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तीरंदाज़ी क्या है?

तीरंदाज़ी सबसे पुराने खेलों में से एक है जो आज भी काफ़ी लोकप्रिय खेल है। इसके तार सभ्यता के विकास से भी काफ़ी क़रीब से जुड़े हैं। धनुष और तीर के इस्तेमाल से खेले जाने वाले इस खेल का इतिहास हज़ारों साल पुराना है। एक सांस्कृतिक प्रगति के रूप में, यह आग की खोज और पहिए के आविष्कार की तरह ही माना जाता था।

तीरंदाज़ी का आविष्कार किसने, कब और कहां किया था?

18वें राजवंश (1567-1320 ईसा पूर्व) के दौरान तीरंदाज़ी मिस्र के फिरौन का एक पसंदीदा खेल था। कई शताब्दियों के बाद, चीन में झोउ वंश (1046 - 256 ईसा पूर्व) के शासन के दौरान कुछ शुरुआती तीरंदाज़ी टूर्नामेंट के आयोजनों के प्रमाण मिलते हैं। इस तरह के आयोजनों में चीन का कुलीन वर्ग शिरकत किया करता था। काफ़ी बाद में, अंग्रेज़ी लेखकों ने क्रेसी, एगिनकोर्ट और पॉइटियर्स की लड़ाई में अपने देश की जीत में धनुष के योगदान को अहम बताया।

1200 ई.पू. में, हित्तियों (Hittites) और अश्शूरियों (Assyrians) ने रथ पर सवार होकर धनुष से तीर चलाने की प्रथा को शुरू किया जिसके कारण वे किसी भी युद्ध में एक खतरनाक विरोधी के रूप में सामने आए। उन्होंने कण्डरा (tendon), सींग और लकड़ी से अपने धनुष का निर्माण किया और उसे एक नया रिकर्व आकार भी दिया। इसने उनके धनुष को छोटा और अधिक शक्तिशाली बना दिया, जिससे उनके तीरंदाज़ घोड़े की पीठ पर बैठकर भी आसानी से तीर चलाने में सक्षम हुए।

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