रियल कश्मीर एफसी: स्नो लेपर्ड ने नामुमकिन सपने को कर दिखाया पूरा
रियल कश्मीर एफसी ने आईएफए शील्ड 2020 जीत कर भारतीय फुटबॉल के इतिहास की सबसे रोमांचक कहानी लिख दी।
ज़्यादातर जो कहानियां प्रोत्साहित करती हैं अक्सर उनके पीछे कठिन परिश्रम और जिद्द होती है। ऐसी ही एक कहानी है रियल कश्मीर एफसी की जीत की, जो भारतीय फुटबॉल को गौरवांवित करती है।
स्नो लेपर्ड्स के नाम से जानी जाने वाली कश्मीरी फुटबॉल टीम ने आईएफए शील्ड 2020 को जीत कर अपनी पहली बड़ी घरेलु जीत हासिल की और अपने हौंसलों को आसमान पर चढ़ाया। ग़ौरतलब है कि यह टीम साल 2016 में बनीं थी और तब से लेकर आज तक यह इनकी सबसे बड़ी जीत है।
ऑन पेपर्स शुरुआती 5 सालों में रियल कश्मीर एफसी की बात करें तो बेंगलुरु एफसी जितनी सफल तो नहीं हैं लेकिन ख़ास ज़रूर है। इस कहानी में आप पढेंगे की कैसे श्रीनगर की इस टीम ने ख़िताब अपने नाम कर भारतीय फुटबॉल को गौरवान्वित किया हरियल कश्मीर एफसी: जब फुटबॉल ने तोड़ी हर सरहदरियल कश्मीर एफसी की कहानी को जानने के लिए जम्मू & कश्मीर के इस क्लब को बनाने के पीछे की कहानी जानना बेहद ज़रूरी है।
राजनीतिक उथल - पुथल और आंतकवाद की कई घटनाओं से जुड़ी कश्मीर वैली को ‘धरती का स्वर्ग’ कहा जाता था। वह एक ऐसा राज्य है जहां कर्फ्यू, पूर्ण संचार ब्लैकआउट और कई वर्जित बाधाओं को लागू किया जाता है। ऐसे में फुटबॉल के इस सपने को सच्ची में बदलते देखना बहुत मुश्किल व्यतीत हो रहा था।
वैली ने कई कौशल पूर्ण फुटबॉलर दिए हैं जिनमें अब्दुल मजीद काकरू (भारतीय फुटबॉल की कप्तानी करने वाला पहला कश्मीरी फुटबॉलर) औरमेहराजुद्दीन वाडू (पूर्व भारतीय खिलाड़ी और आईएसएल विजेता) जैसे नाम शामिल हैं।
रियल कश्मीर एफसी के बीज 2014 में बो दिए गए थे। उस समय राज्य तूफ़ान और बाढ़ से जूझ रहा था, जिसमें लोगों को जान और घर दोनों गंवाने पड़े थे। उस मुश्किल समय में यूथ को एकत्र करने के लिए शमीम महराज (लोकल अखबार के एडिटर) और संदीप चट्टो (होटल के मालिक) ने मिलकर 1000 फुटबॉल बनाने और बच्चों में बांटने का फैसला किया था। ग़ौरतलब है कि संदीप चट्टो रियल कश्मीर टीम के मालिक भी हैं।
इसके बाद लोकल व्यक्तियों और बच्चों ने इस खेल में और ज़्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया और ऐसे 2016 में इस क्लब की स्थापना हुई।
I-League सेकेंड डिविज़न 2016-17 में रियल कश्मीर ने हिस्सा लिया था लेकिन ग्रुप स्तर से आगे जाने में नाकामयाब रही थी। इसके बाद टीम के जुनून ने 2017-18 संस्करण अपने नाम किया और उन्हें I लीग में जगह दे दी गई।
रियल कश्मीर एफसी भारतीय फुटबॉल के मुख्य दौर में खेलने वाली पहली कश्मीरी टीम बन गई थी।
जब स्कॉटिश अवार्ड से हुआ सामना
इस टीम की सफलता के पीछे स्कॉटिश कोच डेविड रोबर्टसन का बड़ा हाथ है। अपने दिनों में तेज़ तरार डिफेंडर के रूप में इस खिलाड़ी ने बहुत नाम कमाया है। इतना ही नहीं यह खिलाड़ी 6 बार स्कॉटिश प्रीमियर डिविज़न चैंपियन रहा है। इन्होंने अपने करियर में लीड्स यूनाइटेड (इंग्लिश टीम) के लिए भी खेला है।
जनवरी 2017 में टीम से जुड़ने के बाद डेविड रोबर्टसन ने अपने तरीके यानी ‘नॉ कोम्प्रोमिसेस’ को अपनाया। लोकल कश्मीरी खिलाड़ी और अपने मेसन रोबर्ट को साथ में लेकर चल रहे कोच ने इस टीम में जान फूंक दी और फील्ड पर लड़ना भी सिखाया।
I-League में पहुंचने के बाद कोच रोबर्टसन ने इस टीम को तीसरे स्थान पर विराजमान करवाया। इतना ही नहीं उस संस्करण को चेन्नई सिटी एफसी ने जीता था और कश्मीर की टीम उनसे महज़ 6 अंक पीछे थी।
राज्य में बुरी घटनाएं होने के बावजूद इस टीम के समर्थक स्टेडियम तक भारी तादाद में पहुंचे थे और यह एक देखने वाला मंज़र बन गया था।
कोरोना वायरस की वजह से 2019-20 I-League को छोटा किया गया और उस समय रियल कश्मीर एफसी चौथे स्थान पर विराजमान थी। 15 मुकाबलों में इस टीम ने 22 अंक हासिल किए हैं और अपने होने का प्रमाण दिया है। वहीं कोलकाता की टीम मोहन बागान ने उस संस्करण को 39 अंक से जीत कर चमचमाती ट्रॉफी पर अपना नाम लिख दिया था।
इतना ही नहीं, इस टीम के और समर्थकों का संघर्ष तब रंग लाया जब बीबीसी स्कॉटलैंड ने ‘रिटर्न टू रियल कश्मीर एफसी’ नामक एक डाक्यूमेंट्री बनाई और उसे स्कॉटलैंड अवार्ड 2019 में ब्रिटिश अकादमी ऑफ़ फिल्म एंड टेलेविज़न (BAFTA) का खिताब भी मिलाआईएफए शील्ड 2020 पर कब्ज़ा19 दिसंबर 2020 को रियल कश्मीर ने अपनी सफलता की किताब में एक और अध्याय तब जोड़ा जब उन्होंने IFA शील्ड प्रतियोगिता के 123वें संस्करण को अपने नाम किया।
IFA शील्ड को सन 1893 में शुरू किया तह और यह प्रतियोगिता डुरंड कप के बाद सबसे पुरानी भारतीय फुटबॉल प्रतियोगिता है। ग्रुप B में आर्यन और पीयरलेस के साथ स्नो लेपर्ड ने नॉकआउट का सफ़र 2 मुकाबलों में 2 जीत के साथ तय किया।
क्वाटरफाइनल में कश्मीर ने साउथर्न सेमिटी को 1-0 से परास्त कर अपने कारवां को और आगे बढ़ाया और मोहम्मडन स्पोर्टिंग एससी को 4-0 से सेमीफाइनल में मात देकर फाइनल में अपने कदम रखे।
रॉबर्टसन की टीम ने जॉर्ज टेलीग्राफ को 2-1 से फाइनल में हराकर ख़िताब अपने नाम किया जो आज तक उनके लिए सबसे बड़ी जीतों में से एक है।
रियल कश्मीर के फॉरवर्ड लूकमैन आदिफेमी ने टूर्नामेंट में 5 गोल मारे थे और मेसन रॉबर्टसन और लोकल कश्मीरी खिलाड़ी दानिश फारूक ने एक एक गोल मारा।
फारूक का जन्म कश्मीर में ही हुआ था और इन्हें रियल कश्मीर एफसी का मुख्या खिलाड़ी माना जाता है। इन्ह के साथफरहान गानी भी भारतीय फुटबॉल में अपनी जगह बना रहे हैं।
रियल कश्मीर के कदम यहीं नहीं रुके हैं और वह U-19, U-15, U-13 और U-9 टीमों में भी अपना जलवा बिखेर रहे हैं।
यह क्लब वुमेंस डेवलपमेंट प्रोग्राम भी चला रहे हैं और जिसका नाम ‘शी पॉवर प्रोग्राम’ है और इसकी जड़ें दिल्ली पब्लिक स्कूल (श्रीनगर) से भी जुड़ी हुई हैं।
आज के समय में रियल कश्मीर एफसी अब एक सफल फुटबॉल टीम बन चुकी है और यह कहना गलत नहीं है कि अभी इन्हें बहुत सा सफ़र तय करना है।