सुबिमल चुनी गोस्वामी भारतीय फुटबॉल के पहले सुपरस्टार हैं।
भारतीय फुटबॉल में दिग्गज पीके बनर्जी और तुलसीदास बालाराम की तरह ही सुबिमल चुनी गोस्वामी ने 1950 से 60 के गोल्डन एरा में अपना योगदान दिया है।
उस समय के दौरान सुबिमल गोस्वामी ने भारत के लिए 30 अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में प्रतिस्पर्धा की थी और उन्होंने 9 गोल भी मारे थे। वह 1960 रोम ओलंपिक गेम्स का भी हिस्सा रहे थे और साथ ही 1962 एशियन गेम्स में बतौर कप्तान गोल्ड मेडल भी जीता था।
इतना ही नहीं एशियन कप 1964 में जब भारतीय फुटबॉल टीम रनर अप रही थी तब भी वह टीम के कप्तान थे।
आकंड़ों के अलावा सुबिमल गोस्वामी ने अपने खेलने के अंदाज़ और स्टाइल से भी प्रशंसकों के दिलों में एक ख़ास जगह बनाई थी। उम्दा ड्रिबलर और पासर को फैंस द्वारा “द आर्टिस्ट” कहा जाता था।
पूर्व भारतीय फुटबॉलर और सुबिमल गोस्वामी के साथी जरनैल सिंह ने बात करते हुए कहा “हम सभी बहुत अच्छे फुटबॉलर थे, लेकिन चुनी अलग था। वह एक कलाकार था।”
चुनी के खेलने के तरीके और अच्छी सूरत की वजह से वह टीम के पोस्टरबॉय बन गए थे।
देश में उनके प्रशंसक इतने ज़्यादा थे कि मोहन बागान की ओर से खेलने के बावजूद भी ईस्ट बंगाल के प्रशंसक भी उनकी तारीफ करते थे। हालांकि भारतीय फुटबॉल में ऐसा बहुत कम देखा गया है।
भारतीय फुटबॉलर का फोकस कौशल पर होना चाहिए न कि शारीरिक भौतिकता पर
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