बॉक्सिंग क्या है?
बॉक्सिंग बिना किसी हथियार के सिर्फ़ दोनों हाथों के साथ मुक़ाबला करने का एक तरीक़ा है, जिसमें एक एथलीट अपने प्रतिद्वंद्वी के सिर या शरीर (कमर से ऊपर) पर मुक्के मारकर अंक हासिल करने का प्रयास करता है। ये अंक जजों के द्वारा तय किए जाते हैं या फिर मुक़ाबले के दौरान रेफ़री किसी मुक्केबाज़ को मुक्केबाज़ी करने के लिए असमर्थ करार दे देता है।
बॉक्सिंग का आविष्कार किसके द्वारा, कहां और कब किया गया था?
बॉक्सिंग का सबसे पहला प्रमाण लगभग 3000 ईसा पूर्व प्राचीन मिस्र में मिलता है, यह 16वीं शताब्दी तक नहीं था जब ग्रेट ब्रिटेन में बड़े पैमाने पर 'ईनामी लड़ाई' या हाथों और पैरों में बिना किसी सपोर्ट के मुक्केबाज़ी होती थी।
1867 में, मार्क्वेस ऑफ़ क्वींसबेरी के नियम प्रकाशित किए गए, जिन्होंने पहली बार बॉक्सिंग में नियमों को लागू कर दिया और बॉक्सिंग ग्लव्स का उपयोग अनिवार्य कर दिया।
बॉक्सिंग के नियम क्या हैं?
बॉक्सिंग मुक़ाबला एक 'रिंग' में होता है, जो 4.9 मी चौड़ी और 7.3 मी लंबी होती है। इसके चारों कोनों के बीच रस्सियां एक ऊंचे कैनवास मैट से जुड़ी होती हैं।
एक मुक़ाबले में दो मुक्केबाज़ कई राउंड में एक-दूसरे का सामना करते हैं, जो आमतौर पर तीन मिनट तक चलता है। एक रेफ़री मुक़ाबले को नियंत्रित करने का काम करता है और वह मुक्केबाज़ी को बीच में ही रोक सकता है, यदि उसे लगता है कि कोई भी मुक्केबाज़ मुक़ाबले को जारी रखने में असमर्थ है। इसके साथ ही रेफ़री मुक्केबाज़ों को लगी चोट या पहने हुए गियर को सही करने के लिए अस्थायी रूप से भी मुक़ाबले को कुछ देर के लिए रोक सकता है।
यदि एक मुक्केबाज़ को मारकर ज़मीन पर गिरा दिया जाता है, तो इसे नॉकडाउन कहा जाता है और रेफ़री 10 तक गिनती गिनना शुरू करता है। यदि रेफ़री को लगता है कि किसी मुक्केबाज़ ने ब्रेक लेने के लिए एक दमदार मुक्का मारा है तो वह सीधे आठ काउंट भी कर सकता है।
जज प्रत्येक राउंड से अलग-अलग स्कोर करते हैं और मुक्केबाज़ को 10 अंक में से उनके मुक्कों की शक्ति और सटीकता के आधार पर अंक देते हैं। हालांकि बॉक्सिंग में अक्सर आक्रामकता के आधार पर भी अंक दिए जाते हैं। किसी भी राउंड को हारने वाला आमतौर पर नौ अंक प्राप्त करता है, लेकिन यह आठ भी हो सकता है यदि विजेता बहुत अधिक प्रभावशाली रहा हो या उसने नॉकडाउन स्कोर किया हो। यदि प्रतियोगिता अंत तक चलती है तो ये स्कोरकार्ड ही विजेता को तय करते हैं।
ओलंपिक बॉक्सिंग और प्रोफ़ेशनल बॉक्सिंग में क्या अंतर है?
ओलंपिक मुक्केबाज़ी में, पुरुषों और महिलाओं के मुक़ाबलों में तीन-तीन मिनट के राउंड होते हैं। पिछले कुछ वर्षों में जजों की संख्या और स्कोरिंग का तरीक़ा थोड़ा बदल गया है। अब रिंग के बाहर पांच रिंगसाइड जज बैठते हैं जो प्रतियोगिता का आकलन करते हैं।
बॉक्सिंग में हेडगार्ड्स को लॉस एंजिल्स 1984 में पेश किया गया था, लेकिन फिर रियो 2016 से पहले पुरुषों की प्रतियोगिता के लिए इसे हटा दिया गया। महिला ओलंपिक मुक्केबाज़ी की शुरुआत लंदन 2012 में हुई, इसमें अभी भी हेडगार्ड का उपयोग किया जाता है।
पहले एमेच्योर मुक्केबाज़ों तक ही सीमित रहने के कारण, पेशेवर मुक्केबज़ों को पहली बार रियो 2016 में शामिल किया गया था।
पुरुषों की पेशेवर मुक्केबाज़ी में, चैंपियनशिप मुक़ाबलों में केवल तीन रिंगसाइड जजों के साथ तीन मिनट के 12 राउंड होते हैं। वहीं, कम समय के गैर-चैंपियनशिप मुक़ाबलों में, रेफ़री ही स्कोरर होता है।
महिलाओं की पेशेवर मुक्केबाज़ी में, चैंपियनशिप मुक़ाबलों में दो मिनट के 10 राउंड होते हैं।
बॉक्सिंग और ओलंपिक
बॉक्सिंग ने सेंट लुइस 1904 में ओलंपिक में अपना डेब्यू किया और स्टॉकहोम 1912 (स्वीडन में इस खेल के अवैध होने के कारण) को छोड़कर बॉक्सिंग सभी ओलंपिक खेलों का हिस्सा रहा है।
महिला मुक्केबाज़ी को लंदन 2012 में केवल तीन भार वर्गों के साथ पेश किया गया था, हालांकि पुरुषों के भार वर्गों में कमी करने के साथ ही यह संख्या धीरे-धीरे बढ़ी है।
क्यूबा और संयुक्त राज्य अमेरिका ओलंपिक मुक्केबाज़ी के पावरहाउस रहे हैं, ग्रेट ब्रिटेन और रूस भी इस खेल में अपना वर्चस्व दिखाने के लिए जाने जाते हैं। ब्रिटेन, आयरलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका ने अब तक महिला ओलंपिक मुक्केबाज़ी में सबसे अधिक सफलता हासिल की है।
अभी तक के सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज़
मुहम्मद अली, सुगर रे लियोनार्ड, फ्लॉयड मेवेदर (जिन्होंने सेमीफ़ाइनल में विवादास्पद अंक हार के बाद अटलांटा 1996 में कांस्य पदक जीता था), व्लादिमीर क्लिट्सको, ऑलेक्ज़ेंडर उस्यक और एंथोनी जोशुआ के साथ ही ओलंपिक खेलों में प्रतिस्पर्धा करने के बाद कई मुक्केबाज़ पेशेवर मुक्केबाज़ बन गए।
क्यूबा के एथलीट पहले सिर्फ़ पेशेवर रूप से तभी प्रतिस्पर्धा कर सकते थे जब वे देश के लिए खेलने में सक्षम नहीं होते थे। हेवीवेट टेओफिलो स्टीवेन्सन और फेलिक्स सैवन सहित कई मुक्केबाज़ एमेच्योर बॉक्सिंग के महान खिलाड़ी बन गए।
लेकिन अप्रैल 2022 में, 60 साल के प्रतिबंध के बाद, क्यूबाई मुक्केबाज़ों को आख़िरकार टोक्यो 2020 के स्वर्ण पदक विजेता अर्लेन लोपेज़ और जूलियो सीज़र ला क्रूज़ के साथ पेशेवर मुक्केबाज़ बनने की अनुमति दे दी गई।
वहीं, टोक्यो के अधिकांश चैंपियंस पेड रैंक में शामिल हो गए हैं और उनके पेरिस 2024 में फिर से वापसी करने की संभावना नहीं है। आयरलैंड की लाइटवेट स्वर्ण पदक विजेता केली हैरिंगटन अपने ख़िताब का बचाव करने की योजना बना रही हैं।