मिशन ओलंपिक: तारा प्रसाद भारतीय कलात्मकता और बॉलीवुड को बर्फ पर उतारने का देख रहीं सपना

21 वर्षीय भारतीय-अमेरिकी एक दिन शीतकालीन ओलंपिक में हिस्सा लेने की इच्छा रखती हैं और फिगर स्केटिंग को क्रिकेट के दीवाने भारत में लोकप्रियता हासिल करने में मदद कर रही हैं।

8 मिनटद्वारा रितेश जायसवाल
Indian figure skater Tara Prasad
(Olympics.com)

भारतीय फिगर स्केटर तारा प्रसाद (Tara Prasad) हर बार जब बर्फ पर कदम रखती हैं, तो वह किसी एक बात को साबित करने का इरादा लेकर चलती हैं।

क्रिकेट के दीवाने देश में फिगर स्केटिंग सहित अन्य आइस स्पोर्ट्स की लोकप्रियता काफी कम ही देखने को मिलती है। तीन बार की मौजूदा राष्ट्रीय चैंपियन तारा प्रसाद इस वास्तविकता को अच्छी तरह समझती हैं।

तारा प्रसाद ने Olympics.com से एक खास बातचीत में खुलासा किया, “ईमानदारी से कहूं तो मुझे नहीं लगता कि यह कोई ऐसा खेल है, जिसके बारे में अधिकांश भारतीय जानते ही नहीं हैं। जब मैं अपने स्केट्स के साथ भारत की यात्रा करती हूं तो कस्टम के लोग पूछते हैं, ‘ये कैसा हथियार है? क्या यह चाकू है?’ ये सब सुनकर बुरा लगता है।”

"मुझे उनसे ब्लेड को खराब करने से बचाने के लिए स्केट्स को सावधानी से संभालने का अनुरोध करना पड़ता है। यह उनकी गलती नहीं है, वे बस जानते हैं। उन्होंने अभी तक इसे देखा नहीं है।”

"मुझे लगता है कि अगर भारतीय स्केटर्स भारत के बाहर अधिक सफलता हासिल करना शुरू कर देते हैं, तो न केवल देश की जनता, बल्कि भारत सरकार भी आइस स्पोर्ट्स पर ध्यान देगी। मुझे उम्मीद है कि स्केटिंग भारत में लोकप्रिय हो सकती है।"

21 वर्षीय तारा प्रसाद का आकलन शायद गलत नहीं है। उनकी बातों पर गौर करें तो निश्चय लूथरा इसका एक सही उदाहरण हैं। वह हाल के वर्षों में भारत से बाहर जाने वाली सबसे कुशल फिगर स्केटर्स में से एक हैं। उनके नाम कई अंतरराष्ट्रीय पदक हैं। हालांकि फंडिंग की कमी के कारण उन्हें अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए क्राउडफंडिंग की ओर रुख करना पड़ा।

यहां तक कि लूथरा की मां अपने दिल्ली के घर के एवज में कर्ज लेना पड़ा और खर्चों को पूरा करने के लिए गहने गिरवी रखने पड़े।

तारा प्रसाद को भी उनके सामने आने वाली बड़ी चुनौतियों के बारे में पता है, लेकिन वह अपने खेल को अंधकार से उजाले की ओर ले जाने में अपनी अच्छी भूमिका निभाने का इरादा रखती हैं। इस राह में उनके एजेंडे में सबसे महत्वपूर्ण काम शीतकालीन ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना है। यह कुछ ऐसा है जो अभी तक कोई भी भारतीय फिगर स्केटर नहीं कर पाया है।

तारा ने कहा, “मेरा लक्ष्य शीतकालीन ओलंपिक खेलों में जगह बनाना है और भले ही इस बार ऐसा संभव न हो सके लेकिन मैं अगले चार साल स्केटिंग को देना चाहती हूं। इसलिए, वास्तव में अगला ओलंपिक मेरा प्राथमिक लक्ष्य है।”

तारा प्रसाद जर्मनी में नेबेलहॉर्न ट्रॉफी 2021 में प्रतिस्पर्धा कर रही हैं, जो 2022 बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक खेलों के लिए अंतिम क्वालिफिकेशन इवेंट है। हालांकि अगले साल के ओलंपिक के लिए उनका कट हासिल कर पाना काफी मुश्किल नज़र आता है। यह उनके करियर का महज़ तीसरा अंतरराष्ट्रीय इवेंट है।

तारा ने कहा, “मुझे पता है कि मुझे अभी हर किसी तरह अनुभव नहीं है। इसलिए, मैं यहां अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने के लिए आई हूं।”

इस युवा स्केटर ने अपने कोच स्टेफ़नी ऑर्डाज़ कुबन की मदद से इटली में 2026 के शीतकालीन ओलंपिक खेलों में अपने लक्ष्य को पूरा करने का रोडमैप भी तैयार किया है।

उन्होंने कहा, “इस साल मैं सिर्फ अंतरराष्ट्रीय अनुभव प्राप्त करने की कोशिश कर रही हूं। मेरे पास चार महाद्वीपों के लिए क्वालीफाई करने के लिए तकनीकी स्कोर भी हैं, इसलिए उम्मीद है कि मैं उसमें प्रतिस्पर्धा कर पाऊंगा। यह मेरे लिए एक बड़ा इवेंट होगा।"

‘चार महाद्वीपीय फिगर स्केटिंग चैंपियनशिप’ गैर-यूरोपीय फिगर स्केटर्स के लिए एक बड़े वार्षिक इवेंट्स में से एक है।

तारा ने कहा, “अगले चार साल, मैं हर बार अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करती रहूंगी। कुछ प्रदर्शन दूसरों की तरह अच्छे नहीं भी हो सकते हैं, लेकिन आपको बस प्रयास करते रहना होगा और फिर कहीं आप उस स्तर तक सुधार कर सकेंगे कि आप किसी सर्वश्रेष्ठ के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।”

फिगर स्केटिंग से भारत को जोड़ने का प्रयास

संयुक्त राज्य अमेरिका में पैदा होने के बावजूद तारा प्रसाद भारत को अपना घर कहती हैं और तिरंगे के नीचे प्रतिस्पर्धा करती हैं। सम्मान के तौर पर 21 वर्षीय स्केटर अपनी विरासत का जश्न मनाने के लिए भारत के छोटे-छोटे तत्वों को अपने रूटीन में शामिल करने का प्रयास करती हैं। उनका मानना है कि यह भारतीय प्रशंसकों को इस खेल से जुड़ने में मदद करेगा।

उन्होंने कहा, “प्रतियोगिताओं के लिए मैं अपने कपड़े खुद ही सजाती हूं। मेरे गहने, एक्सेसरीज़ और मैं अपने कपड़े पर जो पत्थर लगाती हूं, वे सभी वह सामान हैं जो मुझे भारत में कपड़े की दुकानों से मिलते हैं। मेरे पास अपने लंबे प्रोग्राम के लिए भारत से असली सोने के आभूषण भी हैं। मैंने साड़ियों (पारंपरिक भारतीय पोशाक) और भारत से मिले सभी प्रकार के कपड़ों से लिए गए विभिन्न डिज़ाइनों का भी उपयोग किया है।”

"पिछले साल मेरे पास एक बॉलीवुड फिल्म का संगीत था और मैं उम्मीद करती हूं कि भविष्य में फिर से उस प्रोग्राम को करना चाहूंगी।"

उसी दिशा में आगे बढ़ते हुए तारा प्रसाद ने यह भी कहा कि कला और संस्कृति के साथ देश का गहरा संबंध भारतीय फिगर स्केटर्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुपरहिट बना सकता है।

उन्होंने आगे कहा, “भारत में बहुत सारी प्रतिभाएं हैं, जो अवसरों, सुविधाओं और कोचिंग की कमी के कारण आगे नहीं बढ़ पाती हैं। मुझे लगता है कि भारत बहुत ही कलात्मक देश है। जाहिर है यह देश कला और रचनात्मकता में बहुत समृद्ध है। और यह फिगर स्केटिंग में आपके स्कोर का आधा है। भारतीय स्केटर बेहद रचनात्मक हैं, हम नृत्य में काफी अच्छे हैं। हालांकि कि इसमें अंततः तकनीकी पहलू भी जोड़ने होंगे।”

तारा प्रसाद का सफर और प्रेरणा

तारा प्रसाद का जन्म और पालन-पोषण संयुक्त राज्य अमेरिका के आयोवा के सीडर रैपिड्स में हुआ था, लेकिन अपने परिवार के कारण वह भारत से जुड़ी रही हैं। उनकी मां का परिवार दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु में चेन्नई से है, जबकि उनके पिता उसी राज्य के एक शहर शिवगंगा से हैं।

तारा प्रसाद ने खुलासा किया, “मेरा अधिकांश परिवार भारत में है। मेरे पिता यहां मेरे साथ अमेरिका में हैं, लेकिन मेरा बाकी परिवार वहां है। इसलिए, मैं अमेरिका और भारत की यात्रा करती रहती हूं।”

तारा प्रसाद की मां कविता रामास्वामी अपने हाई स्कूल के दिनों में राष्ट्रीय स्तर की हर्डल रेस चैंपियन थीं। ट्रैक और फील्ड एथलीट की इकलौती संतान होने के कारण उनका भी खेल के प्रति लगाव आसानी से हो गया।

तारा ने कहा, “मैंने अमेरिका में रहते हुए सात साल की उम्र में फिगर स्केटिंग शुरू कर दी थी। मुझे वास्तव में याद नहीं है कि मैंने कैसे शुरुआत की। मुझे बस इतना याद है कि मुझे यह पसंद था, तो मैं इसे सीखने लगी। मुझे लगता है कि मेरे पास मेरे और मेरे पिताजी की बर्फ पर स्केटिंग करते हुए एक तस्वीर है, लेकिन मुझे नहीं पता कि यह बर्फ पर पहली बार कदम रखने की है या बाद की तस्वीर है।”

फिगर स्केटिंग में उन्हें किस बात ने आकर्षित किया, इसपर तारा प्रसाद ने याद करते हुए कहा कि एक बच्चे के तौर पर उन्हें लगा कि बर्फ पर गिरना वास्तव में मज़ेदार होता है।

उन्होंने कहा, “मैं बार-बार नीचे गिरने के लिए रिंक पर जाती। लेकिन फिर मैंने वास्तव में हर समय न गिरने और अच्छा बनने की कोशिश करना शुरू कर दिया। इसलिए, मैंने सीखना शुरू किया और फिर मैं वहां से आगे बढ़ती रही।”

दो बार की विश्व चैंपियन और ओलंपिक पदक विजेता दक्षिण कोरियाई फिगर स्केटर युना किम तारा प्रसाद की आदर्श हैं। वह 2010 वैंकूवर शीतकालीन ओलंपिक खेलों में महिला एकल चैंपियन थीं।

तारा प्रसाद ने कहा, “जाहिर तौर पर कोई भी परफेक्ट नहीं होता, लेकिन मुझे लगता है कि वह (यूना किम) परफेक्ट हैं।"

"मैं उन लोगों की भी सराहना करती हूं जो स्केटिंग को जारी रखते हैं, फिर भले ही वे थोड़े बड़े हों। उदाहरण के लिए ओलंपिक पेयर्स चैंपियन अल्जोना सावचेंको। मैं उन्हें बहुत पसंद करती हूं, क्योंकि उन्होंने ओलंपिक पदक जीतने के लिए कई बार कोशिश की और आखिरकार वह जीत गईं।

तारा साथी भारतीय-अमेरिकी अमी पारेख से भी प्रेरणा लेती हैं, जो भारत में महिला फिगर स्केटिंग के शुरुआती लोगों में से एक थीं।

पारेख एक सीनियर इंटरनेशनल स्केटिंग यूनियन (ISU) इवेंट में प्रतिस्पर्धा करने वाली पहली भारतीय फिगर स्केटर थीं और उनके तहत दो वर्ल्ड फिगर स्केटिंग चैंपियनशिप और तीन फोर कॉन्टिनेंट्स भी शामिल हैं। वह आठ बार की राष्ट्रीय चैंपियन भी थीं।

तारा प्रसाद को अभी भी अपने स्केटिंग आदर्शों को फॉलो करने के लिए एक लंबा सफर तय करना है, लेकिन यह सुंदर भारतीय फिगर स्केटर निश्चित तौर पर बर्फ पर सभी का ध्यान आकर्षित कर रही है। वह कुछ ऐसा मानती है जो उन्हें बेहतर होने के लिए प्रेरित करता है।

तारा कहती हैं, “जब लोग रिंक पर मुझे देखते हैं, फिर चाहे वह दर्शक हों या जज हों या अन्य लोग, तो मैं उस वक्त उन्हें ही अपनी प्रेरणा मानती हूं।"

भविष्य में तारा प्रसाद के सफर में अच्छा समर्थन मिलने से वह निश्चित तौर पर अच्छा करेंगी। उम्मीद है कि भारत में फिगर स्केटिंग के प्रति लोगों की दिलचस्पी बढ़ेगी और भविष्य में हमें कुछ अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे।