स्पीड स्केटिंग का खेल बर्फीले लेक और नदियों पर परिवहन के सिलसिले में शुरू हुआ था।
शुरूआती दौर
डच को स्केटिंग का फादर माना जाता है। 13वीं सदी में वह वार्तालाप करने के लिए पहाड़ों पर कैनाल की प्रयोग करते थे। इसके बाद इस खेल के कदम इंग्लैंड की ओर बढ़े और देखते देखते इसे मज़बूत करने के लिए आर्टिफिशियल रिंक बनाए गए। इसमें इंग्लैंड के राजा मैरी एन्टोंइनेट (Marie Antoinette), नपोलियन III (Napoleon III) और जर्मन लेखक योहान वुल्फगांग फान गेटे (Johann Wolfgang von Goethe) ने भी हिस्सा लिया करते थे।
पहली प्रतिस्पर्धा
कहा जाता है 1676 में स्केटिंग की पहली प्रतियोगिता नीदरलैंड की सरज़मीन पर आयोजित करने का फैसला लिया गया था। हालांकि 1863 में ओस्लो, नॉर्वे में इसकी पहली प्रतिस्पर्धा को अंजाम दिया गया था। 1889 में नीदरलैंड ने पहली वर्ल्ड चैंपियनशिप को आयोजित कर सभी की नज़रें बटोर ली थी और इसमें डच, रूस, अमरीका और इंग्लिश टीमों ने हिस्सा लिया था।
ओलंपिक में इतिहास
स्पीड स्केटिंग को पहली बार 1924 ओलंपिक गेम्स के ज़रिए इस स्तर पर ले जाया गया। यह संस्करण चामोनिक्स में हुआ था। उस समय केवल उरुष ही इस खेल का हिस्सा थे लेकिन 1932 में महिलाओं को भी प्रतिस्पर्धा के लिए आमंत्रित किया गया। हालांकि उस समय इस इवेंट को प्रदर्शनीय खेल के रूप में उतारा गया था। इसके बाद 1960 में स्पीड सस्केटिंग को मेडल इवेंट की मान्यता मिली और उसके बाद इसके प्रशंसक बढ़ते ही चले गए।
इवेंट ने यूरोपियन सिस्टम को फॉलो किया जहां स्केटर 2-बाई-2 में प्रतिस्पर्धा करते थे। 1932 गेम्स में अक्रीका ने अमरीकी स्टाइल को बढ़ावा दिया और मॉस स्टार्ट को भी शामिल किया गया। इस इवेंट का कई यूरोपियन देशों ने खंडन भी किया और इसी वजह से अमरीका के हाथ उस संस्करण में 4 गोल्ड मेडल भी आए। नए सिस्टम की वजह से शोर्ट ट्रैक स्पीड स्केटिंग का भी जन्म हुआ और इसे पहली बार 1992 ओलंपिक गेम्स में भी उतारा गया।।