए काले चश्मे आज भी खेल प्रेमियों को याद हैं।
मज़े की बात यह है कि इन चश्मों से Moses का लगाव खेल जीवन तक सीमित नहीं था। उनकी पत्नी Myrella ने 1984 में वाशिंगटन पोस्ट से बात करते हुए बताया की वह जब विद्यार्थी थे तो वह बहुत पुष्ट नहीं थे।
"वह चश्मे पहनने वाले पतले दुबले और बुद्धिमान बच्चों में से एक थे।"