प्रजनेश गुणेश्वरन का करियर उनकी वापसियों पर बना है।
वे भारतीय टेनिस फैंस जो प्रजनेश गुणेश्वरन को उनके जूनियर के दिनों से फ़ॉलो करते हैं, उन्हें तमिलनाडु के इस खिलाड़ी को 2018 एशियन गेम्स में मेंस सिंगल्स का कांस्य पदक जीतते हुए काफ़ी अच्छा लगा होगा। फिर एक साल बाद ही प्रजनेश सभी ग्रैंड स्लैम के मुख्य ड्रॉ में भी जगह बनाने में क़ामयाब रहे थे।
हालांकि उनकी राहें आसान नहीं रही हैं।
8 साल की उम्र में ही चेन्नई में जन्में प्रजनेश गुणेश्वरन ने टेनिस में करियर बनाने की ठान ली थी। अपने मामा से प्रेरित होकर टेनिस में आए प्रजनेश ने बहुत कम समय में ही अपना जलवा बिखेरना शुरू कर दिया था। अंडर-12 से लेकर अंडर-18 तक क़रीब क़रीब सभी उम्र ग्रुप में प्रजनेश ने राष्ट्रीय ख़िताब अपने नाम किए। जिसके बाद उन्हें देश का उभरता हुआ टेनिस स्टार कहा जाने लगा।
साल 2007 में तो प्रजनेश एक ही दिन में अंडर-18 चैंपियनशिप का ख़िताब अपने नाम किया और पुरुष राष्ट्रीय फ़ाइनल में रनर-अप रहे थे।
जूनियर लेवल पर प्रजनेश के बेहतरीन प्रदर्शन ने अमेरिका के कई स्कूलों को अपनी ओर आर्कषित किया, और फिर हावर्ड जैसे कई बड़े विश्वविद्यालयों ने उन्हें स्कॉलरशिप की पेशकश दी।
कुछ ऐसे खिलाड़ी होते हैं जिनमें क़ाबिलियत तो भरी होती है लेकिन वह उसे भुना नहीं पाते हैं। इससे क्या फ़ायदा है ? मेरे पास वह सभी कौशल मौजूद हैं जिससे मैं वह हथियार बना सकता हूं जो मुझे शीर्ष पर ले जाए।
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