Olympic Games Melbourne 1956
मेलबर्न 1956द टॉर्च
मेलबर्न
रूट डिजाइन और विवरण
ओलंपिया में लौ जलाने से लेकर एथेंस के लिए ग्रीक से ऑस्ट्रेलिया तक की यात्रा की पूरा विवरण दिया गया है। इस मशाल को लेकर इस्तांबुल, बसरा, कराची, कलकत्ता, बैंकॉक, सिंगापुर, जकार्ता और डार्विन से होकर गुजारा गया।
डार्विन में एक रिसेप्शन आयोजित किया गया था, फिर मशाल को प्लेन से उत्तर-पूर्वी ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड के कैर्न्स में भेजा गया था। नीचे तक बादल होने के कारण एक जोखिमपूर्ण लैंडिंग के बाद, मुश्किलें बढ़ गईं। ऑस्ट्रेलिया में जमीन पर रिले 9 नवंबर को शुरू हुआ। पहला टॉर्चबियरर एक ऑस्ट्रेलियाई मूल का यूनानी व्यक्ति था, जबकि दूसरा टॉर्चबियरर, एंथनी मार्क, एक आदिवासी ऑस्ट्रेलियाई था। रिले में पूर्वी तट को कवर किया, ब्रिस्बेन, सिडनी, कैनबरा और अंत में, मेलबर्न जैसे शहरों से होकर गुजरा गया था।
21 नवंबर: मशाल मेलबर्न पहुंचने से पहले, रोइंग रोटरिंग और कैनोय इवेंट की मेजबानी करने वाले शहर, बैलरेट से होकर गुज़री। मशाल का उपयोग करते हुए, मेयर ने मेन स्टेडियम के कॉल्ड्रॉन की एक छोटी प्रतिकृति में एक लौ जलाई, जो खेलों के समापन तक जलता रहा।
अगले दिन, मशाल मेलबोर्न में पहुंची, और आखिरी टॉर्चबियरर के मेन स्टेडियम में ले गया और फ्लेम उद्घाटन समारोह के दौरान शाम 4:20 बजे जलाया गया।
रूट का मैप
तथ्य और आंकड़े
प्रारंभ तिथि: 2 नवंबर 1956, ओलंपिया (ग्रीस)
अंतिम तिथि: 22 नवंबर 1956, मेन स्टेडियम, मेलबोर्न (ऑस्ट्रेलिया)
पहला टॉर्चबियरर: डायोनिसस पपथनसोपुलोस
अंतिम टॉर्चबियरर: रोनाल्ड विलियम "रॉन" क्लार्क, एथलेटिक्स में ओलंपिक प्रतिभागी (1964, 1968), टोक्यो 1964 में कांस्य पदक विजेता।
मशालों की संख्या: 3,181: 350 ग्रीस में, 2,831 ऑस्ट्रेलिया में।
टार्चबियरर का चुनाव: टार्चबियरर बनने के लिए प्रतिभागियों को 7.5 मिनट में 1 मील (1.61 किमी) दौड़ने में सक्षम होना था। आयोजन समिति के लिए प्रत्येक खेल में एक एथलीट को भाग लेना था। रिले महिलाओं या पेशेवर खिलाड़ियों के लिए नहीं था।
दूरी: 20,470 किमी कुल (हवाई यात्रा भी शामिल): पैदल 4,912 किमी, जिसमें ग्रीस में 354 किमी शामिल है
देशों का दौरा: ग्रीस, तुर्की, इराक, पाकिस्तान, भारत, थाईलैंड, सिंगापुर, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया
मशाल का विवरण
विवरण: मशाल को लंदन 1948 में तैयार किया गया था। हैंडल एक रिंग जैसा बना हुआ था और ऊपरी भाग एक काउल्ड्न के आकार में था, इसमें ओलंपिक रिंग को तीन बार दिखाया गया था। इस मशाल पर “XVI Olympiad 1956: Olympia Melbourne” लिखा हुआ था।
रंग: सिल्वर
ऊंचाई: बर्नर के साथ 47 सेमी, बिना बर्नर के 40.5 सेमी
रचना: धातु, एल्यूमीनियम
ईंधन: अतिरिक्त नेफ़थलीन और एक विशेष प्रज्वलन सामग्री के साथ टैबलेट रूप में हेक्सामाइन। जलने का समय लगभग 15 मिनट था।
डिजाइनर / निर्माता: राल्फ लेवर्स / वाको लिमिटेड
क्या आप जानते हैं?
मशाल की यात्रा के दौरान आयोजकों को कई अप्रत्याशित जलवायु चुनौतियों का सामना करना पड़ा और ऑस्ट्रेलिया के उत्तर में बाढ़ के कारण रूट को फिर से दूसरे मार्ग की ओर मोड़ना पड़ा। हालांकि, मशाल को लाने में किसी प्रकार की कोई देरी नहीं हुई थी। मशाल को समय पर पंहुचाने के लिए कुछ ही स्टॉप के साथ दिन और रात तक यात्रा की गई थी।
सिंगापुर और जकार्ता के बीच उड़ान के दौरान 6 नवंबर 1956 को पहली बार मशाल ने दक्षिणी गोलार्ध को पार किया।
एक दूसरे मशाल को विशेष रूप से मेलबर्न में उद्घाटन समारोह के लिए बनाया गया था और स्टेडियम में प्रवेश करते समय अंतिम टॉर्चबियरर को ले जाना था। यह एल्यूमीनियम से बना हुआ है, जिसमें एक ग्रोवेल्ड हैंडल है, जिसमें ओलंपिक चिन्ह था, जिसके हैंडल पर लिखा था “XVI Olympiad Melbourne 1956"। स्टेडियम में लौ तेज हो, इसके लिए मैग्नीशियम फ्लेयर्स का उपयोग किया गया था।
स्टॉकहोम
मार्ग डिजाइन और विवरण
उद्घाटन समारोह के अपवाद के साथ, डेनमार्क और स्वीडन में, रिले पूरी तरह से घोड़े की पीठ पर हुआ और स्टॉकहोम में सिर्फ घुड़सवारी की इवेंट को दिखाया गया था।
लौ को ओलंपिया में जलाया गया था और फिर एथेंस जाने के लिए रवाना किया गया। इसके बाद कोपेनहेगन के पास से कास्त्रुप हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरी, जहां राजधानी में एक रिले को आयोजित किया गया था। इसके बाद स्वीडन में माल्मो ले जाया गया। वहां से इसे शहर में ले जाया गया। इसके बाद सोरेंटोर्प और अंत में स्टॉकहोम तक ले जाया गया।
उद्घाटन समारोह में, स्वीडिश कैवेलरी के कप्तान हंस विल्केन ने स्टेडियम में प्रवेश किया, राजा को सलामी दी और आईओसी के सदस्यों और खेलों के प्रतिभागियों को सलामी दी और फिर पूरे खेल में जलाए जाने वाले कउल्ड्रॉन को जलाया। 1952 में हेलसिंकी में जिम्नास्टिक में स्वर्ण पदक विजेता करिन लिंडबर्ग को मशाल दी गई थी, जिन्होंने स्वीडिश धावक हेनरी एरिकसन को मशाल थमा गी, जिसने लंदन 1948 खेलों में 1,500 मीटर में को स्वर्ण पदक जीता था। दोनों स्टेडियम के चारों ओर घोड़े की नाल की आकृति में दौड़े और दो टावरों पर पहुंचं जहां उन्हें मशाल जलानी थी।
रूट का मैप
तथ्य और आंकड़े
प्रारंभ तिथि: 2 जून 1956, ओलंपिया (ग्रीस)
अंतिम तिथि: 10 जून 1956, ओलंपिक स्टेडियम, स्टॉकहोम (स्वीडन)
पहला टॉर्चबियरर: तकिस कॉन्स्टेंटिनिडिस
अंतिन टॉर्चबियरर: हंस विकने, ओलंपिक घुड़सवारी में भाग लेने वाले एथलीट (1964)
मशालों की संख्या: ग्रीस में 330 और डेनमार्क और स्वीडन में ~ 160 थी
टार्चबियरर का चुनाव: स्वीडन में घुड़सवारी क्लबों के माध्यम से घुड़सवारों को चुना गया था।
दूरी: ग्रीस में 325 किमी (हवाई परिवहन और डेनमार्क-स्वीडन रिले को छोड़कर)
देशों का दौरा: ग्रीस, डेनमार्क, स्वीडन
क्या आप जानते हैं?
ऑस्ट्रेलियाई क्वारनटाइन नियमों के कारण मेलबर्न में घुड़सवारी की इवेंट्स को आयोजित नहीं किया जा सकता था, इसके कारण एक अतिरिक्त रिले, ओलंपिया और स्टॉकहोम के बीच हुई थी जहां इन इवेंट्स को आयोजित किया जाना था, जो जून 1956 में आयोजित किया गया था। ये एकमात्र समय था जब उसी संस्करण के लिए समर खेल, एक ही वर्ष में दो ओलंपिक मशाल जलाई गईं। मेलबोर्न की तरह ही स्टॉकहोम क लिए मशाल का इस्तेमाल किया गया था, वो सब थोड़ा छोटा था।
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ओलंपिक खेलों के प्रत्येक संस्करण के पहचान के रूप में प्रतीक बनाई जाती है।ब्रांड
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ओलिव व्रिथ से शुरुआत करने के बाद हम उस सदी में पहुंचे जहां पदक डिजाइन होते हैं।पदक
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प्रत्येक मेजबान अपना अनूठा संस्करण पेश करता है, जो ओलंपिक खेलों का एक प्रतिष्ठित हिस्सा माना जाता है।टॉर्च