'ओलंपिक पदक का सपना मुझे आगे बढ़ाता है' - पेरिस 2024 कोटा हासिल करने के बाद भावुक हुईं विनेश फोगाट
विनेश फोगाट ने एशियाई कुश्ती क्वालीफायर से महिलाओं के 50 किग्रा वर्ग में ओलंपिक कोटा हासिल किया। जानिए भारतीय पहलवान ने अपना लक्ष्य हासिल करने के बाद क्या कहा।
किर्गिस्तान के बिश्केक में शनिवार को एशियाई कुश्ती ओलंपिक क्वालीफायर में महिलाओं के 50 किग्रा में पेरिस 2024 कोटा हासिल करना भारतीय पहलवान विनेश फोगाट के लिए एक भावुक कर देने वाला पल था।
दो बार की ओलंपियन और वर्ल्ड चैंपियनशिप पदक विजेता, विनेश की पेरिस 2024 ओलंपिक साख पर पिछले कुछ वर्षों में अंतिम पंघाल के उभरने के बाद से सवाल उठाया गया है।
जब विनेश अपनी इंजरी और ऑफ-द-मैट मामलों से जूझ रही थीं, तब अंतिम ने खुद को विनेश के प्रमुख इवेंट महिला 53 किग्रा वर्ग में भारत की सफल पहलवान के रूप में स्थापित किया। इसके साथ ही अंतिम ने पिछले साल कुश्ती चैंपियनशिप में इसी डिवीज़न में भारत को पेरिस 2024 कोटा भी दिलाया।
इसने विनेश को एक बड़ा कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। 29 वर्षीय खिलाड़ी ने पेरिस 2024 में प्रतिस्पर्धा करने के अपने सपने को पूरा करने के लिए अपना वजन घटाकर 50 किलोग्राम करने का विकल्प चुना।
बिश्केक में इस डिवीज़न में उपलब्ध दो कोटा में से एक हासिल करने के बाद भारतीय पहलवान ने अपने सपने को हकीकत में तब्दील करने के लिए बड़ा कदम उठाया। फोगाट को अपना कोटा हासिल करने के लिए शीर्ष स्तर वाले पहलवानों के खिलाफ लगातार तीन मुकाबले जीतने थे।
विनेश फोगाट ने आखिरकार वो कर दिखाया, जिसके लिए वो सपना देख रहीं थीं। कोटा हासिल करने के बाद विनेश भावुक नज़र आईं और उन्होंने कहा, "मैंने दो लड़ाइयां लड़ी हैं - एक वजन को कम (53 किग्रा से 50 किग्रा) करने को लेकर और दूसरी प्रतिस्पर्धा को लेकर। मैट पर, प्रत्येक एथलीट और भी अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाता है। मुझे अपनी पसंद से नहीं, बल्कि मजबूरी की वजह से भार वर्ग बदलना पड़ा, लेकिन मुझे 50 किग्रा में अपने देश के लिए कोटा हासिल करने पर गर्व है।”
दिलचस्प बात यह है कि कॉन्टिनेंटल क्वालीफायर सितंबर 2022 में विश्व चैंपियनशिप के बाद विनेश की यह पहली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता थी, जहां उन्होंने 53 किग्रा में कांस्य पदक जीता था।
विनेश ने पिछले साल हंगरी में बुडापेस्ट रैंकिंग सीरीज़ में वापसी करने का प्रयास किया था, लेकिन बीमारी के कारण उन्हें बाहर होना पड़ा था। इसके बाद बाकी सीज़न के लिए वह घुटने की चोट के कारण बाहर रहीं।
विनेश ने बताया, “मैं डेढ़ साल तक मैट से दूर रही और मुझे ऑपरेशन कराना पड़ा। कई लोगों ने 50 किग्रा में भाग न लेने का सुझाव दिया था, क्योंकि इससे दोबारा चोट लग सकती थी। लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं था। यह मेरे लिए करो या मरो की स्थिति जैसी थी।”
हालांकि, दो बार की ओलंपियन को इस बात का एहसास है कि कोटा उनकी ओलंपिक यात्रा का पहला कदम है और असली काम तो अब शुरू होता है।
“सिर्फ चार महीने बचे हैं और ओलंपिक की तैयारी में हर एक दिन मेरे लिए महत्वपूर्ण होगा। मेरा ध्यान अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने पर होगा। मैं ओलंपिक पदक जीतने की उम्मीद में 20 साल से ऐसा कर रही हूं जो मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।”
लंबी छुट्टी के बाद इस तरह के बहुत अधिक जोखिम वाले टूर्नामेंट में प्रतिस्पर्धा करने के दबाव को उन्होंने कैसे मैनेज किया। इस सवाल पर विनेश ने स्वीकार किया कि वह घबराई हुई थीं।
उन्होंने कहा, “किसी भी अन्य प्रतियोगिता में, दबाव इतना अधिक नहीं रहा होगा। मानसिक दबाव बहुत ज्यादा था और मुझे नहीं पता था कि मेरा शरीर मैट पर कैसे चलेगा क्योंकि मैंने अपना वजन कम कर लिया है। दूसरी बात यह कि मैं हाल ही में चोट से वापसी कर रही हूं इसलिए यह भी मेरे दिमाग में था।''
“यह अब तक मुश्किल रहा है, लेकिन जब आप जीतते हैं तो ऐसा लगता है कि सभी संघर्ष इसके लिए सही थे। मैं शायद अगले चार-पांच दिनों तक खुद में शांति महसूस करूंगी लेकिन मेरे लिए ओलंपिक मुख्य लक्ष्य है। मैं वह हासिल करने की कोशिश करूंगी, जो मैं पिछले दो ओलंपिक में नहीं कर सकी।”