अपने आखिरी ओलंपिक के लिए तैयार मैरी कॉम, कहा- ओलंपियन बनकर हमेशा खुश रहूंगी

बढ़ती उम्र के कारण भले ही टोक्यो ओलंपिक मैरी कॉम का आखिरी ओलंपिक साबित हो लेकिन भारतीय बॉक्सर एक बात से हमेशा खुश रहेंगी कि उन्हें ओलंपियन बनने का मौका मिला।

3 मिनटद्वारा लक्ष्य शर्मा

भारत की स्टार महिला बॉक्सर एमसी मैरीकॉम (MC Mary Kom) के लिए टोक्यो ओलंपिक आखिरी ओलंपिक साबित हो सकता है लेकिन उनका मानना है कि वह पूरी जिंदगी ओलंपियन के तमगे के साथ जी कर खुश रहेंगी। उनका मानना है कि अगर वह ओलंपियन नहीं बन पाती तो उनका करियर इतना यादगार नहीं हो पाता।

लंदन 2012 के कांस्य पदक विजेता पहले ही टोक्यो के लिए क्वालीफाई कर चुकी हैं और इस साल जुलाई में अपने दूसरे समर खेलों के लिए जापान की यात्रा करेंगी।

मैरी कॉम का मानना ​​है कि ये उनका आखिरी ओलंपिक हो सकता है, चाहे उनके इरादे कुछ भी हों या नहीं

मैरी कॉम ने ओलंपिक चैनल से बात करते हुए कहा कि "टोक्यो मेरा आखिरी ओलंपिक होगा, उम्र का बहुत फर्क पड़ता है, अभी मैं 38 की हूं और 39 की होने जा रही हूं। अब तीन चार और खेलना बहुत लंबा समय होता है।"

टोक्यो 2020 में भाग लेने के लिए, शुरुआत में मुक्केबाजों के लिए आयु सीमा 40 वर्ष थी। कोविड-19 के कारण एक वर्ष के लिए खेलों को स्थगित कर दिया गया और इसे बढ़ाकर 41 कर दिया गया

इस मार्च 38 साल की होने वाली मैरी कॉम  पेरिस 2024 ओलंपिक तक 42 साल की हो जाएंगी और वह उसमें हिस्सा नहीं ले पाएंगी।

मैरी कॉम ने हंसते हुए कहा कि "बिल्कुल अगर मैं पेरिस 2024 में हिस्सा लेना भी चाहूं तो भी नहीं ले सकती।"

रिकॉर्ड छह बार की मुक्केबाजी विश्व चैंपियन, हालांकि महसूस करती हैं कि उनके करियर में  पहले से ही ओलंपिक पदक विजेता होने का सम्मान शामिल रहा है।

ओलंपिक पदक विजेता ने कहा कि "मेरे लिए ओलंपियन होना ही काफी मायने रखता है, मैं 20 साल से बॉक्सिंग कर रही हूं और मैंने कई इंटरनेशनल टूर्नामेंट में हिस्सा लिया है, यहां तक की मैं वर्ल्ड चैंपियन भी रही हूं।"

इसके अलावा उन्होंने कहा कि "मुझे ओलंपिक में भाग लेने के लिए अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा क्योंकि 2012 तक महिलाओं की मुक्केबाजी खेलों में नहीं थी। अंत में, यह हुआ, और मुझे खुशी है कि ऐसा किया गया। मुझे लगता है कि अगर मैं ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा नहीं करती तो एक मुक्केबाज के रूप में मेरे करियर का मूल्य कम हो जाता।

मैरी कॉम ने 2012 लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था।

मणिपुरी बॉक्सर ने कहा, "ओलंपिक बहुत बड़ा है। किसी भी खिलाड़ी के लिए खेलों में भाग लेना और पदक जीतना एक सपना होता है। यह जीवन को बदल देता है। ओलंपियन बनना और कांस्य जीतकर मेरा जीवन भी पूरी तरह से बदल गया।”

“इस वजह से कई महिलाएं खेल के लिए प्रेरित हुईं, विशेषकर मुक्केबाजी को। मैं गर्व महसूस कर रही हूं। मैं चाहती हूं कि ज्यादा से ज्यादा लड़कियां बाहर आएं और संघर्ष करें। मुझे उम्मीद है कि बाहर आने और अपने और अपने देश के लिए लड़ने के लिए उन पर कोई प्रतिबंध नहीं है।"

हाल ही में स्पेन में बॉक्सम बॉक्सिंग मीट में कांस्य पदक जीतने वाली मैरी कॉम चाहती हैं कि ओलंपिक में मेंस की तरह वुमेंस की और वेट कैटेगिरी भी शामिल किया जाए और उन्हें भी समान सुविधा मिले।

वर्तमान में, पुरुषों के लिए आठ भार वर्ग हैं और महिलाओं के लिए 5 हैं।

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