आर्टिस्टिक जिमनास्टिक
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इंटरनेशनल जिम्नास्टिक फ़ेडरेशन की स्थापना साल 1881 में हुई थी और यह दुनिया की सबसे पुरानी स्पोर्ट्स फ़ेडरेशन है। आपको बता दें, प्राचीन काल में जब फ़िलोसफ़रों द्वारा बौद्धिक गतिविधि के साथ शारीरिक व्यायाम के संयोजन को अनुशासित किया गया था तब जिम्नास्टिक की उत्पत्ति हुई थी। 19वीं शताब्दी में जैसे-जैसे इस खेल की प्रतियोगिता की संख्या में वृद्धी हुई इस खेल की लोकप्रियता में भी काफ़ी बढ़ोतरी देखने को मिली, जिसमें 1896 में एथेंस में ओलंपिक खेलों में जिम्नास्टिक प्रतियोगिता भी शामिल थी।
नियमों को संक्षिप्त में जानें
आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक विभिन्न उपकरणों पर कई व्यक्तिगत प्रतियोगिताओं के साथ-साथ सभी जेंडर-विशिष्ट उपकरणों को शामिल करने वाली एक टीम प्रतियोगिता से बना है। सभी उपकरण का उपयोग करने के लिए विभिन्न शैली की आवश्यकता पड़ती है। पुरुष फ़्लोर एक्सरसाइज़, पॉमेल हॉर्स, रिंग्स, वॉल्ट, पैरेलल बार्स और हॉरिज़ोंटल बार पर प्रतिस्पर्धा करते हैं जबकि महिलाओं की स्पर्धाओं में वॉल्ट, अनईवन बार, बैलेंस बीम और फ़्लोर एक्सरसाइज़ शामिल हैं। जिम्नास्टिक प्रतियोगिता के प्रत्येक इवेंट के लिए शक्ति, चपलता, कोओर्डिनेशन और सटीकता की आवश्यकता होती है।
साल 2004 तक ओलंपिक में जिम्नास्टिक रूटीन का मूल्यांकन अधिकतम 10 अंकों के साथ किया जाता था, लेकिन साल 2005 से एथलीटों के प्रदर्शन के बीच अधिक भिन्नता रहे इसलिए स्कोरिंग का तरीका D स्कोर (कठिनाई/व्यायाम की सामग्री) और E स्कोर (एक्ज़ीक्यूशन) के संयोजन में बदल दिया गया।
साल 1976 के मॉन्ट्रियल ओलंपिक खेलों के बाद स्कोरिंग प्रणाली में बदलाव पर विचार करना शुरू कर दिया, जब रोमानिया की जिम्नास्ट नादिया कोमनेसी ने ओलंपिक इतिहास में परफ़ेक्ट 10.0 का स्कोर अर्जित करने वाली पहली प्रतियोगी बन गईं, जिसे उन्होंने टीम प्रतियोगिता के दौरान अनइवेन बार्स पर अपनी रूटीन के दौरान हासिल किया था।
ओलंपिक इतिहास
जिम्नास्टिक को साल 1896 में आधुनिक युग के पहले ओलंपिक खेलों में पेश किया गया था और तब से इसे हर संस्करण में शामिल किया गया है। यह प्रतियोगिता 32 वर्षों तक पुरुष प्रतियोगियों तक ही सीमित थी, लेकिन एम्स्टर्डम में हुए 1928 के ओलंपिक खेलों में महिलाओं को भी पहली बार प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दी गई। 1952 के ओलंपिक खेलों तक महिलाओं के प्रोग्राम को सात इवेंट्स के साथ तैयार नहीं किया गया था, और फिर इसे 6 इवेंट्स के साथ तैयार किया गया, जो रोम में हुए 1960 के ओलंपिक खेलों से ठीक उसी प्रोग्राम के साथ जारी है। पुरुषों के प्रोग्राम में आठ इवेंट शामिल हैं।
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आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक विभिन्न उपकरणों पर कई व्यक्तिगत प्रतियोगिताओं के साथ-साथ सभी जेंडर-विशिष्ट उपकरणों को शामिल करने वाली एक टीम प्रतियोगिता से बना है। सभी उपकरण का उपयोग करने के लिए विभिन्न शैली की आवश्यकता पड़ती है। पुरुष फ़्लोर एक्सरसाइज़, पॉमेल हॉर्स, रिंग्स, वॉल्ट, पैरेलल बार्स और हॉरिज़ोंटल बार पर प्रतिस्पर्धा करते हैं जबकि महिलाओं की स्पर्धाओं में वॉल्ट, अनईवन बार, बैलेंस बीम और फ़्लोर एक्सरसाइज़ शामिल हैं। जिम्नास्टिक प्रतियोगिता के प्रत्येक इवेंट के लिए शक्ति, चपलता, कोओर्डिनेशन और सटीकता की आवश्यकता होती है।
साल 2004 तक ओलंपिक में जिम्नास्टिक रूटीन का मूल्यांकन अधिकतम 10 अंकों के साथ किया जाता था, लेकिन साल 2005 से एथलीटों के प्रदर्शन के बीच अधिक भिन्नता रहे इसलिए स्कोरिंग का तरीका D स्कोर (कठिनाई/व्यायाम की सामग्री) और E स्कोर (एक्ज़ीक्यूशन) के संयोजन में बदल दिया गया।
साल 1976 के मॉन्ट्रियल ओलंपिक खेलों के बाद स्कोरिंग प्रणाली में बदलाव पर विचार करना शुरू कर दिया, जब रोमानिया की जिम्नास्ट नादिया कोमनेसी ने ओलंपिक इतिहास में परफ़ेक्ट 10.0 का स्कोर अर्जित करने वाली पहली प्रतियोगी बन गईं, जिसे उन्होंने टीम प्रतियोगिता के दौरान अनइवेन बार्स पर अपनी रूटीन के दौरान हासिल किया था।
ओलंपिक इतिहास
जिम्नास्टिक को साल 1896 में आधुनिक युग के पहले ओलंपिक खेलों में पेश किया गया था और तब से इसे हर संस्करण में शामिल किया गया है। यह प्रतियोगिता 32 वर्षों तक पुरुष प्रतियोगियों तक ही सीमित थी, लेकिन एम्स्टर्डम में हुए 1928 के ओलंपिक खेलों में महिलाओं को भी पहली बार प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दी गई। 1952 के ओलंपिक खेलों तक महिलाओं के प्रोग्राम को सात इवेंट्स के साथ तैयार नहीं किया गया था, और फिर इसे 6 इवेंट्स के साथ तैयार किया गया, जो रोम में हुए 1960 के ओलंपिक खेलों से ठीक उसी प्रोग्राम के साथ जारी है। पुरुषों के प्रोग्राम में आठ इवेंट शामिल हैं।