पीवी सिंधु एक बैडमिंटन क्वीन हैं जो उन ऊंचाइयों तक पहुंची हैं जो कभी किसी भारतीय ने नहीं हासिल की।
भारतीय बैडमिंटन स्टार ने विश्व चैंपियनशिप का ताज, दो ओलंपिक पदक और अन्य कई ख़िताब जीते हैं। ये सभी उपलब्धियां उन्होंने कई काबिल और होनहार प्रशिक्षकों के मार्गदर्शन में हासिल की।
अपने पहले कोच महबूब अली से लेकर अपने सबसे हालिया कोच पार्क ताए-सांग तक, पीवी सिंधु इस खेल के कुछ सर्वश्रेष्ठ लोगों के सानिध्य में रही हैं। पीवी सिंधु के वर्तमान कोच अगस ड्वी सैंटोसो हैं।
आइए पीवी सिंधु के सभी कोच के बारे में जानते हैं, जिन्होंने उनके करियर को एक बेहतरीन मुक़ाम दिया है।
पीवी सिंधु के पहले कोच: महबूब अली
पीवी सिंधु ने बैडमिंटन में अपने पहले दिवंगत कोच महबूब अली से ट्रेनिंग हासिल की, जिन्होंने ओलंपिक पदक विजेता साइना नेहवाल और विश्व चैंपियनशिप पदक विजेता ज्वाला गुट्टा को भी ट्रेनिंग दी थी।
पीवी सिंधु को शुरुआत से इस खेल से काफी लगाव था। जिसको देखते हुए सिंधु के माता-पिता ने उन्हें सिकंदराबाद में महबूब अली बैडमिंटन अकादमी में भर्ती कराया।
आपको बता दें कि महबूब अली खुद एक जूनियर नेशनल पदक विजेता रह चुके थे। जिन्होंने पीवी सिंधु को एक बेहतरीन एथलीट होने के सभी गुणों से रूबरू करवाया।
पीवी सिंधु के पिता रमना ने तेलंगाना टुडे से बात करते हुए कहा, “वह छोटी उम्र से ही बहुत उत्सुक श्रोता थी। वह कोच से मिलने वाली किसी भी चीज़ को बड़ी आसानी से समझ लेती थी। उन्होंने जब खेलना शुरू किया तो वह सिर्फ आठ साल की थी और घंटों प्रैक्टिस करती थी।”
महबूब अली के बाद, पीवी सिंधु ने भी लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम में पूर्व मुख्य राष्ट्रीय बैडमिंटन कोच और द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता एसएम आरिफ के नेतृत्व में ट्रेनिंग हासिल की, जहां सिंधु के करियर को एक नई उड़ान मिली।
रमना ने कहा, "मुझे लगता है कि महबूब सर और एसएम आरिफ के नेतृत्व में पीवी सिंधु को शुरुआती वर्षों में एक मज़बूत आधार मिला।"
कोच पुलेला गोपीचंद के नेतृत्व में पीवी सिंधु का दबदबा
सिंधु को अपने पहले कोचों द्वारा मिली मज़बूत ट्रेनिंग के बाद उन्हें गचीबोवली स्टेडियम में उनके प्रेरणा रहे पुलेला गोपीचंद के नेतृत्व में ट्रेनिंग के लिए भेजा गया।
साल 2001 में ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप में गोपीचंद की जीत के बाद सिंधु ने पहली बार बैडमिंटन में रुचि दिखाई थी।
पुलेला गोपीचंद की निगरानी में, पीवी सिंधु एक बैडमिंटन-प्रेमी से एक विजेता और चैंपियन खिलाड़ी में तब्दील हो गईं।
सिंधु और उनके पिता गचीबोवली में ट्रेनिंग सेशन में हिस्सा लेने के लिए प्रत्येक दिन अपने घर से लगभग 50 किमी का सफर तय करते थे।
सिंधु के पिता ने उनकी ट्रेनिंग का एक किस्सा शेयर करते हुए कहा, “जब भी मैं उन्हें ट्रेनिंग सेशन छोड़ने के लिए कहता तो सिंधु रोने लगती थी। क्योंकि यह काफी थकाऊ हो गया था। हर सुबह 3:30 बजे उठना और अकादमी जाना। इसके बाद मुझे ऑफिस वापस आना पड़ता था, जो सिकंदराबाद में था।”
सिंधु अपने करियर में आगे बढ़ती गईं और सिंधु-गोपीचंद की जोड़ी ने देश भर में सब-जूनियर और जूनियर स्तर की प्रतियोगिताओं में अपना दबदबा बनाना शुरू कर दिया।
सिंधु ने अंडर-10 और अंडर-13 कैटेगरी में ऑल इंडिया भारतीय रैंकिंग टूर्नामेंट खेले। उन्होंने एकल और युगल सहित दोनों में कई बार सब-जूनियर नेशनल स्तर की प्रतियोगिताएं अपने नाम की।
अपने देश में कई टूर्नामेंट जीतने के बाद अब सिंधु और गोपीचंद की निगाहें अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगातओं पर थीं।
हैदराबाद की इस युवा खिलाड़ी ने साल 2009 की सब-जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप में अंतरराष्ट्रीय डेब्यू किया और कांस्य पदक अपने नाम किया।
सिंधु ने साल 2009 में इंडिया ओपन में सीनियर में डेब्यू किया। दो साल बाद, गोपीचंद ने 2011 मालदीव इंटरनेशनल चैलेंज में अपने पहले सीनियर खिताब के लिए 15 वर्षीय से कुछ टिप्स लिए।
गोपीचंद की दूसरी खिलाड़ी साइना नेहवाल ने पहले से ही विश्व स्तर पर अपना मुक़ाम बना लिया था। यहां तक कि साल 2012 में साइना ने ओलंपिक खेल में कांस्य पदक भी जीता था।
आपको बता दें कि 12 साल पहले, पुलेला गोपीचंद 2000 में सिडनी ओलंपिक में प्री-क्वार्टर में हार गए थे। इसलिए, साइना के कांस्य पदक के बाद कोच गोपीचंद ने सोचा कि उनका सपना पूरा हो गया है और उन्हें खेल छोड़ देना चाहिए।
गोपीचंद ने Olympics.com से बात करते हुए कहा, "जब हमने 2012 में वह पदक जीता तो ऐसा लगा जैसे मेरा काम हो गया।”
लेकिन गोपीचंद को यह विश्वास था कि पीवी सिंधु एक दिन जरूर इतिहास रचेंगी और वहीं, आने वाले कुछ सालों में इसका परिणाम बिल्कुल साफ देखने को मिला। पीवी सिंधु ने विश्व चैंपियनशिप, एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में पदक हासिल किया।
रियो में सिंधु-गोपी ने रचा इतिहास
कोच गोपीचंद के साथ पीवी सिंधु ने रियो 2016 में साइना नेहवाल से बेहतर प्रदर्शन किया, जहां उन्होंने ओलंपिक खेल में रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनकर इतिहास रच दिया।
हालांकि, भारतीय दिग्गज को रियो ओलंपिक फ़ाइनल में कैरोलिना मारिन से हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन, इस अभियान ने पीवी सिंधु को बैडमिंटन में एक नई दिशा दी।
गोपीचंद के नेतृत्व में सिंधु ने विश्व चैंपियनशिप, राष्ट्रमंडल खेल और एशियाई खेल में रजत पदक हासिल किया। हालांकि, वह अब तक स्वर्ण पदक से दूर थीं।
पीवी सिंधु के शीर्ष पर पहुंचने से कई नए भारतीय शटलर प्रेरित हुए, जो बैडमिंटन में अपनी शुरुआत कर रहे थे। वहीं, गोपीचंद मुख्य भारतीय कोच की भूमिका भी निभा रहे थे जिसके कारण सिंधु और गोपीचंद को एक साथ काम करने का कम समय मिलता था।
इसलिए, सिंधु की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए एक नया कोच नियुक्त किया गया।
पीवी सिंधु ने कोच किम जी ह्यून के साथ नई ऊंचाइयों को छुआ
दक्षिण कोरिया की किम जी ह्यून साल 2019 में पुलेला गोपीचंद के कोचों की टीम में शामिल हुई, लेकिन अधिकतर समय उन्होंने पीवी सिंधु के साथ काम किया।
किम जी ह्यून खुद एक कुशल खिलाड़ी रहीं हैं। वह एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता थीं और उन्होंने सुदीरमन कप, उबेर कप, एशियाई चैंपियनशिप और एशियाई कप में एक दर्जन से अधिक बार पोडियम पर जगह बनाई थी।
कार्यभार संभालने के कुछ ही महीनों बाद किम जी ह्यून ने सिंधु को दुनिया के शीर्ष पर पहुंचाया, जहां सिंधु ने 2019 में BWF वर्ल्ड चैंपियनशिप अपने नाम की। वह ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं।
दो लगातार विश्व फ़ाइनल हारने वाली सिंधु ने कहा, “मैं किसी भी क़ीमत पर यह फ़ाइनल जीतना चाहती थी। मुझे नहीं पता था कि मैं इसे कैसे करूंगी, लेकिन मुझे पता था कि मुझे इसे हासिल करना है।”
लेकिन, कुछ ही समय के बाद कोरियाई कोच को अपने पति के बीमार होने के बाद घर वापस जाना पड़ा, जिसकी वजह से किम जी ह्यून और पीवी सिंधु का साथ ख़त्म हो गया।
पीवी सिंधु का पार्क ताए-सांग के साथ उतार-चढ़ाव वाला सफ़र
किम के जाने के बाद एक अन्य दक्षिण कोरियाई पार्क ताए-सांग ने साल 2019 के आख़िरी में पीवी सिंधु के कोच की भूमिका संभाली।
पार्क को मूल रूप से भारतीय टीम के लिए पुरुष एकल कोच के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने एथेंस 2004 ओलंपिक में हिस्सा लिया था जहां वह क्वार्टर-फ़ाइनल में पहुंचे थे।
हालांकि, सिंधु-पार्क की जोड़ी को शुरुआत में परिणाम के लिए काफ़ी संघर्ष का सामना करना पड़ा। सिंधु ने विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने के बाद कोई ख़िताब नहीं जीता।
लेकिन टोक्यो ओलंपिक को ध्यान में रखते हुए पार्क ने खेलों से पहले महत्वपूर्ण महीनों में पांच से छह घंटे के लिए भारतीय शटलर का प्रशिक्षण जारी रखा और यहां तक कि उन्हें गोपीचंद अकादमी से गचीबोवली स्टेडियम में स्थानांतरित कर दिया।
सिंधु ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा, “इनडोर एरिना का आकार (गचीबोवली का) अंतरराष्ट्रीय मानकों का है। यह टोक्यो ओलंपिक में बैडमिंटन स्थल के समान है और यह वैसा ही है जैसा हम आमतौर पर अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के दौरान अनुभव करते हैं।”
यह क़दम टोक्यो 2020 में महत्वपूर्ण साबित हुआ क्योंकि पीवी सिंधु दो ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
सिंधु ने चीन की ही बिंगजियाओ को हराकर ओलंपिक खेल में दूसरी बार पदक जीता। हालांकि, इस बार भारतीय शटलर ने रजत की जगह जगह कांस्य पदक पर अपना कब्ज़ा जमाया। भारतीय ने अपनी सफलता का श्रेय कोच पार्क को दिया।
सिंधु ने कहा, "सेमी-फ़ाइनल में मिली हार के बाद मैं काफ़ी परेशान थी। लेकिन कोच पार्क ने मुझे बताया कि हमारे पास एक और मौक़ा है। उन्होंने मुझे बताया कि कांस्य और चौथे स्थान के बीच बहुत अंतर है।"
पार्क के लिए भी कांस्य पदक एक बड़ी उपलब्धि थी।
पार्क ने पीटीआई से बात करते हुए कहा, "यह पहली बार है जब किसी भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी ने दो ओलंपिक पदक जीते हैं, इसलिए यह न केवल सिंधु के लिए बल्कि मेरे शिक्षण जीवन के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है।"
टोक्यो ओलंपिक में जीत हासिल करने के बाद, पार्क ताए-संग ने पीवी सिंधु को 2022 में तीन BWF वर्ल्ड टूर ख़िताब - सैयद मोदी इंटरनेशनल, स्विस ओपन और सिंगापुर ओपन जीतने में मदद की। भारतीय बैडमिंटन दिग्गज ने दक्षिण कोरियाई कोच के सानिध्य में बर्मिंघम में हुए राष्ट्रमंडल खेल 2022 में महिला एकल का स्वर्ण पदक भी जीता।
हालांकि, पार्क ताए-संग फरवरी 2023 में पीवी सिंधु से अलग हो गए।
पीवी सिंधु के मौजूदा कोच: मुहम्मद हाफिज हाशिम
पांच महीने बिना कोच के रहने के बाद, पीवी सिंधु ने पेरिस 2024 ओलंपिक तक अपने नए कोच के रूप में पूर्व ऑल इंग्लैंड और कॉमनवेल्थ गेम्स चैंपियन मुहम्मद हाफिज हाशिम के नाम की घोषणा की।
अपने खेल के दिनों में, मुहम्मद हाफिज हाशिम ने टीम मलेशिया को थॉमस कप, सुदीरमन कप और एशियाई खेलों में कई पदक दिलाए हैं। वह नई दिल्ली में 2010 राष्ट्रमंडल खेल में स्वर्ण पदक जीतने वाली मिश्रित टीम का भी हिस्सा थे।
व्यक्तिगत रूप से, हाफिज हाशिम ने मैनचेस्टर में 2002 के राष्ट्रमंडल खेल में पुरुष एकल का स्वर्ण पदक जीता और 2003 में फ़ाइनल में चीन के चेन होंग को हराकर प्रतिष्ठित ऑल इंग्लैंड का ख़िताब अपने नाम किया। उनके अन्य एकल उपलब्धियों में स्विस, डच, थाईलैंड और फ़िलीपींस ओपन का ख़िताब शामिल है।
हाफिज ने अपने कोचिंग करियर के लिए अकादमी बैडमिंटन मलेशिया और हैदराबाद में सुचित्रा बैडमिंटन अकादमी में प्रशिक्षण लिया।
हालांकि, सिंधु और हाशिम का साथ सही परिणाम देने में विफल रहा। भारतीय शटलर BWF वर्ल्ड टूर पर एक भी टूर्नामेंट जीतने में असफल रही। वह मैड्रिड मास्टर्स में सिर्फ एक फाइनल में पहुंची और वर्ल्ड रैंकिंग में शीर्ष 10 से बाहर हो गई।
पीवी सिंधु के वर्तमान कोच: अगस ड्वी सैंटोसो
जनवरी 2024 से, सिंधु ने इंडोनेशियाई दिग्गज एगस ड्वी सैंटोसो के सानिध्य में प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया।
सैंटोसो, जो पहले इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया और वियतनाम में राष्ट्रीय सेटअप से जुड़े थे, उन्होंने सिडनी 2000 ओलंपिक रजत पदक विजेता हेंड्रावान सहित कई विश्व और ओलंपिक पदक विजेताओं को प्रशिक्षित किया है।
उन्होंने इंडोनेशिया के बुडी सैंटोसो को ऑल इंग्लैंड ओपन 2002 के फाइनल में मार्गदर्शन किया और जकार्ता में 2018 एशियन गेम्स में थाईलैंड के बुसानन ओंगबामरुंगफान को कांस्य पदक दिलाने में मदद की।
एगस ड्वी सैंटोसो के सानिध्य में दक्षिण कोरिया के सोन वान-हो भी पुरुष एकल रैंकिंग में विश्व नंबर 1 पर पहुंच गए। वह टोक्यो ओलंपिक के दौरान किदांबी श्रीकांत और बी साई प्रणीत सहित भारतीय एकल खिलाड़ियों के कोच भी थे। उस समय सिंधु पार्क से प्रशिक्षण ले रही थीं।