वूमेंस हॉकी एशिया कप: जापान और दक्षिण कोरिया का रहा है दबदबा, दोनों ने जीते हैं तीन-तीन खिताब
सिर्फ चार देशों ने इस टूर्नामेंट के खिताब को जीता है। दक्षिण कोरिया और जापान ने तीन-तीन खिताब जीते हैं, जबकि भारत और चीन ने दो-दो बार खिताब हासिल किया है।
वूमेंस हॉकी एशिया कप महाद्वीप का प्रमुख अंतरराष्ट्रीय महिला हॉकी टूर्नामेंट है और 1985 में पहली बार आयोजित होने के बाद से अब तक सिर्फ चार टीमें फाइनल में पहुंच सकी हैं।
2022 में समापन हुए संस्करण में जापान ने फाइनल में दक्षिण कोरिया को 4-2 से हराकर अपना तीसरा महिला हॉकी एशिया कप का खिताब जीता।
जापान और दक्षिण कोरिया की टीमें अब तीन-तीन बार खिताब जीत चुकी हैं
दक्षिण कोरिया 1985 में सियोल में आयोजित पहले महिला हॉकी एशिया कप की भी चैंपियन रही थी। उन्होंने 1993 और 1999 में एक के बाद एक खिताब जीते और अब तक अपने खिताब को डिफेंड करने वाली एकमात्र टीम है।
भारतीय महिला हॉकी टीम ने 1985 में आयोजित हुए पहले संस्करण में हिस्सा नहीं लिया था। हालांकि उसके बाद से भारतीय टीम हर टूर्नामेंट में खेली है।
भारतीय महिला हॉकी टीम ने अभी तक चार बार फाइनल में प्रवेश किया है। साल 2004 और 2017 में उन्हें जीत मिली थी। वहीं, साल 1999 में दक्षिण कोरिया और साल 2009 में उन्हें चीन की टीम से हार का सामना करना पड़ा था।
साल 2022 में आयोजित हुए एशिया कम में भारतीय टीम तीसरे स्थान पर रही, जहां उन्होंने तीसरे स्थान के मुकाबले में चीन को 2-0 से हराया. सविता पूनिया की कप्तानी में खेल रही भारतीय टीम सेमीफाइनल में दक्षिण कोरिया से हार का सामना करना पड़ा था।
महिला एशिया कप 2022 की शीर्ष चार टीमों में जापान, दक्षिण कोरिया, भारत और चीन शामिल है, इन चारों टीमों ने महिला हॉकी विश्व कप 2022 के लिए क्वालीफाई कर लिया।
चीन ने दो बार -1989 और 2009 में भी खिताब जीता है। उन्होंने 2009 के फाइनल मुकाबले में भारत को हराया था।
महिला हॉकी एशिया कप में प्रतिस्पर्धा करने वाली टीमों की संख्या अलग-अलग है लेकिन 2013 से, यह आठ देशों के बीच खेला जा रहा है। 2009 का संस्करण 11 देशों के साथ खेला गया था, जो अब तक का सबसे बड़ा संस्करण है।
महिला हॉकी एशिया कप ने पहले दो संस्करणों (1985, 1989) में राउंड-रॉबिन प्रारूप में मुकाबले हुए। नॉकआउट मैच 1993 के संस्करण से शुरू हुए है।
जब से नॉकआउट प्रारूप आया है, तब से दक्षिण कोरिया और जापान फाइनल में पहुंचने वाले सबसे सफल टीम रही हैं और दोनों ने 6-6 बार खिताबी मुकाबले में जगह बनाई है।