शिवा थापा एक कराटे प्रशिक्षक के पुत्र हैं लिहाज़ा कॉमबैट स्पोर्ट्स उनके ख़ून में ही है। लेकिन सही मायनों में असम के इस बालक को माइक टायसन ने बॉक्सिंग रिंग में आने के लिए प्रेरित किया, और फिर जो हुआ वह भारतीय मुक्केबाज़ी इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया।
शिवा थापा केवल 18 वर्ष के थे जब उन्होंने 2012 ओलंपिक के लिए क्वालिफ़ाई किया, इस तरह ओलंपिक में क्वालिफ़ाई करने वाले वह अब तक के सबसे कम उम्र के भारतीय मुक्केबाज़ बन गए। 22 वर्ष के होते होते तो थापा दो बार के ओलंपियन और अर्जुन अवार्डी बन चुके थे।
छह भाई-बहनों में सबसे छोटे शिव थापा और उनके बड़े भाई गोबिंद अपने पिता पदम की चौकस निगाहों में बड़े हुए, जिन्होंने उनमें से एक को ओलंपियन बनाने का सपना देख रखा था।
थापा के बड़े भाई गोबिंद ने राज्य-स्तरीय मुक्केबाज़ी में कई पदक जीत रखे हैं और अपने छोटे भाई को इसी खेल में आगे बढ़ने का हौसला दिया। शिवा थापा ने जल्द ही इसे अपना करियर बनाया और उत्कृष्ट प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।
अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अपने प्रशिक्षण के दौरान शिवा थापा का शौक़िया करियर अच्छी तरह से चल रहा था और जल्दी ही उन्होंने अपनी सफलता की पहली सीढ़ी चढ़ ली थी। 2010 के समर यूथ ओलंपिक में रजत पदक के साथ उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना ली थी।
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