खेल के गौरव के लिए मुश्किल से मुश्किल बाधाओं पर काबू पाना कई महान एथलीट की निशानी है, और सोनम मलिक (Sonam Malik) की कहानी भी कुछ ऐसी ही है।
दाएं हाथ की समस्या से उबरने के बाद, डॉक्टर ने किसी अन्य पेशे को चुनने की सलाह दी, लेकिन सोनम मलिक अपने करियर को फिर से ट्रैक पर ले आईं है। वह अब 2020 ओलंपिक (2020 Olympic)के लिए अपनी टिकट बुक करने के कगार पर खड़ी हैं।
कुश्ती घराने में हुआ सोनम मलिक का जन्म
सोनम मलिक का जन्म 18 साल पहले हरियाणा के सोनीपत में हुआ था। उनके पिता राजेन्द्र शुरुआती दिनों में पहलवान हुआ करते थे, जो बाद में मदीना गांव में एक चीनी मिल के लिए डिलीवरी वाहन चलाने का काम करने लगे।
12 साल की छोटी उम्र में सोनम मलिक ने उस खेल को अपनाने की ख्वाहिश जताई, जो उनके पिता को मजबूरी में छोड़ना पड़ गया था। इस प्रयास में उन्होंने कोच अजमेर मलिक के मार्गदर्शन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में अभ्यास करना शुरू किया।
अपनी लगन और प्रतिभा के कारण सोनम मलिक को जल्द ही प्रमुख मंच पर सफलता का अनुभव मिला। कुश्ती के अंखाड़े में उतरने के पांच साल बाद ही उन्हें बैंकॉक में 2017 एशियन कैडेट्स चैम्पियनशिप में 56 किलोग्राम भार वर्ग में प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिला।
सोनम मलिक ने उस स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया। उसी साल बाद में अपने दो विश्व कैडेट चैम्पियनशिप स्वर्ण पदक के साथ उन्होंने टॉप किया।
सपनों को लगा झटका
हालांकि, इसके तुरंत बाद ऊंचाई पर जा रही सोनम की करियर को तगड़ा झटका लगा, जिससे उनका करियर खतरे में पड़ गया। उसके दाहिने कंधे में नस की समस्या की वजह से उनका हाथ प्रभावित हुआ, जहां एक समय वो पैरालिसिस की स्थिति में आ गई थी।
अजमेर मलिक ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा था कि “उसकी हालत अब ठीक है। "वो अपने हाथ ऊपर नहीं कर सकती थी। वो ताकत के साथ कुछ भी पकड़ नहीं पा रही थी। उसके कंधे की नसें सिर्फ उसकी बाजुओं तक नहीं पहुंच रही थीं,”
सोमन मलिक के कोच ने कहा कि “ये काफी बुरा था कि सोनम मलिक के डॉक्टर ने भी उम्मीद खो दी थी। हालांकि, भले ही उन्होंने उसे दूसरा काम करने की सलाह दी, लेकिन "डॉक्टर ने कहा कि अगर सोनम के भाग्य में होगा, तो वो ठीक हो जाएगी,"
सोनम मलिक की किस्मत जागी
सोनम की किस्मत बदली, सोनम कुश्ती से ही जुड़ी रहने वाली थी। उनके पिता के बड़े शहर में प्रीमियम स्वास्थ्य देखभाल करने में असमर्थ थे, जिसके कारण घर में ही आयुर्वेदिक उपचार किया जाने लगा, ये ट्रिक काम कर गई और वो 6 महीने बाद अंखाड़े में लौट आईं। सोनम मलिक के पिता राजेंद्र ने कहा कि "मुझे लगता है कि भगवान चाहते थे कि सोनम फिर से मैट पर हो,"
बीते हुए वक्त को भूलकर आगे बढ़ने का प्रयास
अब 65 किग्रा भार वर्ग में प्रतिस्पर्धा करते हुए, सोनम मलिक ने जल्दी ही अपने लक्ष्य को फिर से हासिल कर लिया, उन्होंने मई 2018 में एशियन कैडेट कुश्ती चैम्पियनशिप में कांस्य पदक और उस वर्ष के बाद विश्व कैडेट कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता।
उसने अगले वर्ष उन दो प्रतियोगिताओं में अपनी सफलता का परचल लहराया। जुलाई में 2019 एशियाई कैडेट कुश्ती चैम्पियनशिप में उपविजेता रहने के बाद, उन्होंने उसी महीने बाद में विश्व कैडेट कुश्ती चैम्पियनशिप में अपना दूसरा स्वर्ण पदक जीता।
टोक्यो 2020 का सफर
2020 एक ओलंपिक वर्ष होने के साथ, उनके जैसी सभी एथलीट की नज़र टोक्यो 2020 पर है, और सोनम भी उसी दौड़ में शामिल हैं। जनवरी में ओलंपिक वर्ष की पहली राष्ट्रीय महिला कुश्ती ट्रायल में सोनम ने रोमांचक मुकाबले में 2016 ओलंपिक कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक (Sakshi Malik) को हराकर दर्शकों को चौंका दिया।
इस जीत ने उन्हें एशियाई चैम्पियनशिप (Asian Championship)के लिए भारत की कुश्ती प्रतियोगिता में जगह दिलाई, जहां वो पदक जीतकर मार्च में होने वाले ओलंपिक क्वालीफायर के स्थान पक्का कर सकेंगी। उनकी सीनियर वर्ग की शुरुआत निराशाजनक रही। मैटेलो पेलिकॉन मेमोरियल में 62 किग्रा भार वर्ग में प्रतिस्पर्धा करते हुए वो केवल 18 वें स्थान पर रहीं।
उन्होंने कहा कि “अभी के लिए, मैं केवल ये कहूंगी कि साक्षी जी के ख़िलाफ़ जीत ने मुझे भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया है। अब, मैं खुद को भारतीय टीम में स्थापित करना चाहती हूं। एशियाई चैंपियनशिप मेरे लिए महत्वपूर्ण है। सोनम मलिक ने अब तक अपनी बाधाओं को सफलतापूर्वक दूर कर लिया है, और ये सोचने का कोई कारण नहीं है कि उनका भाग्य उनके साथ नहीं है।