एथलीट की प्रतिभा उसे अपने खेल में आगे बढ़ने में मदद जरूर करती है लेकिन जिम और खेल के मैदान की गई कड़ी मेहनत और लगातार किए गए प्रयास उसे चैंपियन बनाते हैं।
भारत के दिग्गज भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा इसका सटीक उदाहरण हैं।
लंबे समय से नीरज चोपड़ा के फिजियो रहे ईशान मारवाह का मानना है कि नीरज अभ्यास के दौरान पूरी क्षमता से तैयारी करते हैं। उनसे जो भी कहा जाता है वह उससे ज्यादा करते हैं। उनकी यही बात उन्हें बाकी एथलीटों से अलग बनाती है। आपको एक चैंपियन एथलीट बनने के लिए उस स्तर की प्रतिबद्धता की ज़रूरत होती है।
ख़ुद को फिट और स्वस्थ रखने के लिए सख़्त डाइट का पालन करने के अलावा टोक्यो ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा प्रशिक्षण में भी कड़ी मेहनत करने के लिए जाने जाते हैं और जिसका परिणाम उन्हें बड़ी प्रतियोगिताओं के दौरान हासिल होता है।
यहां नीरज चोपड़ा की ट्रेनिंग के बारे में संक्षिप्त में जानिए।
नीरज चोपड़ा की ट्रेनिंग
नीरज चोपड़ा एक भाला फेंक एथलीट हैं इसलिए उन्हें अपने ऊपरी और निचले शरीर दोनों की ताकत पर ध्यान देना होता है। इसके अलावा भारतीय भाला फेंक खिलाड़ी को अपनी शैली के अनुसार जोड़ों और मांसपेशियों पर भी ध्यान देना पड़ता है।
मेडिसिन बॉल्स के साथ काम करना नीरज चोपड़ा के प्रशिक्षण का एक महत्वपूर्ण पहलू है। इसके अलावा उन्हें जिम में एक महत्वपूर्ण समय अपनी शक्ति प्रशिक्षण में बिताना पड़ता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनके हाथ और कोहनी सबसे अच्छी स्थिति में हैं। इसके लिए वह केवल पुल एक्सरसाइज़ ही करते हैं क्योंकि इससे उनके कंधे, कोहनी और हाथ की मांसपेशियों को मज़बूती मिलती है।
नीरज चोपड़ा के लिए कुछ व्यायाम अलग से तैयार किए गए हैं, जिसमें से एक में वह सीधे खड़े होकर अपने दोनों हाथों को ऊपर कर एक बड़ी आकार की भारी गेंद को उठाते हैं, और फिर वह अपने घुटने के बल नीचे बैठते हैं। जब वह जमीन से कुछ इंच नजदीक होते हैं तब वह उस गेंद के साथ अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को पीछे की ओर मोड़कर धनुष का आकार बनाते हैं और गेंद को जमीन से कुछ इंच ऊपर रखते हैं।
जब उनके शरीर का पूरा भार उनके अंगुठे पर आ जाता है तब वह एक गुलेल की तरह उस गेंद को फेंकते हैं।
इस व्यायाम से उन्हें अपनी ताक़त और लचीलेपन को बढ़ाने में मदद मिलती है। यह किसी भी भाला फेंक एथलीट के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण होता है।
नीरज चोपड़ा जब अपने शरीर को पीछे की ओर मोड़ते हैं तब वह उस परिस्थिति में वजन भी उठाते हैं, जिससे उनके शरीर का रोटेटर कफ और पिछला हिस्सा और मज़बूत होता है।
अपने कंधे को और अधिक बलशाली बनाने के लिए वह डंबल को आगे और साइड से उठाते हैं। जिसके बाद वह अपने शरीर के बीच के हिस्से को मज़बूती देने के लिए स्विस बॉल क्रंचेज और ऑब्लिक क्रंचेज करते हैं। इसके साथ ही वह अपनी स्प्रिंट की गति को बढ़ाने और हैमस्ट्रिंग को मज़बूत करने के लिए जमीन पर लेटकर अपने दोनों पैरों को बिना घुटने को मोड़े हुए उठाते हैं।
इनमें से अधिकांश अभ्यास बायोमैकेनिक्स विशेषज्ञ और उनके वर्तमान कोच क्लॉस बार्टोनिट्ज द्वारा तैयार किए गए हैं। इससे पहले वह जर्मनी के दिग्गज उवे होन के साथ प्रशिक्षण कर रहे थे।
स्क्वाट, स्नैच, लंजेस और टाइम सर्किट जैसे व्यायाम भी नीरज चोपड़ा के दैनिक जिम सत्र का एक अहम हिस्सा हैं।
टोक्यो 2020 के बाद नीरज चोपड़ा अपनी पिछली कमियों को ठीक करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। अभ्यास के अलावा वह अपने आप को और लचीला बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
ईशान मारवाह ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "नीरज एक पावर थ्रोअर नहीं हैं। वह अपने शरीर के लचीलेपन पर अधिक निर्भर करते हैं। वह चाहते हैं कि जब वह थ्रो के लिए जाएं तो उनका शरीर स्थिर रहे।"
"कुछ थ्रोअर पावर थ्रोअर होते हैं, उन्हें उस लचीलेपन की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि उनके पास थ्रो करने की शक्ति होती है। लेकिन लचीलापन आपको चोट से दूर रखने में मदद करता है।"
लचीलेपन के अलावा नीरज चोपड़ा खुद को और बेहतर बनाने के लिए अपने कूल्हे की गतिशीलता और टखने की ताक़त पर भी काम कर रहे हैं।
कूल्हे की गतिशीलता और टखने की ताक़त शरीर को एक अलग मज़बूती प्रदान करती है जिससे जैवलिन थ्रोअर अपने थ्रो से ठीक पहले अपने अगले पैर को लगाकर अपनी गति को रोक देता है।
आपको बता दें कि शरीर के मूवमेंट को अचानक से रोकने पर अत्यधिक दबाव पैदा होता है और किसी भी प्रकार की चोटों से बचने के लिए कूल्हे और टखने की मज़बूती बहुत ज़रूरी हो जाती है।
भाला फेंक में विश्व रिकॉर्ड धारक जॉन जेलेजनी विशेष रूप से अपने मज़बूत कूल्हे के लिए जाने जाते थे और नीरज चोपड़ा भी उसी शैली को अपनाने की कोशिश करते हैं।
हाल ही में नीरज चोपड़ा ने एक प्रकार के उच्च-तीव्रता वाले (HIIT) तबाता कसरत को अपने प्रशिक्षण में शामिल किया है, जिसमें 10 विभिन्न अभ्यासों का एक सर्किट होता है।
इस व्यायाम में 20 सेकेंड की उच्च-तीव्रता वाले व्यायाम शामिल हैं और इसके बाद 10-15 सेकंड का आराम होता है। तबाता कसरत कैलोरी घटाने के लिए एक आदर्श कार्डियो सर्किट व्यायाम है और व्यायाम के बाद शरीर के सामान्य होने पर वापस कैलोरी को फिर से बढ़ाता है।
तबाता नीरज चोपड़ा के वर्कआउट रूटीन में इसलिए शामिल किया गया था क्योंकि उन्होंने टोक्यो 2020 के बाद एक छोटा ब्रेक लिया था और उस दौरान उनका वजन बढ़ गया था। हालांकि, नीरज को ऐप-एडेड एक्सरसाइज़ ज्यादा पसंद है।
रिकवरी
उच्च-तीव्रता वाले प्रशिक्षण के बाद एक उच्च स्तर की रिकवरी प्रणाली की भी आवश्यकता होती है। नीरज चोपड़ा खुद को तरोताज़ा रखने के लिए आइस बाथ, कन्ट्रास्ट बाथ (गर्म और ठंडे पानी में), डीप टिश्यू रिलीज के अलावा रोजाना 8 से 10 घंटे सोते हैं। नीरज के लिए अपनी नींद को पूरा करना भी इस खेल में उन्हें शीर्ष पर रखने में मदद करता है।
कड़ी मेहनत करने के अलावा नीरज ने स्मार्ट प्रशिक्षण में सक्षम होने के लिए पर्याप्त अनुभव भी प्राप्त किया है। साल 2019 में कोहनी की सर्जरी के बाद उन्हें स्मार्ट प्रशिक्षण करने की ज़रूरत थी।
जैवलिन थ्रोअर के लिए विशेष रूप से कोहनी की चोट में काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि चोट की सर्जरी के बाद उन्हें ज्यादातर समय पहले की तरह उन्हें अपनी कोहनी को खोलने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।
हालांकि, नीरज चोपड़ा का रिहैबिलिटेशन अच्छा रहा और उनकी सर्जरी के बाद वह अपनी कोहनी को पूरी तरह से खोलने में सक्षम रहे। अगर यह किसी अन्य तरीके से होता तो भारतीय स्टार एथलीट के करियर में बड़े स्तर पर बाधा उत्पन्न हो सकती थी।
अब नीरज चोपड़ा के लिए यह आवश्यक है कि वह अपने शरीर की सीमाओं को समझें ताकि उनकी कोहनी में और कोई चोट न लगे।
मारवाह ने कहा, "शुरुआत में वह दर्द में रहने के बावजूद भी ख़ुद को नहीं रोकते थे। लेकिन अब वह अनुभवी हो गए हैं। वह जानते हैं कि चोट को कैसे रोका जाए।"