रूलोन गार्डनर (Rulon Gardner) ने ओलंपिक रेसलिंग के इतिहास में सबसे बाद फेरबदल तब किया था जब उन्होंने ओलंपिक गेम्स सिडनी 2000 (Olympic Games Sydney 2000).में गोल्ड मेडल पर अपने नाम की मुहर लगाई थी।
130 किग्रा भारवर्ग के फाइनल में गार्डनर के प्रतिद्वंदी ‘द राशियन बियर’ अलेक्ज़ांडर करेलीन (Aleksandr Karelin) थे। अलेक्ज़ांडर करेलीन वह पहलवान हैं जिन्होंने 3 बार ओलंपिक गेम्स में विजय हासिल की है और साथ ही वह उस समय 13 सालों तक कोई भी अतंरराष्ट्रीय मुकाबला नहीं हारे थे।
यह अमरीकी पहलवान रातों रात स्टार बन गया जब उन्होंने मैट पर मैजिक दिखाया। इसके बाद उनका समय बदला और एक दुर्घटना के बाद उन्हें अपना करियर बचाना तक मुश्किल लग रहा था।
ओलंपिक चैनल डाक्यूमेंट्री ‘Rulon’ में अपने सफ़र को साझा किया और बताया कि कैसे फार्म से निकल कर इन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम लहराया है। साथ ही उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने मौत को मात दी और अपने जीवन को संवारे रखा।
आज रुलोन ने जीवन से बहुत कुछ सीखा है वह आज जिंदा दिली की मिसाल बन गए हैं। अक्टूबर 2020 में वह शादी के रिश्ते में भी बांध गए हैं और साथ ही उन्होंने 22.5 किग्रा वज़न भी घटाया है। अब यह पहलवान सेंट जॉर्ज, उटाह में रहते हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि वह रेसलिंग यूथ रेसलिंग ट्रेनिंग सेंटर भी खोलेंगे।
ओलंपिक चैनल की ओरिजिनल फिल्म शुक्रवार, 2 अप्रैल को प्रीमियर करेगी और दर्शकOlympicChannel.com पर भी देख सकते हैं। साथ ही ओलंपिक चैनल एप और टीवी connected TV devices पर भी इसे देखा जा सकता है।
1 – मुश्किलों भरा बचपन
रुलोन गार्डनर को स्कूल के दिनों में दिक्कतों का सामना करना पड़ता था क्योंकि वह लर्निंग डिसएबिलिटी से जूझ रहे थे।
अपने विशाल साइज़ की वजह से उन्हें लोग डम्बो, फैटसो बुलाने लगे जो कि किसी के मानसिक संतुलन को हिलाने के लिए काफी है।
जहां उनका शरीर उनका दुश्मन बन चुका था वहीं उसी शरीर ने इन्हें सुपरस्टार बना दिया जब इस रेसलर ने मैट को अपना बनाया।
सीनियर हाई स्कूल में इस पहलवान ने स्टेट रेसलिंग खिताब अपने नाम किया शॉट पुट के खेल में दूसरे स्थान पर भी काबिज़ रहे। कुछ ही समय बाद वह नेशनल जूनियर कॉलेज हेवीवेट रेसलिंग चैंपियन बनें और साथ ही फुटबॉल टीम का भी हिस्सा बनें।
Rulon
फाइव रिंग फिल्म्स प्रस्तुत करते हैं रेसलर रुलन गार्डनर की अद्भुत कहानी जिन्होंने 2000 ओलंपिक गेम्स में जीत हासिल कर सबको चौंका दिया था और इसके बाद उन्हें कई बार ज़िंदगी और मौत से जूझना पड़ा, वज़न से परशानी हुई और यहां तक कि वे दिवालिया भी हो गए थे।
2 – डेरी फ़ार्म से हुई शुरुआत
व्योमिंग के फार्म में रुलोन घंटो काम किया करते थे। सूरज के उठने से पहले यह उठकर अपना दिन शुरू करते थे। लकड़ियों को काटना, दूध निकालना इनकी दिनचर्या के अहम काम थे।
इनका परिवार मॉरमॉन संस्था से भी जुड़े हुए थे और इनके ग्रेट ग्रेट ग्रैंड फादर आर्चिबाल्ड गार्डनर एक चर्च में बिशप भी थे। उन्होंने ही साल्ट लेक टेम्पल के बनने में मदद की थी।
Rulon GARDNER
3 – सोचा न था कि कभी ओलमपिक गोल्ड जीत पाएंगे
ज़्यादातर ओलंपिक चैंपियन आत्मविश्वास को सफलता की सबसे बढ़ी चाबी मानते हैं।
गार्डनर के साथ ऐसा नहीं था और ओलंपिक फाइनल में जाने से पहले वह दूसरे स्थान के साथ भी खुश थे।
वाशिंगटन पोस्ट से बात करते हुए गार्डनर ने कहा “दुनिया में अब कोई मौका नहीं है। कभी-कभी कुछ ऐसा हो जाता है। खेर, उस समय मुझे सिल्वर मेडल तो मिलना ही था।”
आखिर में उन्हें एहसास हुआ कि वह जीत सकते हैं। दुनिया के सबसे बड़े पहलवान के खिलाफ लड़ने के लिए वह तैयार भी थे और जीत की कोशिश भी कर रहे थे।
“जिन लोगों ने मुझे कहा था कि मैं कभी यहां नहीं पहुंच सकता, इस स्तर पर नहीं आ सकता मैं उन सबको बता देना चाहता था। शायद उनसे ज़्यादा मैंने खुद को चौंका दिया था।”
4 – कई बात मौत को दी मात
कई मौके ऐसे भी आए जब यह पहलवान अपना जीवन खो सकता था।
उनके जीवन में एक दुर्घटना तब हुई जब वह स्कूल में थे और एरो से उनके एब्डोमेन में चोट आ गई थी।
साल 2002 यानी ओलंपिक में जीत के बाद गार्डनर एक स्नोमोबाइल दुर्घटना में शामिल थे।
ओलंपिक चैनल ‘Rulon’ फिल्म में उन्होंने बताया कि कैसे वह अपने साथियों से बिछड़ गए थे और उन्हें पूरी रात सब-जीरो तापमान में बितानी पड़ी। उस समय न उनके पास सर छिपाने की जगह थी और न ही गर्म कपडे। उन्हें अगले दिन हाइपोथर्मिया और फोरस्टबाईट द्वारा बचाया गया।
इसके बाद गार्डनर एक मोटरसाइकिल दुर्घटना में भी शामिल हुए।
इसके बाद 2007 में इस रेसलर ने एयरक्राफ्ट दुर्घटना का भी सामना किया। उस समय इनके साथ इनके 2 साथी और थे और इन तीनों ने 7 डिग्री ठंडे पानी में तैर कर किनारा ढूंढा और रात वहीं बिताई।
5 – मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में शिरकत
पहलवानों का कौशल ऐसा होता है कि ह और भी कई खेल खेल पाते हैं और गार्डनर भी कुछ ऐसा ही किया करते थे।
एथेंस 2004 ओलंपिक गेम्स में ब्रॉन्ज़ मेडल जीतने के बाद इस पहलवान ने खेल से संन्यास ले लिया था। इसके बाद इन्हें प्रोफेशनल मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स से बुलावा आया और उन्होंने वहां पर भी अपने कौशल का प्रमाण पेश किया।
इतना ही नहीं बल्कि जापान में उन्होंने 9,000 किमी का सफर तय किया ताकि वह ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले हिदेहिको योशिदा (Hidehiko Yoshida) के खिलाफ खेल सकें।
जीत और इनाम के बाद गार्डनर ने एमएमए से भी मुह मोड़ लिया और अपने कारवां को आगे बढ़ाया।
गार्डनर ने WWE से आए अवसर को भी ठुकराया और वहां कभी जाने का रुख नहीं किया।
“मुझे WWE से मिलियंस का अवसर आया था लेकिन मैंने उसे ठुकरा दिया।”
“मेरी माँ ने कहा कि यही वह बीटा है जिसे मैंने बड़ा किया था? क्या यह वही शक्स है जिसे आप अमरीका का यूथ बनाना चाहते हैं?”
6 – बिगेस्ट लूज़र के ज़रिए वज़न घटा
विशाला शरीर होने की वजह से वज़न में लगातार बढ़ोतरी हो रही थी और सन्यास लेने के बाद यह मुश्किल बढ़ती जा रही थी।
2011 में उन्हें अमरीकी टीवी शो ‘द बिगेस्ट लूज़र’ से न्योता आया और वहां उन्हें 215 किग्रा भार घटने की ज़रूरत थी। वह लगभग 173lbs वज़न कम कर चुके थे लेकिन उन्हें निजी कारणों की वजह से उस शो को बीच में ही छोड़ना पड़ा।
इसके बाद भी रुलोन ने 12 किग्रा वज़न कम किया और वह उनके पर्सनल ट्रेनर की बदौलत हुआ। उस समय उनका लक्ष्य 120 किग्रा भारवर्ग में कुश्ती करने का था।
7 – दिवालिया होने के बाद संभाले कदम
इस ग्रीको-रोमन पहलवान के जीवन में एक बार फिर हलचल मची जब उन्होंने खुद को दिवालिया बताया।
निजी निवेश और रिसोर्ट खोलने के साथ वह जिम भी खोलने का सोच रहे थे और इसी कारणवश उन पर डॉलर 3 मिलियन का क़र्ज़ था।
ऐसे में उनकी ओलंपिक की कुछ चीज़ों और गाड़ियों की नीलामी भी की गई थी।
अपने कुछ व्यापारी लोगों की मदद से आज रुलोन गार्डनर अच्छी ज़िन्दगी जी रहे हैं और वह वर्क-सेफ्टी एप से भी जुड़े हुए हैं और आज वह स्कूल जा कर बच्चों को प्रेरणा देते हैं और साथ ही वह हाई स्कूल रेसलिंग के कोच भी हैं।”
“मैं बस इतना कर सकता हूं कि मैं अपने जीवन के अनुभवों को यूथ से साझा कर सकता हूं। आशा करता हूं कि वे उसे दखें। मैं अच्छा रेसलर था लेकिन मैं एक बेहतरीन कोच बनना चाहता हूं।”