अपनी मां से प्रेरित और प्रोत्साहित होकर, महबूबेह ने 15 साल की उम्र में जूडो खेलना शुरू किया। वह तेजी से रैंक में आगे बढ़ती गईं और अंततः ईरानी नेशनल जूडो टीम में शामिल होने से पहले ईरान में कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। साल 2018 में कोई अन्य विकल्प नहीं बचा, तो उन्होंने अपनी बेटी के साथ जर्मनी में शरण मांगी।
खेल के प्रति महबूबेह का समर्पण जूडो से भी बढ़कर है क्योंकि वह बॉडी बिल्डिंग, स्विमिंग और रनिंग में भी सक्रिय रूप से हिस्सा लेती रहीं। जूडो में थर्ड डैन ब्लैक बेल्ट हासिल करते हुए, उन्होंने खेल में जज और कोच की भूमिका भी अच्छे से निभाई हैं। एक अकेली मां, एक शरणार्थी और एक महिला के रूप में, महबूबेह को उम्मीद है कि वह दूसरों को अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रेरित करेंगी। महबूबेह की बेटी उनकी प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत हैं।
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