अतीत को जाने: Emil Zatopek - लम्बी दौड़ के चैंपियन धावक की अद्भुत प्रतिभा

ओलंपिक खेलों के फाइनल मुकाबले रोमांचक, भावुक और बेहद खूबसूरत होते हैं। हर सप्ताह हम बीते ओलंपिक खेलों के फाइनल्स मे देखे गए अद्भुत लम्हो को फिर से याद करते हैं, और इस बार हम आपको बताएँगे धावक Emil Zatopek की अद्भुत प्रतिभा के बारे में।

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पहले की कहानी

हेलसिंकी में होने वाले 1952 ओलंपिक खेलों के पहले ही Emil Zatopek अपना नाम एथलेटिक्स की दुनिया में बना चुके थे। ठीक चार साल पहले जब 1948 के ओलंपिक खेल लंदन में हुए, चेकोस्लोवाकिआ के इस धावक ने 10,000 मी की दौड़ में न केवल स्वर्ण जीता बल्कि एक नया ओलंपिक रिकॉर्ड अपने नाम किया। हैरान करने वाली बात यह थी की उन्होंने इस दूरी का अभ्यास केवल दो महीने पहले शुरू किया था और Emil Zatopek ने कई धावकों को एक ही दौड़ में बहुत बार पीछे छोड़ दिया। 

कुछ ही दिन के बाद उन्होंने 5000 मी की दौड़ में अद्भुत प्रदर्शन दिखते हुए रजत पदक जीता और स्वर्ण से वह केवल एक मीटर से चूक गए। हैरानी की बात यह भी है उस प्रतियोगिता के स्वर्ण पदक विजेता, Gaston Reiff से Zatopek एक समय पर 100 मी आगे थे। इस प्रदर्शन की सराहना पूरे विश्व में हुई और उन्हें महान धावकों की सूची में गिना जाने लगा।

समूचा विश्व Emil Zatopek की प्रशंसा और वाहवाही कर रहा था और उनके जीते हुए खिताबों की दुनिया भर में चर्चा हो रही थी पर उनकी इन उपलब्धियों के पीछे की लगन के बारे में ज़्यादा लोगों को पता नहीं था। Zatopek न केवल दिन रात कड़ा अभ्यास करते थे, वह अपने आप को चुनौती देने के लिए पैरों में कोई भारी वस्तु बांध कर दौड़ने का अभ्यास करते थे। इतना ही नहीं, उनके अभ्यास नैत्य में बेहोश होने तक सांस रोकना और एक ही स्थान पर भागना भी शामिल था। Zatopek ने अपने आप को कठिन अभ्यास में डालते हुए एक बार एक ही दिन में सौ बार 400 मी की दौड़ लगायी।

'कठिन परिस्तिथियों में अभ्यास करने से असली प्रतियोगिता में बहुत फायदा होता और परिणाम में आपको इसका असर दिखाई देता है।'

फाइनल मुकाबला

हेलसिंकी खेल आने तक Zatopek अपने करियर के सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में थे और उन्होंने ओलंपिक से पहले लगातार 69 रेस जीत ली थीं। एक छोटी बीमारी के कारण Zatopek का हेलसिंकी खेलों में भाग लेना संदिग्ध हो गया पर डॉक्टर की सलाह के खिलाफ उन्होंने खेलों में भाग लिया और इतिहास रचा।

उन्होंने सबसे पहले 10,000 मी की दौड़ में भाग लिया और ठीक चार साल पहले की तरह अपने प्रतिद्वंदियों को ध्वस्त कर स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया। लंदन ओलंपिक खेलों में 5000 मी में हारा हुआ स्वर्ण उन्हें अभी भी याद था और इस बार उन्होंने कोई चूक न करते हुए स्वर्ण जीत लिया।

दो स्वर्ण जीतने के बाद भी Zatopek संतुष्ट नहीं थे, और उन्होंने उसके बाद जो किया वह इतिहास में फिर कभी न दोहराया गया है, और शायद फिर कभी न दौहराया जायेगा।

बिना किसी पूर्व अनुभव के Zatopek ने निर्णय लिया की वह मैराथन में भाग लेंगे और उनका सीधा मुकाबला था ब्रिटेन के विश्व रिकॉर्ड धारक Jim Peters से था।

दौड़ के शुरुआती एक घंटे के बाद Zatopek ने अपने प्रसिद्द अंदाज़ में प्रतिद्वंदी Jim Peters से दौड़ के दौरान पूछा की क्या उनकी गति धीमे थी या सही। Peters ने मानसिक दबाव बढ़ाने के लिए Zatopek से कहा की वह बहुत धीरे भाग रहे थे।

जहाँ Peters कल्पना कर रहे थे की Zatopek तेज़ भागेंगे और थक जाएंगे, जो व्यतीत हुआ वह ठीक विपरीत था। चेकोस्लोवाकिया के धावक ने अपनी गति बढ़ा दी और फिर उनके और बाकी धावकों के बीच दो मिनट का अंतर था। बाकी दौड़ में Zatopek ने हस्ते खेलते वहां स्थित मीडिया और फोटोरग्राफरों से बातचीत करते रहे और जब तक दौड़ खत्म हुई वह एक नया रिकॉर्ड स्थापित कर चुके थे। इसके साथ ही तीसरा स्वर्ण पदक और विश्व इतिहास में कभी न देखा अद्भुत नज़ारा दोनों Zatopek के नाम थे।

कई विशेषज्ञ Zatopek के हेलसिंकी खेलों में प्रदर्शन को एथलेटिक्स इतिहास की सबसे बड़ी सफलता मानते हैं। दावेदारी तो छोड़िये, कोई और धावक 5000 मी, 10,000 मी और मैराथन स्वर्ण के बारे में सोचने के करीब भी नहीं आ पाया है।

आगे की कहानी

हेलसिंकी में इतिहास रचने के चार साल बाद, लम्बी दौड़ के बादशाह, Zatopek फिर से ओलिंपिक खेलों की तैयारी कर रहे थे। हमेशा से कुछ अनोखा करने वाले Zatopek ने इस बार दौड़ अपनी पत्नी को पीठ पर रख के लगायी और इसी वजह से उन्हें हर्निया हो गया। ओलंपिक खेलों में इस चोट का असर देखने को मिला और Zatopek मैराथन में छठे स्थान पर आए।

कुछ समय बाद Zatopek ने अपने खेल जीवन से सन्यास ले लिया।

चेकोस्लोवाकिया में राजनैतिक और राष्ट्रीय फेर बदल हुआ और वह सोवियत संघ के शासन में आ गया था पर इसी बीच Zatopek ने लोकतंत्र की खूब सराहना करते हुए आंदोलन में भाग लिया।

लेकिन अंत में जब पूरी राजनैतिक शक्ति सोवियत संघ के पास आ गयी, Zatopek को मजबूरी में एक यूरेनियम माइन में नौकरी करनी पड़ी। साल 2000 में 78 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया पर उनकी खेल विरासत और भी आलिशान हो गयी।

यह कहना तो मुश्किल है की Zatopek जैसा कोई धावक दोबारा देखने को मिलेगा या नहीं पर हेलसिंकी खेलीं का वह विख्यात और लगभग अमानवीय प्रदर्शन शायद कभी देखने को न मिले।

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