स्की जम्पिंग ने लगाई तरक्की की छलांग

लाजवाब और दिलचस्प स्की जम्पिंग के खेल में कई बदलाव किए गए और आज इसे पूरी दुनिया शौंक से देखती है।

2 मिनटद्वारा जतिन ऋषि राज

पिछले 100 सालों से स्की जम्पिंग ने खुद को बहुत बड़ा बना लिया है। इसमें अलग तकनीक का मिलन हुआ है ताकि जंपर ज़्यादा अच्छा प्रदर्शन कर सकें और खेल भी रोमांचक बन सके।

नॉर्वे में हुई शुरुआत

स्की जम्पिंग की बात की जाए तो ओले रए (Ole Rye) का नाम हमेशा जहन में होता है क्योंकि 1808 में उन्होंने 9.5 मीटर की जंप लगाई थी। नोर्वेगन के सोंडरे नोरहीम (Sondre Norheim) को मॉडर्न स्की जम्पिंग का फादर कहा जाता है। 1866 में इन्होंने विश्व की पहली स्की जम्पिंग प्रतियोगिता को अपने नाम किया था और उन्हें बहुत से उपहार भी मिले थे।

शुरूआती दिग्गज

विश्व युद्ध I के बाद ठुलिन थैम्स (Thulin Thams) और सिगमंड रूड (Sigmund Ruud) ने नई जम्पिंग तकनीकों को साझा किया जिन्हें कोंग्सबर्गर के नाम से जाना गया। इस तकनीक में शरीर का ऊपरी हिस्सा लगता था, हिप्स झुके हुए थे और एथलीट आगे की ओर झुक जाता था। इस तकनीक का इस्तेमाल करते हुए ऑस्ट्रिया के सेप ब्राडल (Sepp Bradl) 100 मीटर की छलांग मारने वाले पहले खिलाड़ी बनें। 1936 में उन्होंने 101 मीटर की जंप मारी थी।

कैसे हुआ विकास

1950 के माध्यम तक, स्विस जंपर एंड्रियास डैशर (Andreas Daescher) पहले जंपर बनें थे जिन्होंने हाथों को पीछे और शरीर को काफी आगे रखते हुए जंप की थी। इसके बाद 1985 में स्वीडिश जंपर जैन बोकलोव (Jan Bokloev) ने “V” शेप में जंप मारी और उसके बाद ओलंपिक के मेडल विजेता इस तकनीक का इस्तेमाल करने लग गए।

ओलंपिक में इतिहास

स्की जम्पिंग ओलंपिक विंटर गेम्स का हिस्सा चामोनिक्स 1924 से है। नार्मल हिल प्रतियोगिता को ओलंपिक में 1964 गेम्स में शामिल किया गया था। 1988 से टीम इवेंट को तीसरी प्रतियोगिता बना दिया गया।

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