अगर थोड़े कड़े शब्दों का प्रयोग किया जाए तो यह लौ "ओलंपिक" की नहीं थी। क्योंकि यह ग्रीस में ओलंपिया के जैसे नहीं रोम की तरह जलाया गया था। 22 जनवरी 1956 को, ओलंपिया से एक तिपाई में रोम के कैपिटोलिन जोव के मंदिर की सीढ़ियों पर ज्योत जलाई गई थी। यह एक ब्रासेरो में सीनेटरियल पैलेस के बाहर ले जाया गया और पहला टॉर्चर धारक वहां से निकला था।
इसके बाद लौ सिम्पिनो हवाई अड्डे पर पहुंची और वेनिस के लिए रवाना हुई। वेनिस से, लौ ने गोंडोला और मेस्त्रे की यात्रा की।
मेस्त्रे से रिले को कॉर्टिना तक ले जाने वाले पहले चरण को रोलर स्केट्स से कवर किया गया था। ओपनिंग सेरेमनी से एक दिन पहले 25 जनवरी को लौ को कोरुना के पास ज़ुएल के स्कीयरों द्वारा ले जाया गया था, जो कि ड्यूका डी'ओस्टा के पास 2,098 मीटर पर स्थित था और पूरी रात उसे वहीं रखा गया।
26 जनवरी को, जिस दिन खेलों का आयोजन होना था, तब 1952 के ओलंपिक शीतकालीन स्वर्ण पदक विजेता ज़ेनो कोलो ने स्कीस द्वारा कोर्टिना में लौ जलाई। वेले के साथ ज्वाला के मार्ग को रोशन करने के लिए रॉकेट का उपयोग किया गया था। कोर्टिना में दो अन्य ओलंपियन सेवेरिनो मेनार्डी और एनरिको कोली स्टेडियम में लौ को ले जाने के लिए गए थे। वहां पहुंचने के बाद स्पीड स्केटर गुइडो कैरोली स्केटेड आइस पैक स्टेडियम में ले जाया गया। ट्रैक में अपने लैप (राउंड) के दौरान वह जिस टेलीविज़न केबल पर फिसल गए, उसने उन्हें चमकने से नहीं रोका।
शुरु होने की तिथि: 22 जनवरी 1956, रोम (इटली)
खत्म होने की तिथि: 26 जनवरी 1956, आइस स्टेडियम, कोर्टिना डी'एम्पेज़ो (इटली)
पहले मशालधारक: अडोल्फ़ो कंसोलिनी, एथलेटिक्स में ओलंपिक प्रतिभागी (1948, 1952, 1956, 1960), लंदन में 1948 में स्वर्ण पदक विजेता और हेलसिंकी में 1952 में रजत पदक विजेता
आखिरी मशालधारक: गुइडो कैरोली, स्पीड स्केटिंग में ओलंपिक प्रतिभागी (1948, 1952, 1956)
मशाल धारकों की संख्या: -
मशाल धारकों की भर्ती: -
दूरी: -
देशों की यात्रा: इटली
विवरण: मशाल उसी मॉडल पर आधारित थी जैसे कि लंदन में 1948 के ग्रीष्मकालीन खेलों और मेलबोर्न में 1956 के ग्रीष्मकालीन खेलों के लिए। इसमें शिलालेख पर "VII Giochi Invernali Cortina 1956" लिखा है और ऊपरी हिस्से पर ओलंपिक रिंग भी प्रदर्शित की गई हैं।
रंग: सिल्वर
लंबाई: 47 सेमी
रचना: मेटल
फ्यूल: -
डिजाइनर/निर्माता: राल्फ लेवर्स / -