रवि कुमार ने एशियन रेसलिंग में जीता स्वर्ण पदक, चोट के कारण खिताबी मुक़ाबले से हटे बजरंग पुनिया
ओलंपिक में शुरू होने में ज्यादा समय न होने के कारण बजरंग पुनिया को उनके कोच ने कोहनी की चोट के साथ मुक़ाबले न करने की सलाह दी। हालांकि भारत ने पूरे दिन में पांच पदक जीते।
एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप (Asian Wrestling Championship) में बजरंग पुनिया (Bajrang Punia) बनाम ताकोतो ओतोगुरो (Takuto Otoguro) के बीच 65 किग्रा बाउट का बेसब्री से सबको इंतज़ार था। लेकिन चोट के कारण भारतीय पहलवान ने टूर्नामेंट के फाइनल में मुकाबला न करने का फैसला किया। दूसरी ओर रवि कुमार दहिया (Ravi Kumar Dahiya) ने कजाकिस्तान के अलमाटी में अपना दमदार प्रदर्शन दिखाया और अपना 57 किग्रा का खिताब बरकरार रखा।
कल्चरल और स्पोर्ट्स एरिना के बलुआन शोलक पैलेस में, बजरंग और ताकोतो ने शुरुआती दौर में प्रभावशाली प्रदर्शनों के बाद 65 किलोग्राम फ़्रीस्टाइल फ़ाइनल में अपनी जगह बनाई।
जहां बजरंग पुनिया ने दक्षिण कोरिया के योंगसेओक जोंग (Yongseok Jeong) और मंगोलिया के बिलगुन सरमांदख (Bilguun Sarmandakh) को 3-0 और 7-0 से हराया, तो तकोतो ओतोगुरो ने उज्बेकिस्तान के नोदिर राखीमोव (Nodir Rakhimov ) के खिलाफ 13-0 और ईरान के मोर्टेजा हसनाली चेका (Morteza Hassanali Cheka) के खिलाफ 8-2 से जीत दर्ज की।
हालांकि, दोनों स्टार पहलवानों का उनके करियर में तीसरी बार सामना नहीं हो पाया, क्योंकि बजरंग पुनिया ने फाइनल से अपना नाम वापस ले लिया और अपने प्रतिद्वंद्वी को जीत दे दी। भारतीय पहलवान ने बाद में खुलासा किया कि क्वार्टर फाइनल के दौरान उनकी कोहनी में चोट लग गई थी।
टोक्यो-बाउंड बजरंग पुनिया ने पीटीआई से कहा, "जब मैं कोरियाई खिलाड़ी के सामने था, तब मेरी दाहिनी कोहनी में दर्द फिर से शुरू हो गया। ये वही कोहनी है जो विश्व चैम्पियनशिप के दौरान चोटिल हुई थी,” "कोच ने सलाह दी कि ओलंपिक के इतने करीब आ जाने के बाद मुझे जोखिम नहीं लेना चाहिए, इसलिए मैं पीछे हट गया।"
बजरंग पुनिया को एक रजत से संतोष करना पड़ा। उनको अपने दो पिछले मुकाबलों में टैकुटो ओटोगुरो से हार का सामना करना पड़ा था। एक बार 2018 विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में और दूसरा पिछले साल के एशियाई मैच में पुनिया को हार मिली थी।
इससे पहले ओलंपिक-बाउंड रवि कुमार दहिया ने एशियन खिताब का बचाव करते हुए स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने ईरान के अलिर्ज़ा सरलाक (Alireza Sarlak) को 9-4 से हराकर खिताब अपने नाम किया। ये एक साल बाद भारतीय पहलवान का पहला मुक़ाबला था।
इस मुक़ाबले में भारतीय पहलवान अपनी शैली के हिसाब से खेले और अपने लगातार आक्रामक खेल खेलकर अंक हासिल किए।
एक अन्य मुक़ाबले में करण (Karan) ने 70 किग्रा भार वर्ग में दक्षिण कोरिया के ली सेन्गबोंग 3-1 और नरसिंह यादव (Narsingh Yadav) ने 79 किग्रा गैर-ओलंपिक वर्ग में इराक के अहमद अल गबुरी को 8-2 से हराकर कांस्य पदक जीता।
सत्यव्रत कादियान (Satywart Kadian) भी पदक जीतने में सफल रहे, उन्होंने 97 किग्रा वर्ग में दक्षिण कोरिया के मिनवोन सेओ को 5-2 से हराकर कांस्य पदक जीता।