जूडो से जुड़ी हर जरूरी जानकारी के बारे में यहां जानें

4 मिनटद्वारा सतीश त्रिपाठी

जूडो क्या है?

जूडो एक जापानी मार्शल आर्ट है, जो शारीरिक फिटनेस, मेंटल डिसिप्लिन और स्पोर्ट स्किल पर जोर देने के साथ विपक्षी को मात देने के लिए थ्रो और ग्रैपलिंग तकनीक पर भी ध्यान केंद्रित करना होता है।

जूडो का आविष्कार किसके द्वारा, कब और कहां किया गया था?

जूडो की खोज साल 1882 में जापान में जिगोरो कानो द्वारा किया गया था। इस फिज़िकल एजुकेशन से लोग अपनी ख़ुद की रक्षा करने में सक्षम होते थे और इसके साथ ही यह अधिक शारीरिक दक्षता वाला खेल भी था।

जूडो के नियम क्या हैं?

जूडो में थ्रो, होल्ड और सबमिशन के लिए प्वाइंट दिए जाते हैं। इसका उद्देश्य प्रतिद्वंद्वी को बल के साथ जमीन पर गिराना या एक निश्चित समय के लिए उसे दबाए रखना है।

प्रतियोगिताओं को वजन कैटेगरी में विभाजित किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि विरोधियों का आकार और ताकत एक जैसा हो।

जूडो मैच कितने समय का होता है?

पुरुषों के लिए जूडो मैच क्वालीफ़ाइंग राउंड में 4 मिनट तक और सेमीफ़ाइनल और फ़ाइनल में 5 मिनट तक होता है। वहीं, महिलाओं के लिए सभी राउंड मैच 4 मिनट तक होते हैं। हालांकि, यदि कोई मैच टाई में समाप्त होता है, तो इसे गोल्डन स्कोर की अतिरिक्त अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है। जहां एक अंक हासिल करने वाला जीतता है या पेनल्टी प्राप्त करने वाला पहला प्रतियोगी मैच हार जाता है।

जूडो कहां सबसे अधिक लोकप्रिय है?

जूडो ख़ासकर जापान में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है, जहां इसकी शुरुआत हुई थी। इसके साथ ही साथ जूडो फ़्रांस, रूस, जर्मनी और नीदरलैंड जैसे कई यूरोपीय देशों में भी प्रसिद्ध है। इसके अलावा जूडो दक्षिण कोरिया, ब्राजील और क्यूबा में भी एक लोकप्रिय खेल है, और संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा सहित कई अन्य देशों में इसके फॉलोअर लगातार बढ़ रहे हैं।

जूडो और ओलंपिक

जूडो ने साल 1964 में आयोजित टोक्यो ओलंपिक खेलों में अपनी पहली उपस्थिति दर्ज की थी। हालांकि, इसे 1968 में मैक्सिको सिटी में ओलंपिक प्रोग्राम में शामिल नहीं किया गया था, लेकिन साल 1972 में म्यूनिख में आयोजित हुए खेलों में इसे शामिल कर लिया गया और इसके बाद से यह प्रत्येक ओलंपिक का हिस्सा बना हुआ है। **इसके अलावा महिलाओं के लिए इसे 1992 में बार्सिलोना में शामिल किया गया था।**पुरुष और महिलाएं अब 7 भार वर्गों में प्रतिस्पर्धा करते हैं। शुरुआत में ये सभी कैटेगरी के लिए एक पुरुष वर्ग ओपन था, लेकिन लॉस एंजिल्स में 1984 के खेलों के बाद इस इवेंट को वापस ले लिया गया था।

वहीं, जूडो में सबसे सफल देश की बात की जाए तो कुल 96 पदक (48 स्वर्ण सहित) के साथ जापान ओलंपिक में सबसे सफल देश है। फ़्रांस और दक्षिण कोरिया क्रमशः 57 और 46 पदकों के साथ कतार में हैं। इसके साथ ही इस फ़ेहरिस्त में रूस, जॉर्जिया, इटली और ब्राज़ील जैसे देश भी शामिल हैं।

जूडोका के सर्वश्रेष्ठ लम्हें

फ़्रांसीसी जूडोका ख़ासकर टोक्यो 2020 में मिक्स्ड टीम इवेंट में स्वर्ण सहित आठ पदक जीतने के बाद अपने घरेलू जमीन पर पदक जीतने के प्रबल दावेदारों में से एक होंगे।

इसके अलावा टेडी रेनर +100 किग्रा वर्ग में तीसरे व्यक्तिगत स्वर्ण पदक की तलाश में होंगे, जबकि क्लेरीसे एगबेग्नेनौ अपने पहले बच्चे को जन्म देने के बाद अपने ख़िताब को बरकरार रखने का प्रयास करेंगी। अमांडाइन बुचार्ड, रोमेन डिको भी पसंदीदा जूडोकाओं में एक होंगे।

हमेशा की तरह जापान की टीम काफी मज़बूत नज़र आ रही है, जिस पर सभी की निगाहें होंगी। अबे हिफ़ुमी और उनकी बहन अटा, जो एक ही दिन टोक्यो 2020 में ओलंपिक चैंपियन बने थें, वो ऐसा करने वाले पहले भाई-बहन हैं। इस ख़िताब के बाद वो एक बार फिर इतिहास दोहराने का प्रयास करते हुए नज़र आएंगे।

कनाडा की जेसिका क्लिमकेट और बेल्जियम की मैथियस कैस पेरिस 2024 में पदक जीतने के इरादे से प्रदर्शन करती हुई नज़र आएंगी। उन्होंने टोक्यो 2020 में ब्रॉन्ज़ मेडल अपने नाम किया था।

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