Pooja

पूजा रानी

भारत
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बॉक्सिंगबॉक्सिंग
भाग लेना1
पहला प्रतिभागीटोक्यो 2020
जन्म का साल1991
सोशल मीडिया

बायोग्राफी

अपने पिता को चुनौती देने से लेकर अपने सपनों को पूरा करते हुए ओलंपियन बनने तक, पूजा रानी का सफर काफी लंबा और चुनौतीपूर्ण रहा है।

भारत में मुक्केबाजी का गढ़ कहे जाने वाले हरियाणा के भिवानी में जन्मी पूजा रानी को अच्छी कोचिंग और प्रशिक्षण सुविधाओं के लिए बहुत अधिक भटकना नहीं पड़ा, लेकिन उनके सामने एक दिक्कत जरूर थी।

पूजा रानी के पिता अपनी बेटी के बॉक्सर बनने के सख्त खिलाफ थे। पूजा रानी को अपने पिता की ऊंची आवाज में दी गई चेतावनी आज भी अच्छी तरह याद है। उन्होंने उनसे कहा था, “अच्छे बच्चे बॉक्सिंग नहीं खेलते हैं।”

हालांकि, किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। महज एक संयोग के चलते एक इंटर-कॉलेज बॉक्सिंग टूर्नामेंट में जीते गए रजत पदक ने पूजा रानी के मुक्केबाजी के प्रति जुनून को उड़ान दी। इससे उन्हें अपने पिता के गुस्से से भी लड़ने की ताकत दी।

इसके बाद उन्होंने अपने शहर में प्रसिद्ध हवा सिंह बॉक्सिंग अकादमी जाना शुरू कर दिया और वहां अपने पिता से छिपते हुए प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया।

शुरुआती दिनों में पूजा रानी अपने कोच के घर पर ही रहकर मुकाबलों के दौरान लगी चोटों को छिपाती थीं, जबकि उनके माता-पिता को लगता था कि वह अपने दोस्तों के घर पर है।

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं किसका सामना कर रही हूं, मैं कभी खुद से संतुष्ट नहीं होती हूं। मैं हमेशा अपने प्रतिद्वंद्वियों को गंभीरता से लेती हूं, फिर भले ही वह मुझसे कम रैंक की ही क्यों न हो।

ओलंपिक रिजल्ट

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