फ़ुटबॉल के सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर: इकेर कैसिलस से लेकर मैनुअल न्यूएर जैसे दिग्गजों के नाम हैं शामिल
गोलकीपर की भूमिका निभाना फ़ुटबॉल में सबसे कठिन काम है। हम यहां कुछ वैसे खिलाड़ियों की चर्चा कर रहे हैं जो इस कला के दिग्गज हैं।
फ़ुटबॉल में गोलकीपिंग को अक्सर एक ऐसा काम माना जाता है जिसे ज़्यादातर लोगों की सराहना नहीं मिलती है। लोग हर बार गोलकीपर तक जाकर यह नहीं कहते कि तुमने बहुत अच्छा किया है लेकिन अगर गोलकीपर एक गोल भी बचाने से चूक जाए जिससे उसकी टीम को नुकसान झेलना पड़े तो कई बार उसकी काफी आलोचना होती है।
मैच के दौरान सबसे अधिक व्यस्त रहने वाले मैदान में खेल रहे अन्य खिलाड़ियों के मुक़ाबले, गोलकीपरों को गेंद को छूने तक के भी बहुत कम मौक़े मिलते हैं। हालांकि, किसी मुक़ाबले में जब कभी भी एक गोलकीपर के पास गेंद को छूने का मौक़ा आता है तब वह उसकी टीम के लिए सबसे अहम पल होता है जो जीत और हार के बीच की महत्वपूर्ण घड़ी होती है।
एक गोलकीपर की ज़रा सी चूक भी टीम के लिए बड़ा नुकसान साबित हो सकती है। अधिकांशतः, गोलकीपर को ही टीम की हार के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाता है, भले ही पूरे मैच के के दौरान उसका प्रदर्शन कितना भी अच्छा क्यों न रहा हो। हालांकि, इसके विपरीत जब टीम को जीत हासिल होती है तो ज़्यादातर मामलों में इसका श्रेय गोल करने वाले खिलाड़ी को ही मिलता है।
इस वजह से यह कहना कहीं से भी ग़लत नहीं होगा कि फ़ुटबॉल के मैदान पर, एक गोलकीपर की भूमिका हमेशा सबसे कठिन होती है, जहां उनसे सिर्फ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की उम्मीद की जाती है और उससे नीचे कुछ भी मज़ूर नहीं होता है।
लेकिन, यह भी एक सच्चाई है कि आमतौर पर 10-20 वर्षों तक चलने वाले करियर के दौरान किसी भी गोलकीपर के लिए उस स्तर की निरंतरता और प्रदर्शन को बनाए रखना लगभग असंभव है। हालांकि, कुछ ऐसे गोलकीपर के नाम भी हैं, जिन्होंने अपने करियर के दौरान कई ऐसे कारनामों को अंजाम दिया जिसकी बदौलत आज वे दिगगज गोलकीपर की श्रेणी में रखे जाते हैं।
हम यहां अब तक के कुछ सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ गोलकीपरों की चर्चा कर रहे हैं जिन्होंने फ़ुटबॉल की गरिमा को नया आयाम दिया है।
दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर
इकेर कैसिलस (स्पेन)
इकेर कैसिलस आधुनिक युग के दिग्गज गोलकीपर हैं। वे स्पेन की स्वर्णिम पीढ़ी की आधारशिला है, जिन्होंने 2000 के दशक की शुरुआत से लेकर 2010 के मध्य तक अंतरराष्ट्रीय स्तर के फ़ुटबॉल में अपना दबदबा बनाया।
उनके अंदर एक महान गोलकीपर वाले सभी गुण मौजूद थे। इसके अलावा कैसिलस को इस बात के लिए भी जाना जाता है कि वे दबाव के वक़्त भी काफी शांत रहते थे और कई बार उन्होंने बेहद रोमांचक मुक़ाबलों में आश्चर्यजनक तरीक़े से अपनी टीम के लिए अहम गोल बचाए। इसी वजह से उन्हें 'सैन इकेर' या 'संत इकेर' के नाम से भी पहचान मिली।
उनकी इसी ख़ासियत ने उन्हें एक स्वाभाविक कप्तान भी बना दिया। इसमें कोई दो राय नहीं है कि वे फ़ुटबॉल की दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कप्तानों में से एक हैं। साल 2008 और साल 2012 में स्पेन को यूरोपीय चैंपियनशिप का ख़िताब दिलाने के अलावा, इकेर कैसिलस ने साल 2010 में स्पेन को पहली बार फ़ीफ़ा विश्व कप जीत का गौरव भी दिलाया।
उन्होंने स्पेन के लिए खेले गए 167 मैचों में कुल 102 गोल बचाए। इस आंकड़े के साथ इकेर कैसिलस, अंतरराष्ट्रीय फ़ुटबॉल में 100 से अधिक क्लीन शीट (विरोधी का गोल रोकने का रिकॉर्ड) हासिल करने वाले एकमात्र गोलकीपर हैं। उन्होंने 60 प्रतिशत से अधिक मैचों में विरोधियों को मात दी है, जो एक बेहद आश्चर्यजनक आंकड़ा है।
कैसिलस को रियल मैड्रिड का दिग्गज भी माना जाता है। उन्होंने लॉस ब्लैंकोस के साथ कई ट्रॉफ़ियां जीती हैं, जिसमें पांच लालीगा और तीन यूईएफ़ए चैंपियंस लीग शामिल हैं। उन्होंने अपने करियर के दूसरे हिस्से में पुर्तगाल की टीम पोर्टो का प्रतिनिधित्व किया।
इकेर कैसिलस के पास UCL में किसी भी गोलकीपर द्वारा सबसे अधिक क्लीन शीट का रिकॉर्ड भी है। यहां उन्होंने कुल 177 मैचों में 57 गोल बचाने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है।
हालांकि, दिल से जुड़ी बीमारियों के कारण, इकेर कैसिलस का करियर बहुत अधिक लंबा नहीं चल सका, और स्पेन के इस खिलाड़ी को साल 2020 में सिर्फ 39 साल की उम्र में संन्यास लेना पड़ा। अगर आप खेल में शीर्ष स्तर के गोलकीपरों के करियर को देखेंगे तो उसके मुताबिक़ इकेर को काफी जल्दी खेल से अलविदा कहना पड़ा।
जियानलुइगी बफ़ोन (इटली)
आधुनिक समय के गोलकीपरों के लंबे करियर की बात करें तो, इटली के जियानलुइगी बफ़ोन, एक बेहतरीन उदाहरण हो सकते हैं। उम्र के 40वें दशक में पहुंचने के बाद भी इटली का यह दिग्गज खिलाड़ी अभी भी फ़ुटबॉल खेल रहा है।
21वीं सदी के सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर के ख़िताब के लिए कैसिलस के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी बफ़ोन ही हैं जिनकी ट्रॉफ़ी कैबिनेट कैसिलस की तरह ही बेहद प्रभावशाली है।
पूर्व जुवेंटस स्टार इटली के फ़ीफ़ा विश्व कप 2006 जीत के नायक थे। टूर्नामेंट के सात मैचों में बफ़ोन सिर्फ दो गोल बचाने में असफल हुए, जबकि ओपन प्ले से उन्होंने कोई गोल नहीं गंवाया। जो गोल वे नहीं बचा सके थे उसमें एक आत्मघाती गोल था और दूसरा फ़्री-किक से किया गया गोल था।
साल 1997 में पदार्पण करने के बाद से 2018 में अंतरराष्ट्रीय फ़ुटबॉल से संन्यास लेने तक, लगभग दो दशकों तक बफ़ोन, अज़ुर्री के सबसे पसंदीदा गोलकीपर थे। जब इटली, रूस में आयोजित विश्व कप के लिए क्वालीफ़ाई करने में विफल रहा तब उन्होंने संन्यास की घोषणा कर दी। वह अभी भी इटली के सर्वकालिक सर्वाधिक मैच खेलने वाले खिलाड़ी हैं।
इटली के लिए खेले गए 176 मैचों में, जियानलुइगी बफ़ोन ने 77 गोल बचाए हैं। ये आंकड़ा कैसिलस के बाद अंतरराष्ट्रीय फ़ुटबॉल में दूसरे नंबर पर है।
फ़िलहाल यह इटालियन खिलाड़ी, सेरी बी में परमा के लिए क्लब फ़ुटबॉल खेल रहा है। सेरी बी, इटालियन फ़ुटबॉल का दूसरी श्रेणी है। इसके अलावा वे एकमात्र ऐसे गोलकीपर हैं जिन्हें इतिहास में कुल मिलाकर 500 से अधिक क्लीन शीट (विरोधी के गोल को बचाने का रिकॉर्ड) हासिल करने का गौरव प्राप्त है।
मैनुअल न्यूएर (जर्मनी)
जर्मनी में अच्छे गोलकीपर तैयार करने की परंपरा रही है और ओलिवर कान, बर्ट ट्रौटमैन और सेप मायर जैसे खिलाड़ी अपने आप में महान हैं।
हालांकि, जर्मनी के मौजूदा नंबर 1 खिलाड़ी मैनुअल न्यूएर की चर्चा अहम हो जाती है। ऐसा लगता है कि पूर्व शाल्के और वर्तमान में बायर्न म्यूनिख का प्रतिनिधित्व करने वाले इस खिलाड़ी की आधुनिक गोलकीपिंग कला बेहद शानदार है।
न्यूएर की प्राकृतिक गति, शारीरिक मज़बूती और गेंद पर उनका नियंत्रण, कई शीर्ष-श्रेणी के आउटफ़ील्ड खिलाड़ियों को भी चुनौती दे सकता है। ये ख़ूबियां उन्हें एक अद्वितीय गोलकीपर बनाती हैं। साथ ही इन्हीं गुणों के कारण वे अपने क्षेत्र से बाहर आकर और बिल्ड-अप प्ले में हिस्सा लेते हैं और एक स्वीपर कीपर के रूप में कई बार विरोधी टीम के लिए गोल के मौक़े बनने ही नहीं देते, जिससे उनकी टीम को विपक्ष को दबाव में लाने में काफी मदद मिलती है।
हालांकि, यह एक जोखिम भरी रणनीति लगती है, लेकिन न्यूएर की उपस्थिति उनके कोच के लिए रणनीति बनाने में काफी मददगार होती है। न्यूएर बेहतरीन तरीक़े से पास भी करते हैं और गेंद को डीप से आसानी से अपने खिलाड़ियों तक पहुंचा सकते हैं, जिसके कारण जब भी उनकी टीम को ज़रूरत होती है तो वे डीप से एक बेहतरीन खिलाड़ी बन जाते हैं।
दिग्गज जर्मन खिलाड़ी एक शीर्ष स्तरीय एथलीट हैं और वह काफी सक्रिय हैं, जिससे उन्हें आश्चर्यजनक रूप से गोल को बचाने में मदद मिलती है। न्यूएर 10 बुंडेसलीगा ख़िताब और दो यूईएफ़ए चैंपियंस लीग ट्रॉफ़ी जीते हैं, और उन्होंने जर्मनी को 2014 में फ़ीफ़ा विश्व कप जीतने में भी मदद की। उनके बेहतरीन प्रदर्शन की बदौलत जर्मनी की टीम का विश्व कप ट्रॉफ़ी जीतने का 24 साल का इंतजार ख़त्म हुआ।
उम्र के तीसरे दशक के मध्य में पहुंचने के बाद भी ये उम्मीद की जा सकती है कि न्यूएर अभी भी कई अन्य रिकॉर्ड अपने नाम करेंगे।
नादिन एंगरर (जर्मनी की महिला गोलकीपर)
दो दशकों से अधिक के लंबे करियर में, नादिन एंगरर जर्मनी की महिला फ़ुटबॉल टीम का हिस्सा थीं, जिन्होंने दो फ़ीफ़ा महिला विश्व कप (2003 और 2007), लगातार पांच यूरोपीय चैंपियनशिप (1997 से 2003) और तीन ओलंपिक कांस्य पदक (2000, 2004 और 2008) जीते।
दिलचस्प बात यह है कि 2003 में विश्व कप के लिए नादिन एंगरर बतौर गोलकीपर पहली पसंद नहीं थीं। लेकिन, सिल्के रोटेनबर्ग की चोट के कारण 2007 के संस्करण में उन्हें खेलने का मौक़ा मिला। इससे पहले एंगरर, क़रीब एक दशक से अधिक समय तक राष्ट्रीय टीम में रोटेनबर्ग के सब्सटीट्यूट के तौर पर खेलती रहीं।
यह एंगरर और विश्व फ़ुटबॉल दोनों के लिए एक ऐतिहासिक पल बन गया क्योंकि उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में 540 मिनट के खेल के दौरान एक भी गोल नहीं गंवाया।
नादिन एंगरर को साल 2013 में फ़ीफ़ा वूमेंस वर्ल्ड प्लेयर ऑफ़ द ईयर का पुरस्कार दिया गया। वह इस सम्मान को हासिल करने वाली इतिहास की पहली गोलकीपर हैं।
इस लेख में ऊपर चर्चा किए गए खिलाड़ियों के अलावा, गॉर्डन बैंक्स, इंग्लैंड की 1966 विश्व कप जीत के नायक, मैनचेस्टर यूनाइटेड के दिग्गज पीटर शमाइकल और एडविन वैन डेर सर, यूएसए महिला टीम की आदर्श होप सोलो, इटालियन विश्व कप विजेता डिनो ज़ॉफ कुछ उल्लेखनीय नाम हैं जिन्होंने अपनी शानदार प्रतिभा के दम पर गोलकीपिंग को नया और ऊंचा आयाम दिया है।